दिन विशेषदेशभारतमहाराष्ट्रमुख्यपानराजकीय

सदन में गृहमंत्री की नाजायज टिप्पणी


अशोक सवाई

संविधान भवन के भरे सदन में कल परसों देश के गृहमंत्री ने डॉ. बाबासाहब आंबेडकर जी पर, उनके विचारों पर नाजायज टिप्पणी की है। जो भारतीय जनता का खून खौलने वाली थी। आज तक डॉ. आंबेडकर जी पर ऐसी नाजायज टिप्पणी किसीने नही की थी। जो अनपढ़ ग़वार जैसे गृहमंत्री ने की। अच्छा! टिप्पणी करते समय भी उनके चेहरे की भावभंगिमा तिरस्कारीत नजर आयी। जो इंसानी चेहरे पढ़ लेते है, उनकी नज़रों ने गृहमंत्री की वो भावभंगिमा कैद कर ली होगी। अगर वे बाहर किसी सभा में ऐसी बेहुदा बोली बोलते तो शायद उनपर जनता के जुते चप्पल की बरसात होती। और उनपर पुलिस प्रशासन को एफ आय आर दर्ज करने के लिए जनता मज़बूर करती। फिर वे कितने भी तिरमारखाॅं क्यों न हो। अजी, बरखुरदार! गृहमंत्रीजी, शुक्रीया अद़ा किजीएगा डॉ आंबेडकर जी और उनके संविधान का, जो आप जैसे सदस्य गणों को सदन में संरक्षित किया है। सदन के भितर जो बोला जाता है उस बोली का एक एक शब्द सदन का दस्तावेज होता है, और उसका रेकॉर्ड सदन में जतन किया जाता है। जो वाक्य या शब्द नाजायज होते है, या फिर किसी की भावनाओं को आहत करते है, ऐसे शब्द रेकॉर्ड से हटाए जाते है। तो सदन की गरिमा को बरकराकर रखीएगा आलाकमान नं. 2 (या फिर तडीपार कहें, लेकिन हमें आपके संवैधानिक पद या पद की गरिमा की तौहीन करने की संविधान इजाजत नही देता)

अब सवाल यह है की, भारतीय जनता की भावनाए आहत करनेवाले गृहमंत्री के वे नाजायज शब्द रेकॉर्ड से हटाए गये या नही? अगर नही हटाए गये तो वो किस लिए रखे गये? आनेवाली नयी पिढी के सदस्य उस रेकॉर्ड को देखकर डॉ. आंबेडकर जी को फिर से और अपमानित करते रहे। गृहमंत्री के वे डॉ. आंबेडकर जी को अपमानित करने वाले शब्द रेकॉर्ड से तुरंत हटा देना चाहिए। ताकी डॉ आंबेडकर जी का सन्मान और सदन की गरिमा दोनो ही बरकराकर रहे। अगर गुजरात लाॅबी के (जैसे हिंदी पत्रकार कहते है) दुसरे नंबर के जहाॅंपनाहं(?) जो की फिलहाल पार्टी और बैसाखी वाली सरकार की बागडोर अपने हातों में लिए बैठे है। वे डॉ. बाबासाहब जी का अपमान करते है तो, जो बाबासाहब और संविधान प्रेमी सत्ता पक्ष और विपक्ष में बैठे हुवे मंत्रीगण एवं सदस्य गण क्या अब भी सरकार को सपोर्ट करेंगे? खास तौर पर नायडू और नीतीश (जिनको हिंदी पत्रकार शाॅर्ट में नानी और नानी की बैसाखीयाॅं कहते है) चिराग पासवान, अनुप्रिया पटेल, जीतराम मांजी, महाराष्ट्र में अपमानित होनेवाले भूतपूर्व मुख्यमंत्री नाथाभाई शिंदे, और खासमखास अति पिछडों के खुद्द को मसीहा कहनेवाले, शीघ्र रचनाकारों के सरदार, सदन के बरखुरदार नाम है रामदास आठवले बडे जहाॅंपनाहं के दुलारे, क्या अब भी आप बाबासाहब जी का अपमान करने वाली सरकार को सपोर्ट करेंगे? इन सब के लिए सवाल तो बनता ही है। और सवाल उनके लिए भी बनता है जो डॉ बाबासाहब जी के द्वारा दिये गये आरक्षण से एससी/एसटी के १३१ सांसद बने है। उनके लिए भी यही सवाल है की क्या अब भी आप हम लोगों को तिरस्कारीत नजरों से देखने वाली सरकार को सपोर्ट करेंगे? सवाल जटिल है लेकिन सही है।

सरकार के आलाकमान नं. 2 के बरखुरदार, आपकी सरकार नानी की बैसाखी के रहमोंकरमों पर चल रही है। ऐसे में जद्दोजहध करके अपने नाजाएज विचारों को जनता पर न थौपिए। वैसे ही जनता आपकी सरकार द्वारा दिये समस्याओं से काफी झुज रही है। अंदर ही अंदर परेशान है। सदन स्वर्ग नर्क की चर्चा करने की जगह नही है। सदन पिछडे, अतिपिछडे, आदिवासी, वंचित समाज घटक की समस्याओं का हल निकालने की जगह है। देश की आवाम को चैन की दो वक्त की रोटी मिले, तन ढकने के लिए दो अच्छे कपडे मिले, सर पर छत हो, स्वास्थ जैसी सेवाए मुफ्त हो, और रोजगार के लिए जद्दोजहध न करनी पडे और चैन से जीने के लिए देश में सुखशांती बनी रहे। बस इतनी सी अभिलाषा है सरकार से देश की आवाम की। अगर जनता की इतनी सी भी मूलभूत जरूरतें जो सरकार पूरी नही कर सकती तो उस सरकाने राजनैतिक रूप से गंगा में डुबकी लगाकर मर जाना चाहिए। अगर गंगा में पानी नही तो समंदर में जाना चाहिए। फिर भी मरना चाहिए। राजनैतिक रूप से।

