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दसहरा /अशोक विजय दशमी क्या है?क्यों मनाते हैं?

2 अक्टूबर 2025 को हम सभी अपने गौरवशाली इतिहास को जानेंगे और प्रियदर्शी चक्रवर्ती सम्राट अशोक का गौरवशाली दिवस अशोकाविजय दशमी का उत्सव बड़े हर्षोल्लास के साथ मनायेंगे।

👉 अशोकाविजय दशमी क्या है??
आज ही के दिन चक्रवर्ती सम्राट अशोक ने कलिंग पर विजय प्राप्त किया था,
और विजय प्राप्त करने के दस दिन बाद उस समय के प्रसिद्ध बौद्ध भिक्षु महामोगलायन के पुत्र तिस्स से बुद्ध धम्म अपनाकर खुद पर विजय प्राप्त किया था।
इसीलिए ही भारत इस दिवस को विजय दिवस और सम्राट अशोक के नाम पर अशोका विजय दशमी क्योंकि दशवें दिन ही बुद्ध धम्म ग्रहण किया था नाम से जाना हैं।
👉 दसहरा क्या है??
जैसे कि नाम से अनुमान लगा सकते हैं कि दसहरा का अर्थ है। दस (10)+हरा (हरा देना) =दसहरा
और रावण लंका का राजा था जो कि बौद्ध सम्राट था जिसे पाखंडी ब्राह्मणों ने राक्षस नाम दिया था।
रावण के दस सिरों के नाम
1-चंद्रगुप्त मौर्य
2-बिंदुसार मौर्य
3-सम्राट अशोक
4-कुणाल मौर्य
5-दसरथ मौर्य
6-सम्प्रति मौर्य
7-शालिसुक मौर्य
8-देववरमन मौर्य
9-सतधनवन मौर्य
10-बृहदत मौर्य
ये सभी मौर्य सम्राट थे उस समय भारत समृद्ध था और ब्राह्मणों का वर्चस्व खत्म हो गया ब्राह्मण अंदर ही अंदर झुलस रहे थे जिनका बदला ब्राह्मण सेनापति पुष्यमित्र सुंग ने बृहदत मौर्य की हत्या करके लिया और उस समय से नफरत की आग 🔥 बुझाने के लिए दस मौर्य सम्राटों को मिलाकर एक बौद्ध सम्राट रावण का नाम दिया जिसे हर साल अशोका विजय दशमी के दिन ही जलाने लगे जिससे शूद्र समाज के अशिक्षित लोग शामिल होकर अपने ही पूर्वजों को जलाकर त्योहार मनाने लगे।
ब्राह्मणों का अपना कोई भी अस्तित्व नहीं है सब बुद्ध धम्म से चोरी करके या छीन कर कब्जा किये हुए हैं।
हम सब भारत के मूलनिवासी आर्य थे अर्थात श्रेष्ट थे बाहर आये बिदेशी अनार्य ब्राह्मणों ने खुद को श्रेष्ट बना लिया और भारत के मूलनिवासियों को अनार्य अर्थात अशिक्षित बना दिया।
अब जरूरत है कि अपने असली इतिहास को जाने और ब्राह्मणों द्वारा थोपे गये त्योहारों जिसमें हमारे ही महापुरुषों की हत्या करके जश्न मनाया गया था उसे छोड़कर अपने गौरवशाली उत्सव और महोत्सव को मनायें ।
सिंबल आफ नालेज बाबा साहब डॉ भीमराव आंबेडकर जो कि बहुत बड़े विद्वान के साथ ही साथ बहुत बड़े इतिहासकार भी थे उन्होंने इतिहास को बताने के लिए 14अकटूबर 1956 को उस दिन अशोका विजय दशमी का दिन सम्राट अशोक द्वारा चलाये धम्म चक्र को बाबासाहब डॉ भीमराव आंबेडकर ने आगे की तरफ गतिमान किया 14अकटूबर 1956 को 5 लाख 15 अक्टूबर 1956 को 3लाख 16 अक्टूबर 1956 को 3लाख इस प्रकार से लगातार तीन दिन धर्म परिवर्तन कराकर लगभग 11लाख लोगों को हिन्दू धर्म के दलदल से निकालकर बुद्ध धम्म में घर वापसी /धर्म परिवर्तन कराया था।
और बाबासाहब डॉ भीमराव आंबेडकर ने प्रतीज्ञा किया था अगर मै दो ✌️ साल और जीवित रहा तो पूरे भारत को बुद्धमय बनाकर रहूँगा।
आज जरूरत है कि सभी लोग अपने इतिहास को जाने और ब्राह्मणों द्वारा थोपे गये त्योहारों जिसमें हमारे ही महापुरुषों की हत्या करके जश्न मनाया गया था उसे छोड़कर अपने उत्सव और महोत्सव को मनायें तथा बाबासाहब डॉ भीमराव आंबेडकर की 22 प्रतीज्ञाओं सहित बुद्ध धम्म अपनाये ।

बौद्धाचार्य डॉ एस एन बौद्ध 8700667399

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