” संपूर्ण बहुजन समाज को ‘सुसंघठीत’ बनाने का फॉर्मुला नंबर (१) वन “
प्रो.विनोद गोविंदराव सावळे
१.EDUCATE ! & BE WELL ORGANIZED !
**प्रमुख ध्येय और उद्देश्य:’ज्ञान भावना’ का विकास करना’ ! i)शिक्षित करो !
ii)’मंगल मैत्री’ को विकसित करो !!
iii)सुसंघठीत रहो !!!
अ)प्रथमत:अपने आप को,खुद को ही एक अच्छे ढंग से,एक अच्छे तरिके से शिक्षित-प्रशिक्षित करो !
ब)उसके बाद में अपने तमाम बहुजन समाज को शिक्षित- प्रशिक्षित करो !
क)शुरुवात से लेकर अंत तक सुसंघठीत होकर ही शिक्षित बनो,करो ! प्रशिक्षित करो !
ड)शुरुवात से लेकर अंत तक सुसंघठीत बने रहो ! एवंम शिक्षित प्रशिक्षित करते रहो !
- प्रमुख आधारशिला:
i)’मंगल मैत्री भावना’ का विकास करना
ii)’विनम्रता की भावना’ को विकसित करना
iii)’शिस्त और अनुशासन’ की भावना को विकसित करना
iv)सब्र,संयम और समझदारी (सुझबुझ) की भावना को विकसित करना
v)समता,स्वतंत्रता और बंधुत्व (न्याय) की भावना को विकसित करना !
२.AGITATE ! & BE WELL ORGANIZED !!
**प्रमुख ध्येय और उद्देश्य:’क्रांती की भावना’ का विकास करना !
i)जागृत करो !
ii)मंगल मैत्री भावना को विकसित करो !!
iii)सुसंघठीत रहो !!!
अ)प्रथमत:अपने आप को,खुद ही को एक अच्छे ढंग से,अच्छे तरिके से जागृत करो ! अपने आप को ही पहले जगाओ !
ब)उसके बाद में बहुजन समाज को जगाओ, जागृत करो
क)सुसंघठीत होकर ही जगाओ और जनजागृत करो !
ड)अंत तक,आखिर तक सुसंघठीत होकर ही जगाओ और ‘बहुजन समाज’ को जागृत करो !
- प्रमुख आधारशिला:
i)मंगल मैत्री भावना
ii)विनम्रता की भावना को विकसित करना
iii)शिस्त और अनुशासन का पालन करना
iv)सब्र,संयम और समझदारी को विकसित करना
v)समता,स्वातंत्र्य और बंधुत्व (न्याय) की भावना को विकसित करना !
३.ORGANIZE ! & BE WELL ORGANIZED
- प्रमुख ध्येय और उद्देश्य:’मंगल मैत्री’ की भावना का विकास’ करना है ! अर्थात:’संघठनशक्ती’ का विकास करना है !
( ‘तथागत भ.गौतम बुद्ध’ की असली ‘संघ भावना’ का संपूर्ण विकास करना है !)
i)संघठीत करो !
ii)’मंगल मैत्री की भावना’ को विकसित करो
iii)सुसंघठीत रहो !
( शुरुवात से लेकर अंत तक, आखरी समय तक,आखरी वक्त तक डटे रहो )
अ)प्रथमत: अपने आप को, खुद को ही एक अच्छे तरिके से, बढिया तरिके से ‘सुसंघठीत करो’ !
ब) उसके बाद में सारे,तमाम बहुजन समाज को सुसंघठीत करो
क)प्रथमत:संघठीत होकर, सुसंघठीत करो !
ड)शुरुवात से लेकर अंत तक, आखिरी समय तक सुसंघठीत होकर ही तमाम, सारे बहुजन समाज को सुसंघठीत करो ! - प्रमुख आधारशिला:
i)’मंगल मैत्री भावना’ को विकसित करना
ii)विनम्रता के भाव को विकसित करना
iii)शिस्त और अनुशासन को विकसित करना
iv)सब्र,संयम और समझदारी की भावना को विकसित करना
v)समता,स्वतंत्रता और बंधुत्व (न्याय ) की भावना को विकसित करना !
“If ‘United’ we can stand, if divided we can ‘Fall”.
*”एक संघठीत भावना से हम सब मजबुती से डटकर खडे हो सकते है,वरना हम गीर सकते है !”
- “मंगल मैत्री भावना (बंधुभावना) यह हमारे किसी भी संघठन का ‘प्रमुख हृदय’ एवंम एक प्रमुख केंद्रबिंदू ही तो है !”
- “सबसे पहले हमको एक अच्छा इन्सान बनना बहोत ही जरुरी है”!
- “अगर चलाना है हमें कोई भी ‘संघठन’ या फिर ‘मिशन’, तो सबसे पहले और प्रथम हमें बनना होगा इक अच्छा इन्सान,भला इन्सान !”
दिनांक:०६-१०-२०२४
-:मूल विचार,संकल्पना,संशोधक एवंम लेखक:-
प्रो.विनोद गोविंदराव सावळे
तहसील:दिग्रस,जिला: यवतमाल,महाराष्ट्र राज्य,प्रबुद्ध भारतीय गणराज्य !
जयभीम
जय संविधान
जय आम इन्सान
जय बहुजन समाज
जय मूलनिवासी
जय भीमक्रांती !
!! सत्यमेव जयते !!
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