सरकार के नं. 2 के जनाब-ए-मन, स्वर्ग नर्क की काल्पनिक बातें बताकर देश की जनता को गुमराह न किजीएगा। काल्पनिक बातें करने वाले अकल अंधे होते है। आप है क्या?…

इसी धरती पर के स्वर्ग और नर्क क्या है यह हम तुम्हें बताते है। सुनने की ताकद रखीएगा। तो जब तुम्हारे आकांओंने हमारे गले में हांडी और कमर में झाडू लटकाया था, तब वो हमारे लिए नर्क था। जब हमारे छुने से यह धरती, पानी, हवा, पेड, पौधे यह प्राकृतिक चीजें अपवित्र हो जाती थी, तब वो हमारे लिए नर्क था। जब हम आपके दर पर बांसी रोटी तकडों की भीक मांगते थे और तुम हमारे लिए कुत्ते की तरह बांसी रोटी दूर से फेकते थे, तब वो हमारे लिए नर्क था। अपनी भूक मिटाने के लिए आपके ही मरे हुवे जानवरों का मांस खाते थे, तब वो हमारे लिए नर्क था। अतीत में हमरे बच्चे रोटी-रोटी और पानी-पानी करके मर जाते थे, तब वो हमरे लिए नर्क था। जब किसी मकान के नींव में हमें जिंदा गाड दिया जाता था, तब वो हमारे लिए नर्क था। जब हमरी महिलाओं की अब्रृ लुटकर उनको बेअब्रू किया जाता था, तब वो हमरे लिए नर्क था। सती के बहाने महिओं को जिंदा जलाया जाता था, तब वो हमारे लिए नर्क था। ऐसे अनगिनत उदाहरण है। जो अतीत में आपके और आपके आंकाओं के बेरहम कर्मों से भरे है। हुजूर-ए-आलम, यह अतीत की बातें नीम की तरह कडवी है, लेकिन हकिकत यही है।

            अब सुनीएगा स्वर्ग की बातें, हमारे बाबासाहब जी ने हमें उक्त नर्क से निकालकर इंसान बनाया, यह हमारे लिए स्वर्ग है। हमारे लिए शिक्षा के द्वार जो सदीयों से बंद थे वो हमारे बाबाने खोल दिये, यह हमारे लिए स्वर्ग है। उसी शिक्षा से  आपसे कही गुणा जादा हमारी बुद्धिजीवी वर्ग में गणना होती है, यह हमारे लिए स्वर्ग है। बाबा के हम पर अनगिनत उपकारों से हमें अच्छा खाना, अच्छे कपडे, अच्छे मकान, खुद्द के वाहनों में घुमना, यह हमारे लिए स्वर्ग है। बाबा के दिये गये आरक्षण द्वारा उची शिक्षा और उचे पद की नौकरी पा ली हमने, यह हमारे लिए स्वर्ग है। हम उडन खटोले में दुनिया की सैर करते है, यह हमारे लिए स्वर्ग है। बाबा का संविधान ही हमरी मनपसंत लडकी से हमे विवाह करने की इजाजत देता है, यह हमारे लिए स्वर्ग है। हमरे बाबा की बदौलत ही हम ऐषों आराम की जिंदगी जी रहे है, यह हमरे लिए स्वर्ग है। और एक खास बातें दे, उनकी दी हुयी शिक्षा से ही हम आपकी ऑंखों में ऑंखे डालकर आपको सवाल पुछते है, जिनके जवाब आपके पास नही होते, और इधर उधर तांकने लगते है, तब हमें भारी स्वर्ग की अनुभूती होती है, यही हमरे लिए स्वर्ग है। जो आपके काल्पनिक स्वर्ग से कही गुणा जादा हमारा वास्तव का स्वर्ग बेहतरीन है। तो स्वर्ग नर्क की कल्पनाओं के मालिक यही इसी धरती पर हमें स्वर्ग  का आनंद दिया है, हमारे बाबासाहेब जी ने। तो जाहीर सी बात है की, हमरे बाबा के विचारों की और उनके संविधान की अगर कोई  तौहीन करता है तो हमारा खून खौलने लगेगा ही। हम बाबा के लोग शातीप्रिय और उनके संविधान का पालन करने वाले इस देश नागरिक है। बाहर के आक्रांता जैसे बेरहम हक्मरान न बनो। इसलिए आप भी सुख शांती से जिओ ओर हमें भी जिने दो यही इंसानियत का धर्म है। यही आशा करते है। 

अशोक सवाई.

संपूर्ण महाराष्ट्रातील घडामोडी व ताज्या बातम्या तसेच जॉब्स/शैक्षणिक/ चालू घडामोडीवरील वैचारिक लेख त्वरित जाणून घेण्यासाठी आमच्या व्हाट्सअँप चॅनलला Free जॉईन होण्यासाठी या लिंकला क्लीक करा

तसेच खालील वेबसाईटवर Click करा
दैनिक जागृत भारत

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button
error: कृपया बातमी share करा Copy नको !!