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Grok AI अर्थात आर्टिफिशियल इंटेलिजन्स — अशोक सवाई

(वैज्ज्ञानिक दृष्टीकोन)

अतीत में साधारण २५०० साल पहले विश्व में अगर किसीने घोर ज्ज्ञान साधना की है तो वे है भारत के महान सुपुत्र तथागत गौतम बुद्ध। उन्होने अखिल मानव जाती को संदेश दिया था की अपने जीवन में वैज्ज्ञानिक सोच के साथ अपना जीवन सफल बनाओ। वो आज भी उतना ही प्रासंगिक है। और आगे भी निरंतर काल के लिए रहेगा। विश्व के विभिन्न देशों ने विज्ज्ञान का सहारा लेकर ही अपने अपने देशों में विकास के नये नये मंजिले खडे किए है। आज की तारीख में दुनिया की तुलना में विकास के क्षेत्र में हम कहाॅं खडे है? यह पाठक वर्ग भलीभांती जानते है, उनको अलग से कहने की जरूरत नही।

अमरीका के एक नामी शख्स है जिनका नाम इलाॅन मस्क, इनका अपना खुद्द का सॅटेलाईट भी है। अमरीका की कंपनी NASA = National Aironotic Space Administration (नॅशनल एरोनॉटिक्स स्पेस ॲडमिनिस्ट्रेशन) खुद्द अंतरिक्ष अध्ययन के लिए उक्त बरखुरदार के सॅटेलाईट की सहाय्यता लेती है। तो हुजूर… जरा सोचिए इलाॅन मस्क नाम के यह महाशय कितने ताकतवर और प्रभावशाली होंगे? अच्छा! और तो और दुनियाभर में अपने ताकती प्रभाव का आलम रखनेवाले अमेरिका के आला कमान डोनाल्ड ट्रम्प का तथास्तू वाला हात इलाॅन मस्क के सर पर है। और इलाॅन मस्क पक्के बिझनेसमैन है। और जो बिझनेसमैन होते है वे अपने बिझनेस में नुकसान उठाना बरदास्त नही करते। खैर…

तो जनाब, अमरीका के इलाॅन मस्क नाम के शख्स ने अब Grok AI नाम का आर्टिफिशियल इंटेलिजन्स लाॅंच किया है। जैसे ही ग्रोक लाॅंच हुवा वैसे ही मुल्क के युजर्सने ग्रोक से सवाल पुछने की झडी लगा दी। और ग्रोकने भी उनके सवालों को बडे बेबाकी से जवाब देना शुरू किया। अच्छा! इस ग्रोक की खासियत यह है की, युजर्सने जिस भाषा में सवाल किये है ग्रोक उसी भाषा में जवाब देता है। मानो अगर युजर्सने सभ्यता, शालीनता से सवाल पुछे तो वह भी सभ्यता से जवाब देता है। अगर किसीने असभ्यता या गालीगलोच भाषा का प्रयोग किया तो ग्रोक ठीक उसी भाषा में उत्तर देता है। बीजेपी आयटी सेल के भक्तों को मिर्ची लगने वाले उत्तर पसंत नही आते तो वो लोग बौख़लाकर असभ्यता से प्रश्न पुछते है तो ग्रोक भी उसी भाषा में उत्तर देता है। इससे झूठ का आडंबर फैलाने वाले बीजेपी आयटी सेल वाले भक्त हैराण, परेशान हो गये। ग्रोक ने हप्तेभर में ही सारे देश में तहलका मचा दिया। अब तक केंद्र की बीजेपी सरकार, आर एस एस, गोदी मिडिया, सांप्रदायिक नेता, बीजेपी आयटी सेल वाले इन सब के बारे में युजर्सने जो जो सवाल किये उसके सही सही जवाब ग्रोक ने दिए है। और ग्रोक यह भी समझाता है की इतिहास के पन्नो का अध्ययन किजिएगा। ग्रोक इतिहास के तथ्यों को सामने रखकर ही जवाब देता है। किसी भावनाओं के आधार पर नही। जिससे इतिहास के जानकार परिचित है। और पिछले दस सालोंसे झूठ के पुलिंदे पर झूला झूलने वाले सारे बेनकाब हो गये। तो सच्चाई छुप नही सकती बनावट के उसूलोंसे… अगर इसके भी आगे जाकर कहें तो अब इन सब की हालत ऐसी हो गयी है की, मुझे जिंदगीने मारा… मुझे बेबसीने मारा…

