जैसे बोला वैसै’ मा. राहुल गांधी” संविधान सम्मान संमेलन”६ नवंबर २०२४, नागपूर.
मेरे प्यारे भाईयों और बहनों, यहा पर उपस्थित मेरे वरिष्ठ समाज सेवियों!
ऐसे अब हम तीन-चार संमेलन कर चुके है. आपने अब तक कैसे किया होगा पर आपने ऐसे विचार रखे होंगे, ये अच्छा लिखा हो सकता है एक प्रकार से क्रेडिबिलिटी और डायरेक्शन आपने दिया होगा । अभी आपने आंबेडकर जी के वैल्यू की बात की और अब हमारे हर सम्मेलन में आंबेडकर जी की ही बात होती है, शाहू महाराज जी की बात होती है, छत्रपति शिवाजी महाराज की बात होती है, महात्मा फुले की बात होती है, सावित्री फुले जी, सारे महापुरुषोंकी, आंबेडकर जी, महात्मा गांधीजी, बिरसा मुंडा जी, इसमें बुद्ध भगवान का नाम जोड़ा जाता है बसवनाथ, नारायण जी हर तरह की बात होती है, और फिर उनकी हम याद करते हैं और कहते हैं गांधी जी अमर रहे, आंबेडकर जी अमर रहे । हर समय उन पर मनाई लगती है, मगर चिंता यह है कि जब हम आंबेडकर जी की बात कर रहे हैं, गांधी जी की बात कर रहे हैं तो हम केवल एक व्यक्ति की बात नहीं करते! तो जब हम आंबेडकर जी की बात करें ! कि ये व्यक्ति कौन थे? इनकी इनकी जर्नी क्या थी? हम आंबेडकर जी के एक बूंद है! क्या आंबेडकर जी बोलते थे तो करोड़ों लोगों की आवाज वह बोलते थे करोड़ों लोगों की आवाज उनके मुंह से निकलती थी । केवल आंबेडकर जी की आवाज निकलती थी ईसलिए उनको याद नहीं करते हैं, इसलिए याद करते हैं तब वह केवल दूसरों का दु:ख था दूसरों का जो दर्द था वह उनके मुंह से निकलता था । उनके मुंहसे केवल दूसरों का दु:ख, उनके मुंहसे केवल दूसरों का दर्द ही निकलता था! तो जब हमने इस कॉन्स्टिट्यूशन को बनाया तब हिंदुस्तान में केवल कांग्रेस पार्टी ही नहीं, महात्मा गांधी, जवाहरलाल नेहरू जी, महात्मा गांधी जवाहरलाल नेहरू जी, सरदार वल्लभभाई ने कहा की, केवल आंबेडकर जी ने इस संविधान को बनाया वह भी तो देश इनसे कह रहा था की संविधान में देश में जो करोड़ों लोग है, जो उनका दर्द है, जो उनको सहना पड़ता है वह दु:ख वह आवाज इस कॉन्स्टिट्यूशन में लिखनी पड़ेगी और वह काम अंबेडकर जी ने किया । और लोग कहते हैं कि ईसे आजादी के एकदम बाद लिखा। तो मैं आपसे आज यह पूछना चाहता हूं कि क्या इसमें फूले जी की आवाज नहीं है?, इसमें बुद्ध भगवान की आवाज नहीं है? फूले जी की, सावित्री जी इन सब की आवाज नहीं है ? तो यह जो है जिसकी आज हम रक्षा कर रहे हैं यह हजारों साल पुरानी है! ना की आजादी के बाद की ।
इसके अंदर सोच है । लोग कहते हैं कि यह माॅडर्न वर्जन है, 20 th सेंचुरी का वर्जन है! मगर इसमें जो सोच है वह हजारों साल पुरानी है इसमें जो कहा है वही भगवान बुद्ध ने कहा है , वही महात्मा फुले जी ने कहा है, वही आंबेडकर जी ने कहा है और इसके पीछे हिंदुस्तान का विजन है यह सिर्फ किताब नहीं है । यह जीने का एक तरीका है, काम करने का एक तरीका है तो हम जिएंगे तो देश के लिए जिएंगे, एक दूसरे का आदर करेंगे, रिस्पेक्ट करेंगे और जितनी जगह हम चाहते हैं उतनी ही लेकर हम दूसरों के लिएभी तैयार रखेंगे। इसमें कहीं नहीं लिखा है कि, एक व्यक्ति हिंदुस्तान के लिए पूरा धन, धरती, हिंदुस्तान का भविष्य नहीं लिख सकता!
