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डॉग बाबू का निवासी प्रमाणपत्र-अशोक सवाई

(अजबगजब)

            बिहार में वोटरों के लिए चुनाव  आयोग का तुघलकी  फर्मान जारी होने के बाद वोटर्स अपना अपना नाम वोटर लिस्ट में शामिल करने के लिए जद्दोजहद्द कर रहे है। इसी बिच बिहार के पटना जिल्हे में याने की बिहार की राजधानी से एक अजबगजब  मामला सामने आया है। सून कर या पढ़कर आप भी हैरान होकार अपना माथा पिटने लगेंगे हुजूर। हुवा युं की, बिहार के पटना जिल्हा प्रशासन ने कोई डॉग बाबू नामक एक कुत्ते का निवासी प्रमाणपत्र बनवा दिया। आर्टिकल के उपर  वो प्रमाणपत्र देखिएगा। 

            प्रमाणपत्र के उपरी हिस्से में लिखा है, बिहार सरकार। उसके नीचे इंग्लिश में लिखा है, Government of Bihar उसके नीचे फाॅर्म / From - Xlll उसके नीचे लिखा है निवास प्रमाण-पत्र / Residence Certificate  उसके नीचे की लाइन में जिला - District : पटना, अनुमंडल / Sub-Division मसौढ़ी, अंचल / Circle : मसौढ़ी  उसके नीचे बाए बाजू  में राजपत्र-संख्या  BRCCO

2025/15933581 उसके ठीक सामने दाए बाजू दिनांक : 24/07/2025 उसके ठीक नीचे डॉग बाबू का बडा ही खुबसुरत फोटो। उसके नीचे लिख़ा है, प्रमाणित किया जाता है की, डॉग बाबू (Dog Babu) पिता (Father) कुत्ता बाबू (Kutta Babu) माता (Mother) कुटिया देवी (Kutiya Devi) ग्राम / मोहल्ला * काऊलीकच, वार्ड संख्या – 15 * डाकघर * मसौढी, पिनकोड – 804452, थाना मसौढी, प्रखंड मसौढी, अनुमंडल * मसौढी, जिला * पटना, राज्य * बिहार के स्थायी निवासी है। उसके नीचे ठीक बाए बाजू में दिनांक : 24/07/2025 है। और ठीक नीचे QR कोड है। उसके ठीक सामने दाए बाजू में ब्रॅकेट में ( हस्ताक्षर राजस्व अधिकारी /Signature Revenue Officer) क्या बात है… बन गया डॉग बाबू का निवासी प्रमाणपत्र। अब डॉग बाबू जिस निवास में रहता होगा, उस निवास का टॅक्स भी वसूलता होगा जिला प्रशासन। अगर प्रशासन टॅक्स वसूलता है तो डॉग बाबू को सुविधा भी मुह्हया करता होगा, जिला प्रशासन। और चुनाव आयोग ने SIR के अनुसार जो 11 प्रमाणपत्र की सूची दी थी, उस में निवास प्रमाणपत्र भी शामिल है। इसका अर्थ डॉग बाबू भी वैध रहिवासी हो गया। तो उसको वोट देने का अधिकार भी प्राप्त हुवा। तो पाठक वर्ग यह है पटना जिले का कारोबार। यह है उस प्रशासन का नज़ीर। इस पर हसे या रोए? ऐसा अजब मामला हमने अपने पूरी जिंदगी में देखा नही। ना इसका कोई दुसरा उदाहरण होगा।

            बिहार के पिछडे, अतिपिछडे, आदिवासी, गरीब, मज़लूम, अल्पसंख्याक जनता बिहार में पिढी दर पिढी की निवासी है, लेकिन  उनको चुनाव आयोग के तुघलकी फर्मान से बेदखल किया जा रहा है। उनको वोट देने से वंचित रखा जा रहा है। यह सब चुनावी खेल है, इस मुल्क की आवाम अच्छी तरह समझ रही है। बिहारी जनता के पास वोटर कार्ड है, आधार कार्ड, लेबर कार्ड, (मनरेगा वाला) रेशन कार्ड है यह सब दस्तऐवज सरकार द्वारा दिए गये है। फिर भी वोटींग के लिए चुनाव आयोग इस दस्तऐवज को मानने से इन्कार कर रहा है। चुनाव आयोग जो 11 दस्तऐवज से एक प्रमाणपत्र मांग रहा है, वो सरकार की मदत के या मार्गदर्शन के और पर्याप्त समय के बिना बिहार की आवाम से जो प्रमाणपत्र चुनाव आयोग को चाहिए वो बनाने के लिए सक्षम नही। या उनके पास जो सरकारी दस्तऐवज है उसी के आधार पर उनका निवासी प्रमाणपत्र या और कोई दस्तऐवज सरकारने ही बनवा देना चाहिए। या फिर जो वोटरों के पास उपलब्ध सरकारी कार्ड है उसी को सरकाने मान्यता देनी चाहिए। यह सरकार की जिम्मेदारी बनती है। ये बात राज्य और केंद्र सरकार को समझनी चाहिए। और जनता को इस झंझट से राहत देना चाहिए। 

            इंसान को काफी जद्दोजहद्द करने बाद भी असानी से कोई सरकारी प्रमाणपत्र मिलता नही। उनके सब्र की इंतहाॅं देखी जाती है। लेकिन बडी कार्यतत्परता से डॉग बाबू को निवासी प्रमाणपत्र मिल जाता है। उसके कई व्हिडिओ व्हायरल हुवे है। आज इंटरनेट के जमाने में सारे दुनिया में चंद मिनिटों में कोई भी व्हिडिओ का प्रसार होता है। यह देख कर दुनिया हसती होगी हम पर! और शायद ऐसी ही  हरकतों की वजह से भी दुनिया के एक एक देश ने हम से कन्नी काटी होगी। आज हमारे साथ कौन खडा है? कोई भी नही। हम दुनिया में अलग थलग पड गये है। अगर भारत को अपनी साख बरकराकर रखनी है तो हम सब भुल कर हम पूरे भारतीय एकजूट होकर नये सीरे से, नयी दिशा से, हमे नयी शुरवात करनी होगी। तभी हम अच्छे मजबूत मकाम पर खडे हो सकते है। काम आसान नही, लेकिन मुश्किल भी नही। इस वक्त हमारे देश के लिए हमे अपना योगदान देना जरूरी है। लेकिन इसके लिए सरकार के पास भी मजबूत इच्छा शक्ती  होनी चाहिए। 

ता. क. इस आर्टिकल के नीचे डॉग बाबू के निवासी प्रमाणपत्र को लेकर वरीष्ठ पत्रकार योगेंद्र यादव का ट्विट शेअर किया है।

अशोक सवाई
91 5617 0699

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