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बुध्दिमान और बुद्धिहीन में अंतर
- बुध्दिमान लोग क़िताबों की पूजा करते हैं।
- बुद्धिहीन लोग पत्थरों की पूजा करते हैं।
- बुद्धिमान लोग अपने बच्चों को स्कूल भेजते हैं।
- बुद्धिहीन लोग अपने बच्चों को मंदिर भेजते हैं।
- बुद्धिमान लोग संविधान पढ़ते हैं।
- बुद्धिहीन लोग गीता रामायण पढ़ते हैं।
7.बुद्धिमान लोग अपना हक सरकार से मांगते हैं। - बुद्धिहीन लोग अपना हक भगवान से मांगते हैं।
- बुद्धिमान लोग बीमार पड़ने पर डॉक्टर के पास जाते हैं।
- बुद्धिहीन लोग बीमार होने पर ओझा गुनी पाखंडी के पास जाते हैं।
- बुद्धिमान लोग अपने बच्चों को अपने महापुरुषों के इतिहास सुनाते हैं।
- बुद्धिहीन लोग अपने बच्चों को नकली भगवान के कथा सुनाते हैं।
- बुद्धिमान लोग अपने बच्चों का नाम खुद रखते हैं।
- बुद्धिहीन लोग अपने बच्चों का नाम ब्राह्मण से रखवाते हैं।
- बुद्धिमान लोग अपने घर के मंगल कार्य में ब्राह्मण को नहीं बुलाते हैं अपने समाज के बौद्धाचार्य से संपन्न करते हैं।
- बुद्धिहीन लोग अपने घर के हर मंगल कार्य में ब्राह्मण से करवाते हैं।
- बुद्धिमान लोग अपने पुरुषार्थ पर विश्वास करते हैं।
- बुद्धिहीन लोग ब्राह्मण या नकली भगवान पर विश्वास रखते हैं।
- बुद्धिमान लोग मुसीबत आने पर संविधान की मदद लेते हैं।
- बुद्धिहीन लोग ब्राह्मणवादियों की खुशामद करते हैं।
- बुद्धिमान लोग अपने समाज को संगठित करते हैं।
- बुद्धिहीन लोग अपने समाज में बिखराव पैदा करते हैं।
23 बुद्धिमान लोग अपने समाज के लिए समर्पित रहते हैं। - बुद्धिहीन लोग दूसरे समाज के लोगों का तलवा चाटते हैं।
- बुद्धिमान लोग अपने महापुरुषों को अपना मार्गदाता मानते हैं।
- बुद्धिहीन लोग नकली भगवान को मुक्तिदाता मानते हैं।
अब आपको तय करना है कि आप इन दोनों श्रेणियों में से किस श्रेणी में आते हैं। बुद्धिमान में या बुद्धिहीन में।
यादव शक्ति पत्रिका से संकलित ।
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दैनिक जागृत भारत