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अमित शाह ने बाबा साहेब का अपमान करके मनुवाद और अंबेडकर वाद की लड़ाई को बिल्कुल आमने सामने लाकर खड़ा कर दिया है-

मनुवाद V/S अंबेडकरवाद

अमित शाह ने कहा- आजकल एक फैशन हो गया है- अंबेडकर, अंबेडकर, अंबेडकर, अंबेडकर, अंबेडकर, अंबेडकर! इतनी बार यदि भगवान का नाम लेते तो सात जन्मों तक स्वर्ग मिल जाता! अंबेडकर को मानने वाले पर्याप्त संख्या में चुनकर आ गए हैं तो ये लोग अंबेडकर अंबेडकर करने लगे हैं।
भले ही अमित शाह यह हमला कांग्रेस को ध्यान में रखकर कर रहे थे लेकिन बाबा साहेब के बारे में जिस लहजे में बात कर रहे थे वह बाबा साहेब का अपमान तो था ही दूसरी लाइन जिसमें उन्होंने भगवान और स्वर्ग की बात की यह जले पर नमक छिड़कने जैसा था शायद अमित शाह को पता न हो कि बाबा साहेब भगवान देवी देवता स्वर्ग नर्क मोक्ष उद्धार जैसी काल्पनिक बातों पर विश्वास नहीं करते थे इसीलिए अपने अनुयाइयों को मानवता वादी, तर्कवादी, नैतिकतावादी बौद्ध धम्म की दीक्षा दिलाए थे।
पूरे देश में अमित शाह के खिलाफ अंबेडकरवादी सड़कों पर प्रदर्शन कर रहे हैं अमित शाह से माफी मांगने और गृहमंत्री पद से इस्तीफा देने की मांग कर रहे हैं लेकिन अमित शाह शायद अभी समझ ही नहीं पाये हैं कि उन्होंने कितनी बड़ी गलती कर दी? शायद बुद्ध कबीर, ज्योतिबा फुले, बाबा साहेब डा अंबेडकर और रामास्वामी पेरियार को पढ़ने का उन्हें मौका ही न मिला हो। सही भी है कि जब सिर्फ ‘जय श्रीराम’ और ‘मोदी मोदी’ करके भारत के गृहमंत्री पद तक पहुंचा जा सकता है तो इतना पढ़ने की जरूरत ही क्या है?
यही फर्क है मनुवाद और अंबेडकर वाद में, मनुवादी बनने के लिए भगवान या अपने आका के नाम की माला जपना ही पर्याप्त है लेकिन अंबेडकरवादी बनने के लिए सतत पठन पाठन करते हुए हुए खुद को अपडेट रखना पड़ता है किसी के सवालों का तर्कसंगत जबाब देना पड़ता है। नैतिकता का पालन करते हुए चरित्रवान भी बनना पड़ता है। संगठित होना पड़ता है, संगठित होकर संघर्ष भी करना पड़ता है।