इसमें लिखा है, समानता होनी चाहिए, सबका आधार होना चाहिए हिंदुस्तान के हर व्यक्ति के लिए हर सुविधा होनी चाहिए, हर जात, हर व्यक्ति, हर प्रदेश का समान अधिकार होना चाहिए मगर आर एस एस के लोग बीजेपी के लोग कहते हैं, इस पर आक्रमण करते हैं । वह केवल इस किताब पर आक्रमण नहीं कर रहे हैं वह हिंदुस्तान की आवाज पर आक्रमण कर रहे हैं कॉन्स्टिट्यूशन पर आवाज कर रहे हैं, सरकार की अनेक संस्थाएं रहती है, इलेक्शन कमीशन रहता है, ये नहीं होता तो यह संस्थाएं भी नहीं होती । राजा महाराजाओं के पास यह विजन नहीं होता तो इस पर हिंदुस्तान की एक्जिस्टिंग सभी सिस्टम आईआईटी आईआईएम प्रायमरी हेल्थ एजुकेशन सिस्टम यह सब होता है । आप इस पर दिखा दीजिए अगर ये ना होता तो एक अस्पताल नहीं मिलेगा, एक प्राइमरी स्कूल नहीं मिलेगा, कुछ भी नहीं मिलेगा
। यह नहीं रहा तो ये सब गायब हो जाएगा और आरएसएस इस पर एक भी बात नहीं करते हैं, डरते हैं और सामने से आक्रमण नहीं, दूरसे करते हैं, उनके पास ईसका डर है तो वे पास नहीं आते ! वे आते है तो शभ्दकौशोंसे आते है, पास से नही आ सकते; वह जानते हैं कि जब वह सामने से आएंगे उसी दिन कहानी खत्म हो जाएगी वह चुप चाप आ रहे हैं ! वह अलग-अलग शब्दों के पीछे छुप के आते हैं… विकास …प्रगति …इकोनामी …. अलग-अलग शब्दों के पीछे छुप छुप के आते हैं , मगर लब्स तीखे हैं, वे चुपके से आते हैं; इसको भी थोड़ा समझना होगा । तो वह आ जा के कांग्रेस के ऊपर आते हैं तब हमको कहते हैं भैया आजाओ! किसी ने अच्छी बात बोली मुझे दो-तीन दिन पहले…अगर जानवर गला पकड़ कर मारता है उसे पहले बुलाता है, तो वे कूट-कूट के आते हैं कभी शिशु मंदिर से आते हैं, कभी युट्युब पर, ईस बिल्डिंग से और कई तरीके से आते है! और हमें डराते है!
वे कहते है यह राजीव गांधी की सरकार है, यह कांग्रेस वालों की सरकार है, वादों की सरकार है, इस बिल्डिंग (लोकसभा भवन) की सरकार है, बजट का पैसा है, इलेक्शन का पैसा है इलेक्टोरेल बॉन्ड का पैसा है तो बीच में राहुल गांधी का सवाल ही नहीं है और बीच में मैं आ जाता हूं, और मेरा काम है जनता के बीच में आना और जनता की बात बोलना । एक छोटी सी आवाज है एकदम छोटी सी और वह है *"जाति जनगणना"* और आस्ते आस्ते जाति गणना,जाति जनगणना, जाति जनगणना जैसे आंबेडकर जी को एक नाम दिया गया है, वैसे जाति जनगणना एक *"न्याय"* है ! देश में 90% लोगों के पास कोई पावर ही नहीं है, कोई पैसा नहीं है, कोई धन नहीं है, कोई आदेश नहीं है, कोई आदर्श नहीं है यह जो शिक्षक होता है वह बहुत क्यूट होता है पर उसके पास कोई पावर ही नहीं है । 24 घंटा फ्री रहता है और मैं जाकर उसको कह दूं कि भैया यह नारा लगाना है ! कैसे लगाएगा ! उससे अच्छा कह दो की भैया धन ले लो, उसके रास्ते खोलो, उसे थोड़ी पावर दे दो और उसे रेस्पेक्ट देना जरुरी नहीं है !
