छत्रपति शिवाजी महाराज जी के 350 वे दुसरे शाक्त राज्याभिषेक वर्ष की सभी को हार्दिक शुभकामनाएँ|
डॉ. प्रताप चाटसे
इस महत्वपूर्ण दिन पर आज बुद्ध के जन्मस्थल लुंबिनी में “छत्रपति शिवाजी महाराज का बौद्ध धर्म से संबंध” यह महत्वपूर्ण किताब प्रकाशित हो रहा है| छत्रपति शिवाजी महाराज का दुसरा राज्याभिषेक वास्तव में ब्राम्हणधर्म को नकारकर बौद्ध धर्म को अपनाने वाला शाक्त राज्याभिषेक अर्थात बौद्ध राज्याभिषेक है|
शाक्त परंपरा प्राचीन बौद्ध परंपरा है और छत्रपति शिवाजी महाराज के साथ साथ छत्रपति संभाजी महाराज भी शाक्त अनुयायी थे| शाक्त राज्याभिषेक बौद्ध परंपरा से जुडा होने के कारण जानबूझकर ब्राम्हण लोग इस राज्याभिषेक पर चर्चा नही करते|
प्राचीन बौद्ध परंपरा को फिर से जीवित करने का कार्य शाक्त राज्याभिषेक के रूप में छत्रपति शिवाजी महाराज जी ने किया था| इसलिए राष्ट्रपिता जोतिबा फुले जी ने भी इसी दिन सत्यशोधक समाज की स्थापना कर दी थी और सत्यशोधक बुद्ध को समाज के सामने लाने का प्रयास किया था|
शाक्त राज्याभिषेक दिन और सत्यशोधक समाज स्थापना दिवस की सभी को हार्दिक शुभकामनाएँ|
-डॉ. प्रताप चाटसे, बुद्धिस्ट इंटरनेशनल नेटवर्क
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दैनिक जागृत भारत