मनुवादी खुद को मनुवादी कहलाने में शर्म महसूस करता है इसलिए खुद को सनातनी कहेगा, हिन्दुत्ववादी कहेगा इस तरह सनातन और हिन्दुत्व की आड़ में अपनी मनुवादी विकृति को छुपाते घूमता है लेकिन वह विकृति उसके व्यवहार एवं जबान पर आ ही जाती है जैसे अमित शाह के जबान पर आ गई,
मनुवाद के लाभार्थी जनेऊ धारियों को पता है कि मनुवाद मानवता के लिए कलंक है इस पर मूर्ख से मूर्ख व्यक्ति गर्व नहीं कर सकता इसलिए वे कहते हैं ‘गर्व से कहो हम हिन्दू हैं’ यह नहीं कहते कि ‘गर्व से कहो हम मनुवादी हैं’ क्योंकि मनुवादी व्यवस्था में शूद्रों और महिलाओं के लिए ऐसे ऐसे नियम कायदे हैं कि मनुवाद पर गर्व नहीं शर्म ही किया जा सकता है। मनुवाद दुनिया में सबसे निकृष्टतम विचारधारा पर आधारित सामाजिक व्यवस्था है जिसका दंश शूद्र अर्थात एससी एसटी ओबीसी समाज और महिलाएं आज भी झेल रही हैं।
वहीं अंबेडकर वाद को पूरी दुनिया में सम्मान की नजर से देखा जाता है।
अंबेडकरवादी छाती ठोक कर बोलता है कि हां मैं अंबेडकर वादी हूँ और मुझे बाबा साहेब सहित सभी समतावादी, मानवता वादी महापुरुषों पर गर्व है, बाबा साहेब तो प्रतीक मात्र हैं उस समतावादी विचारधारा के जिसकी बुद्ध से लेकर फुले साहू अंबेडकर पेरियार तक लंबी शृंखला है। अंबेडकरवादी मतलब सदियों से विषमता वाद के खिलाफ चल रही समतावाद की लड़ाई का एक सिपाही जब हम जयभीम कहते हैं तो वह सिर्फ जयभीम ही नहीं होता जय ज्योतिबा, जय साहू महाराज, जय पेरियार भी होता है।
मनुवादियों के पास कोई आदर्श नहीं होता जो होते भी हैं सभी काल्पनिक सारे आदर्श काल्पनिक कहानियों के पात्र।
जबकि अंबेडकरवादियो के सारे आदर्श वास्तविक होते हैं वे यहीं पैदा हुए और शोषित पीड़ित जनता के उत्थान के लिए आजीवन संघर्ष किया और मानवता वाद को स्थापित करने के लिए महान विचार देकर गए उनके बताए मार्ग पर यदि देश चलने लगे तो यह देश किसी काल्पनिक स्वर्ग से लाखों गुना सुंदर बन जायेगा।
अमित शाह जिस भगवान का नाम लेने पर स्वर्ग मिलने की बात कर रहे हैं न उस भगवान का आज तक पता चला न उसके स्वर्ग का । अंबेडकरवादी किसी काल्पनिक भगवान या उसके स्वर्ग को नहीं मानते, यहीं चूक गए अमित शाह उन्होंने भगवान और स्वर्ग को बाबा साहेब से ज्यादा महत्वपूर्ण बताने की कोशिश कर दी।
बाबा साहेब ने करोड़ों दलितों पिछड़ों और महिलाओं का जीवन बदल दिया बाबा साहेब का उपकार हर देशवासी पर है।
बाबा साहेब ने जीवन भर जो संघर्ष किया उसका लाभ प्रत्येक भारतीय को आज भी मिल रहा है।
अमित शाह का भगवान उसके नाम की माला जपने वाले की सात जन्मों तक स्वर्ग की बुकिंग करता है वह भी किसी ने देखा नहीं।

भारत में बाबा साहेब के परिश्रम का फल चारों तरफ दिख रहा है।
फिर भी बाबा साहेब ने कहा था मेरे नाम की माला मत जपना बल्कि मेरे विचारों पर चलने की कोशिश करना इस मिशन को आगे बढ़ाने की कोशिश करना!
अमित शाह ने जानबूझकर या अनजाने में मनुवाद V/S अंबेडकरवाद की लड़ाई की आग में अपने बयान से घी डालने का काम किया है माफी मांग कर इस आग पर पानी छिड़कने का काम कर सकते हैं।
मनुवाद और अंबेडकरवाद की इस लड़ाई में निश्चित रूप से अंबेडकरवाद जीतेगा ही मनुवादियों की ऐसी गलतियों से वह जीत और निकट आती जायेगी। अंबेडकरवाद की इस जीत को मनुवादियों की ईवीएम भी नहीं रोक पायेगी,

चन्द्रभान पाल (बी एस एस)

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