रक्षाबंधन क्या है और क्यों मनाते हैं??
डॉ एस एन बौद्ध
बांधते किसको है गुलामों को और जानवरों को
जानवरों को पालना भी जानवरों को गुलाम बनाना है।
जिसके हाथ में धागा बंधा होता है वो ब्राह्मणों का मानसिक गुलाम होता बिना ब्राह्मणों से पूंछ कुछ भी नहीं कर सकता है।
👉 क्या भाई बहन का गुलाम है?
👉 क्या धागा बहन की रक्षा करेगा या भाई?
👉 धागा किसी की रक्षा कर सकता या हम धागा की रक्षा करते हैं।
👉 जिस बहन के भाई नहीं होतें है उनकी रक्षा कौन करता है।
👉 अगर बहन बड़ी है और भाई छोटा है तो रक्षा कौन करेगा
भाई बहन का रिश्ता आपनी प्रेम और निभाने का रिश्ता है धागा बांधने से कुछ नहीं होता है।
जापान, कोरिया गणराज्य चीन आदि जितने विकसित देश है वहां कोई भी बहन भाई को राखी नहीं बांधती है सभी आपस में प्यार से रहते हैं।
धांगा बांधने की परम्परा श्रमण सम्राट राजा बाली जो कि आज का बलिया है राजा बाली को ब्राह्मणों ने आमने सामने की लड़ाई में नहीं जीत पाये इसलिए विष्णु नामक ब्राह्मण ने भीख मांगने के बहाने धोखे से राजा बाली को ठग लिया था तीन बचन लेकर शपथ करा कर तीन पग यानि तीन अधिकार छीन लिया तीन अधिकार थे
👉 शिक्षा
👉 शस्त्र
👉 सम्पति
विष्णु नामक ब्राह्मण ने धोखे से महाराज बाली से शिक्षा का अधिकार छीन लिया और हथियार रखने का अधिकार छीन लिया और सम्पति रखने का अधिकार छीन लिया
इस प्रकार से राजा बाली को गुलाम बना दिया और राज पाट छीन लिया और हमला करके उसकी हत्या करवा दिया और जमीन में दफना दिया है और लोगों को गुमराह कर दिया है और लोगों में कहानियां बनाकर प्रचार प्रसार किया कि राजा बाली को पाताललोक का राजा बना दिया और उसी समय से ब्राह्मण दूसरे लोगों के हाथों में धागा बांधते थे लोगों को मूर्ख बनाते थे ये धागा आपकी रक्षा करेगा।
ब्राह्मणों द्वारा धागा बांधते समय जो मंत्र पढ़ते थे वह इस प्रकार है।
👉 येन बंधो दानवेदरो राजावली महाबलम
तेन तवाम बधनामि मम रक्षामि मा चल मा चल मा चल।
इसका अर्थ इस प्रकार हैं
जिस तरह से आपके राजा दानवीर बाली को गुलाम बनाया और उसकी हत्या किया था ठीक उसी प्रकार तुम लोग भी मेरे गुलाम हो मै तुम्हारी हत्या करूंगा तुम हमारी रक्षा करोगे भागना नहीं भागना नहीं।
इस प्रकार आप खुद समझ सकते हैं कि धांगा बांधना कितनी बड़ी मूर्खता है।
माथे पर टीका मूर्खता की पहचान है जितना बड़ा टीका उतना ही बड़ा मूर्ख और धूर्त होता है और हाथ में धागा ब्राह्मणों की मानसिक गुलामी का पहचान है।
महिलाओं के सिंदूर, मंगल सूत्र, बिछुआ, चूड़ियां पुरूषों की गुलामी का पहचान है।
👉त्योहारों से ब्राह्मणों और बनियों की कमाई होती है और OBC, SC, ST के लोंगो को ठगा जाता है लूटा जाता है।
बहुत ही कड़वी परन्तु सत्य जानकारी है ज्यादा से ज्यादा शेयर करो भक्त और मूर्ख भौखला जायेंगे और कायर लोग शेयर करने से डरेंगे लेकिन सच्चे आंबेडकरवादी और बौद्ध जरूर शेयर करेंगे ।
बाबासाहब डॉ भीमराव आंबेडकर ने बिना धागा बांधने वाली सभी महिलाओं के अधिकारों व हितों की रक्षा के लिए लड़ाई लड़ी और हिन्दू कोड बिल के माध्यम से महिलाओं का अधिकार दिलाया हिन्दू कोड बिल के पास कराने के लिए कानून मंत्री पद से इस्तीफा दे दिया था।
साबित्री बाई फुले फातिमा शेख ने महिलाओं को शिक्षित करने के लिए कठोर संघर्ष किया क्या महिलाएं बाबासाहब डॉ भीमराव आंबेडकर, साबित्रीबाई फुले और ज्योतिबाराव फुले को राखी बांधती थी।
बौद्धाचार्य डॉ एस एन बौद्ध 9953177126
8700667399
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