अब भक्तगण अपने अब्बाजान को गुहार लगा रहे है की, हे जनाब-ए-आलम् कुछ करो नही तो ये ग्रोक ऐसा किक् लगाएगा की, हम कहीं के नही रहेंगे। अब सुनने में आया है की, बीजेपी के आला कमान, वजीर-ए-आलम् और उनके नबाबी थाट के नुमाइंदे इमर्जन्सी मिटिंग पर मिटिंग बुला रहे है की भै… क्या किया जाए? उधर इलाॅन मस्क ने अभिव्यक्ती आझादी का उल्लंघन हो रहा है कहकर, भारत सरकार के विरोध में पहले ही कर्नाटक हायकोर्ट में याचिका दायर की है। सीधे सरकार से सवाल करके अपने पत्रकारिता का सही सही धर्म निभानेवाले पत्रकार भाजपाईयों के नजर में ऐरागैरे पत्रकार होते है। और उनपर तुरंत कारवाई की जाती है। परंतु अब इलाॅन मस्क तो अपने मुल्क का ऐरागैरा पत्रकार तो है नही, जिसपर तुरंत कारवाई की जा सके। और उधर वाशिंगटन के तख्त पर बैठे हुवे दुनिया के राजाधिराज जो केंद्र सरकार पर अपनी पैनी निगाह रखनेवाले मिचीमिची ऑंखों वाले और अमरिकन फर्स्ट कहनेवाले डोनाल्ड बाबू है। जब अमरीका से हमारे नागरिक हातों में हथकडी और पैरो में बेडी लगाकर आए तब हम कुछ नही कर सके, तो इलाॅन मस्क के खिलाफ़ क्या खाक कारवाई करेंगे? केंद्र की बीजेपी सरकार के लिए बडी असुविधा जनक स्थिती पैदा हुयी है। और यह स्थिती सरकारने अपने हातों से पैदा कर ली है। अगर सरकार जनता के प्रति वफ़ादार होती तो बाहरी शक्ती के विरोध में आज सारा मुल्क सरकार के साथ खडा होता। लेकिन नासमझ, नादान केंद्र सरकार को समझाए कौन? अब सरकार कितनी भी कोशिशे कर ले ग्रोक पर प्रतिबंध नही लगा सकती। केंद्र सरकार के विरोध में सारी दुनिया में जो संदेश जाना था वो जा चुका है। हमारे महापुरुष छत्रपती शिवाजी महाराज और छत्रपती संभाजी महाराज के विरोध में ऐसा ही बदनामी का प्रपोगंडा चलाया था इन बीजेपी आयटी सेल वालों ने। अब अपने पर बीत रही है तो उनको अपना मुहं छुपाने के लिए जगह नही। इसी को कहते है जैसी करणी वैसी भरणी… खैर…

ग्रोक बीजेपी सरकार, आर एस एस और बीजेपी आयटी सेल के झूठ के पुलिंदे उजागर कर रहा है। युं कहीए जैसे हात धोकर उनके पिछे पडा है। उसे कैसे रोका जाए इसपर केंद्र सरकार का ख़लबतनामा चल रहा है। अब ग्रोक पर तो प्रतिबंध लगा नही सकते तो जो भी युजर्स सरकार के विरोध में ग्रोक से सवाल करते है उनपर प्रतिबंध या कारवाई करने के लिए सरकार विचार विमर्श कर रही है। लेकिन सरकार करोडो युजर्स पर प्रतिबंध कैसे लगाएगी? दुसरा विचार यह भी हो रहा है की, क्या Grok AI में अपने पक्ष में अजेंडा सेट कर सकते है या नही? अगर ऐसा हुवा तो क्या ॲलन मस्क चुप रहेगा? इससे तो ग्रोक पर से युजर्स का भरोसा उठ जाएगा जैसे गोदी मिडिया से उठा। और ग्रोक को भी काफी नुकसान दायी हो सकता है। इलाॅन मस्क जैसा बिझनेसमैन क्या यह नुकसान बरदास्त कर पाएगा? ऐसे तमाम सवाल है जिनके जवाब अभी गुलदस्ते में है। केंद्र सरकारने पिछले दस सालों से विपक्ष पर नाजायज आरोप लगाने में और खुद्द पर आरोप लगने पर उसका खंडन करने पर ही अपने सत्ता के दस साल गवां दिए। अगर केंद्र सरकार अपने सोने जैसा सत्ता का कार्यकाल जनता के भलाई के लिए लगाती तो आज सरकार को यहाॅं वहाॅं अपना मुहं छुपाना न पडता। और झूठ पर औंधे मुहंपर न गिरना पडता। परंतु इसके लिए खुद्द की अक्ल का स्त्रोत होना चाहिए। जिसके लिए बीजेपी सरकार ठणठण गोपाल है। खैर… ग्रोक की लडाई में भविष्य में बीजेपी सरकार की जीत होगी या इलाॅन मस्क की यह तो आनेवाला समय ही बताएगा। तब तक के लिए इंतजार… इंतजार… इंतजार… करो।

अशोक सवाई.

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