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गृह मंत्री अमित शाह ने संसद में संविधान निर्माता बाबासाहेब अंबेडकर का अपमान किया।

लेकिन ये पहली बार नहीं है..

RSS और BJP के राजनीतिक पूर्वज कई बार बाबासाहेब और उनके संविधान को अपमानित कर, अपनी दलित विरोधी सोच का परिचय दे चुके हैं-

👉 1949

12 दिसंबर 1949 को, जब हिंदू कोड बिल आकार ले रहा था, तब RSS ने दिल्ली के रामलीला मैदान में डॉ. अंबेडकर के पुतले जलाए थे।

यह बिल बाबासाहेब अंबेडकर ने देश के पहले कानून मंत्री के तौर पर पेश किया था। जिसमें हिंदू महिलाओं को तलाक और पैतृक संपत्ति में उत्तराधिकार का अधिकार मिला था।

👉 1949

ऑर्गनाइजर ने 30 नवंबर, 1949 के अंक में लिखा था, “भारत के नए संविधान की सबसे बुरी बात यह है कि इसमें कुछ भी भारतीय नहीं है। संविधान निर्माताओं ने इसमें ब्रिटिश, अमेरिकी, कनाडाई, स्विस और कई अन्य संविधानों के एलिमेंट शामिल किए हैं।

आज भी मनुस्मृति में वर्णित उनके कानून दुनिया भर में प्रशंसा का विषय हैं और सहज आज्ञाकारिता और अनुरूपता को बढ़ावा देते हैं। लेकिन हमारे संवैधानिक पंडितों के लिए इसका कोई मतलब नहीं है।”

👉1950

11 जनवरी, 1950 को ‘ऑर्गनाइज़र’ पत्रिका ने डॉ. अंबेडकर की “लिलिपुट” के साथ तुलना कर उनका अपमान किया।

पत्र में कहा गया है कि डॉ. अंबेडकर को आधुनिक मनु नहीं कहा जा सकता क्योंकि यह “लिलिपुट को ब्रोबडिंगनाग के रूप में चित्रित करने जैसा है। डॉ. अंबेडकर को विद्वान और ईश्वर-समान मनु के बराबर रखना हास्यास्पद है…”।

👉 1966

RSS के दूसरे सरसंघचालक एम.एस. गोलवलकर ने संविधान के बारे में अपने विचार विस्तार से बताए: “हमारा संविधान भी पश्चिमी देशों के विभिन्न संविधानों के विभिन्न अनुच्छेदों का एक बोझिल और विषम संयोजन मात्र है।

इसमें ऐसा कुछ भी नहीं है जिसे हम अपना कह सकें। क्या इसके मार्गदर्शक सिद्धांतों में एक भी ऐसा संदर्भ है कि हमारा राष्ट्रीय मिशन क्या है और हमारे जीवन का मुख्य उद्देश्य क्या है? नहीं!

संयुक्त राष्ट्र चार्टर या अब समाप्त हो चुके राष्ट्र संघ के चार्टर के कुछ कमजोर सिद्धांत और अमेरिकी और ब्रिटिश संविधानों की कुछ विशेषताओं को एक साथ मिलाकर मात्र एक मिश्रण बना दिया गया है… दूसरे शब्दों में कहें तो, भारतीय संविधान में भारतीय सिद्धांतों या राजनीतिक दर्शन की कोई झलक नहीं है।”

👉 1993

1 जनवरी, 1993 को संघ परिवार ने एक वॉइट पेपर प्रकाशित किया, जिसमें संविधान को हिंदू विरोधी बताया गया।

इसकी प्रस्तावना में संघ के प्रमुख विचारक स्वामी हीरानंद ने लिखा, “वर्तमान संविधान देश की संस्कृति, चरित्र, परिस्थितियों, आदि के विपरीत है। यह विदेशी विचारों से प्रेरित है… इसे प्राथमिकता के साथ पूरी तरह से त्यागना होगा।

दो सौ साल के ब्रिटिश शासन से जो नुकसान हुआ है, वह हमारे संविधान से हुए नुकसान की तुलना में नगण्य है। भारत को इंडिया बनाने की साजिश जारी है। स्वतंत्रता के बाद भारत, हिंदुस्तान और वंदे मातरम् को खत्म कर दिया गया है। जॉर्ज पंचम के स्वागत में गाया गया गीत ‘जन गण मन’ हमारा राष्ट्रगान बन गया है।”

👉 2000

वर्ष 2000 में RSS के प्रमुख के.एस. सुदर्शन ने संविधान पर सवाल उठाते हुए कहा था, ‘’हमें अल्पसंख्यक वाली अवधारणा बिल्कुल भी स्वीकार्य नहीं है।

उन्होंने यह भी कहा था कि अल्पसंख्यकों को बहुसंख्यकों की “संस्कृति” को स्वीकार करना चाहिए।

इससे पहले 14 अगस्त, 2000 को BBC के हार्ड टॉक इंडिया पर पत्रकार करण थापर से बात करते हुए भी सुदर्शन जी ने यही बात कही थी। साथ ही उन्होंने कहा था कि भारत का संविधान देश के मूलभूत सिद्धांतों को प्रतिबिंबित नहीं करता।

हमें अपना संविधान ख़ुद विकसित करना चाहिए। जब अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार सत्ता में आई, तो उन्होंने संविधान की समीक्षा की मांग की।

👉 2023

देश के 77वें स्वतंत्रता दिवस के मौके पर प्रधानमंत्री की आर्थिक सलाहकार परिषद के अध्यक्ष बिबेक देबरॉय ने एक अख़बार के अपने आर्टिकल में लिखा था-

संविधान में महज़ कुछ संशोधनों से काम नहीं चलेगा। हमें शुरू से शुरुआत करनी चाहिए और पूछना चाहिए कि संविधान की प्रस्तावना में समाजवादी, धर्मनिरपेक्ष, लोकतांत्रिक, न्याय, स्वतंत्रता और समानता जैसे शब्दों का अब क्या मतलब है। हमें ख़ुद को एक नया संविधान देना होगा।

👉 2024

2024 के लोकसभा चुनाव से पहले नरेंद्र मोदी और BJP ने 400 पार का नारा दिया।

इस नारे के बाद BJP के कई सांसद और नेता संविधान बदलने की बातें करने लगे। हालांकि जनता ने उसे बहुमत से भी कम सीटें दी और संविधान बदलने के मंसूबे जमींदोज कर दिए।

👉 2024

गृह मंत्री अमित शाह ने संसद में बाबासाहेब का अपमान करते हुए कहा-

आजकल एक फैशन बन गया है, अंबेडकर, अंबेडकर, अंबेडकर, अंबेडकर, अंबेडकर, अंबेडकर… इतना अगर भगवान का नाम लेते तो स्वर्ग मिल जाता।


साफ है..

BJP-RSS के DNA में ही बाबासाहेब और उनके दिए संविधान के लिए घृणा और नफरत बसी है।

ये लोग नहीं चाहते कि देश के दलितों और शोषितों को सम्मान, समानता और अधिकार मिले। इसलिए वे बाबासाहेब का अपमान करते आए हैं।

बाबासाहेब के अपमान के लिए अमित शाह, नरेंद्र मोदी और पूरी BJP को देश से माफी मांगनी होगी और अमित शाह को अपने पद से इस्तीफा देना होगा।

एडवोकेट :- अनिल अग्निहोत्री

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