मैं चाहता हूं की सबसे बड़ा सवाल यही गलती करना है तो यह जो चाहते है भैया यह जो सब अफसर है यह अपना परिचय दे दे गलती से कह दिया उन्होंने और अब परिचय दूं तो उसमें मुझे परेशानी याद आ जाए! मुझे एक ओबीसी छात्र दिखा दीजिए मैंने पता लगाया था अपने सेक्रेटरी से इन सब पर ध्यान दो और पता लगाओ कि इनमें से ओबीसी कितने हैं, दलित कितने हैं, आदिवासी कितने है, माईन्यारिटी कितने है? सब वही है ओपन क्लास ! ओबीसी एक नहीं, दलित एक नहीं, आदिवासी एक नहीं, माइनॉरिटी एक नहीं, मेडिकल सेक्टर में एक ओबीसी छात्र दिख जाए, एक दलित छात्रा दिख जाए, सॉफ्टवेयर देखता हूं कि भैया कोई एक नाम मिल जाए 500-500 सूचियां है । मोदीजी ने 2000 करोड़ माफ किया 20-25 लोगों में । मोदी जी ने माफ किये हुए सुचियों में एक आदिवासी दिख जाए, एक कोई माईन्यारिटी दिख जाए! सब जनरल कास्ट के ही मिलेंगे! यह सब भार लोगों पर ठोकना चाहते है! आप देखो जुडिशरी में, सभी संस्थाओं में देखिए आपको 90% हिंदुस्तान दिखेगा ही नहीं । आजकल पेपरो में, न्यूज़में देख लो मैं टॉप पेपर की लिस्ट देता हूं कि उसमें कोई ऐसा दिख जाए ! यह हो क्या रहा है ? अदानी जी के कंपनी में मैनेजमेंट सेक्टर में कोई माइनॉरिटी नहीं मिला! कौन लोग है यह? उसमें एक दलित नहीं मिलेगा, एक आदिवासी नहीं मिलेगा, एक ओबीसी नहीं मिलेगा ! 22 पर्सेंट लोग हिंदुस्तान चला रहे हैं ऊपर तक वही लोग हैं! 24 घंटे यह कहने में वक्त बिताते हैं कि, राहुल गांधी किसानों की आदत बिगाड़ रहा है तो भैया क्या आपने उद्योगपतियों की आदत नहीं बिगाड़ी ? 16 लाख करोड़ माफ कर दिया है तो यहां कोई बात करें तो 90% लोगों की हालत बिगड़ी है ! अलग-अलग फंडिंग होते हैं; पर किसानों की जब बारी आई कोई फंड मांगे तो कह देते हैं कि, नो फंड!
अब अडानीजी एक लाख करोड़ अगर दिलवा दे तो उसको क्या कहते हैं देशभक्ति ? किसानों को डिफाल्टर बना देते ....और देशभक्ति - वह देशभक्ति सारा दिन भर घूमता रहता है, और इसको हम बिगाड़ देते हैं..... प्रगति विकास....यह उनके शब्द है ! पर मै कहता हूं..किसकी प्रगति? किसका विकास? किसका लोन ? यह भी बता दो ! इसलिए हमारी यह मांग है की जाति जनगणना ...!! जाति जनगणना करा दों यह मेरे शब्द नहीं है यह मैंने जो आपको बोला... यह मेरा काम नहीं है! मेरा काम है *'एमप्लीफायर'* !!! मेरा काम है आपके पास आकर आपका सुनना, हिंदुस्तान के गरीब लोगों की आवाज सुनना, हर एक व्यक्ति को सुनना और उसको उजागर करना फिर आवाज को थोड़ी सी गहरी फिर और गहरी फिर और गहरी करना तब मोदी अपना चेहरा बदल देंगे ।
“जाति जनगणना” से सब कुछ साफ हो जाएगा हिंदुस्तान का हर व्यक्ति चाहे वह साथ का हो चाहे वह दलित हो चाहे वह माइनॉरिटी का हो पिछड़ी जात का हो, महिला हो सबको पता लग जाएगा कि हमारे हाथ में कितनी पावर है हमारे हाथ में कितना फंड है । मै गारंटी कहता हूं कि हिंदुस्तान में जितना धन है जब हम हिंदुस्तान के एसेट को देखेंगे, हिंदुस्तान की पूंजी को देखेंगे उसमें ना कोई दलित है ना कोई आदिवासी है ना कोई और यह जो जाति जनगणना है यह जीने का तरीका है ,पैराडिज्म है, मतलब यह एक जीने की परिभाषा है दुनिया में एक व्यक्ति है जिसका मैं नाम नहीं लूंगा वह मुझे कहते हैं कि, राहुल दुनिया में हमारा देश सबसे अमीर देश है और फिर मैं उनसे एक बात कहता हूं कि भैया जब मैं एनालिसिस करता हूं मुझे एक बात बता दो आपने जो एनालिसिस किया है इसमें एक बार भी ‘जात’ यह शब्द का प्रयोग नहीं किया है ।
मतलब यह है की, क्वालिटी का यह जो स्त्रोत है वहां पर आपका कोई है ही नहीं ; मेरे एक जो दोस्त है उनसे मैं बात करता हूं तो इसमें जात है ही नहीं, मैंने ही नहीं देखी तो तुझे कहां से दिखेगी अगर आप देखना चाहते हो तो आपको ढूंढना पड़ेगा मगर दलित लोगों को जोड़ना पड़ेगा, लोग कितने हैं माइनॉरिटी कितनी है, पिछड़ी लोग कितने हैं उनको जरूर जोड़ना पड़ेगा ढूंढना पड़ेगा तो जाति जनगणना की ही बात कर दो! मैं कहता हूं कि बस जाति की जनगणना होनी चाहिए खत्म बात जाति का जनगणना होगा मतलब होगा यह जो मीडिया रिपोर्टर है यह नहीं चाहते कि, यह सब हो क्योंकि यह उनके पाले हुए हैं लेकिन हिंदुस्तान के 90% लोग चाहते हैं की जाति जनगणना होगा ! हमारा आपका काम है एमप्लीफिकेशन का है ! समझाने का काम है की, देखो जाति जनगणना से ही संविधान बदलेगा अगर जनता को पता लग गया कि उनके साथ क्या हो रहा है, अन्याय हो रहा है तो एकदम से वह आगे बढ़ेंगे और स्थिति बिगड़ेगी और आप 'एमप्लीफायर' हो ! मेरे प्यारे देशवासियों आप ही 'एमप्लीफायर' है ! यह देश को बचाना है कि गरीबों के साथ, 90% लोगों के साथ अन्याय हो रहा है और उसके खिलाफ हम सब लड़ेंगे और पहले संसद में हम जाति जनगणना और 50% आरक्षण यह बात करेंगे और मोदी जी कहते हैं आपने सुना होगा के देखो राहुल गांधी यह देश को बांटने की कोशिश कर रहा है ।
और कहते हैं ना के मैं देश को बता रहा हूं कि 90% लोग इस देश की प्रगति में शामिल नहीं है, मैं देश को बता रहा हूं कि जुडिशरी में, मीडिया में कारपोरेट सेक्टर में यह 90% लोग नहीं है, हंड्रेड परसेंट वही लोग हैं आप देखो आजू-बाजू में आदिवासी, पिछड़े दलित लोग है ही नहीं ! मैं आपको बता दूं कि वह कहां है ? जेल में, मनरेगा में मनरेगा की नाली में, मैन्युअल लेबर में नगर परिषद में बस यह नगर परिषद के लिए ही बने है ! 90% यह लोग हैं मगर इसका फायदा उठाते यह लोग हैं ! इसी इमारत का फायदा यह लोग उठा रहे हैं तो यही सवाल मैं उठा रहा हूं और मुझे बहुत खुशी है आपसे मिलकर बहुत अच्छा लगा, मजा आ गया! जहां भी जाता हूं आप जैसे लोग मिलते हैं मैं उनसे मिलता हूं, आप मुझसे मिलते हैं मुझे खुशी मिलती है मतलब मैं इतना लंबा भाषण दे रहा हूं लेकिन आप 2 मिनट में समझ जाते हो कि मैं यह क्या कह रहा हूं जो मैं आधे घंटे बोला वह आप 5 मिनट में समझ गए आपकी नीयत मेरी नियत साफ है तो एक दिन ऐसा काम करना है ! जाति गणना और 50% आरक्षण! आप लोगों से मिलकर बहुत अच्छा लगा, जय संविधान ! आपका बहुत-बहुत आभार बस मेरी बताए हुए बातों का ध्यान रखना है ।
मा. राहुल गांधी का भाषण (जैसा के वैसा)
संकलन: आनंद कोहाड;
नागपूर समन्वयक,
भारत जोडो अभियान.
7387083434
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दैनिक जागृत भारत