क्या?? पुर्व CJI चंद्रचूड़ साहब ने भक्त बनकर अपना काम निभाया??

🔹 साल 1991 में प्लेसेस ऑफ़ वर्शिप एक्ट (विशेष उपबंध) में पूजा स्थल को किसी दूसरे धर्म के पूजा स्थल में नहीं बदला जा सकता था!
पूजा स्थल अधिनियम 1991 का उद्देश था…. 15 अगस्त 1947 की स्थिति को बरकरार रखें!
ताकि भारत में धार्मिक स्थलों को लेकर विवाद न बढ़े!….
इस नियम के तहत किसी भी पूजा स्थल की धार्मिक प्रकृति को बदला नहीं जा सकता था!
इस एक्ट को 23 सालों तक किसी भी न्यायमूर्ति ने छेड़छाड़ नही की! इस अधिनियम का मुख्य उद्देश्य यह था…. 👇
भारत में धर्मनिरपेक्षता और सामुदायिक सद्भाव की रक्षा करना था!
ध्यान रखें! न्यायपालिका के सार्वजानिक कार्यों और निर्णयों में में तटस्थता होनी चाहिए!
यदि….
न्यायपालिका में न्यायधीशों के निर्णयों से किसी विशेष विचारधारा या राजनीतिक लाभ से प्रेरित दिखें, तो न्यायपालिका की विश्वसनीयता पर सवाल तो ज़रूर उठते हैं!
RSS मनुवादी भाजपा सीधे तौर पर सामने नहीं आते, बल्कि उनकी विचारधाराओं से जुड़े संघटन और वकील निचली अदालतों में याचिकाएं दायर करते हैं!
ज़रूर ध्यान रखना चाहिए!!
अब! न्यायपालिकाओं का साम्प्रदायिक ध्रुवीकरण के लिए उपयोग किया जा रहा हैं!
और जब!
सांप्रदायिकता तनाव बढ़ता हैं तो जनता का ध्यान शिक्षा, स्वास्थ और रोज़गार जैसे बुनियादी मुद्दों से हट जाता हैं!
लेकिन…..
डी.वाई चंद्रचूड़ साहब ने, एक टिप्पणी ने धार्मिक स्थलों के जांच की मांग का रास्ता खोलकर वरशिप एक्ट 1991 कानून को कमजोर कर दिया!
🔹 साल 1990’s में डी.वाई चंद्रचूड़ साहब अमेरिका में पढ़कर और नौकरी कर भारत आते हैं.
स्थापित वरिष्ठ वकीलों की मदद और सहायता से बॉम्बे हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट में प्रैक्टिस शुरू करते हैं.
🔹 साल 1998 में अचानक उन्हें 38 साल की उम्र में सीनियर एडवोकेट बना दिया जाता हैं! उसी साल उन्हें सॉलिसिटर जनरल भी बना दिया जाता है!
🔹 साल 2000 में बिना किसी परीक्षा और इंटरव्यू के उन्हें बॉम्बे हाईकोर्ट में जज बना दिया गया!
🔹 साल 2013 में इलाहाबाद हाईकोर्ट का चीफ जस्टिस बने.
🔹 साल 2016 में कोलेजियम सिस्टम से उन्हें सुप्रीम कोर्ट का जज बनाती है!
🔹 साल 2022 में कोलेजियम सिस्टम से उन्हें सुप्रीम कोर्ट का चीफ जस्टिस (CJI) बनाया गया!
🔹 क्या?? चंद्रचूड़ साहब ने सांप्रदायिक ध्रुवीकरण की राजनीतिक के लिए बहुत सारे कानून को घुमाकर बंद पिटारे से खोल कर RSS मनुवादि भाजपा को लाभ पहुंचाया??
🔹 3 अगस्त 2023 को डी.वाई चंद्रचूड़ साहब ने वाराणसी के ज्ञानवापी परिसर में ASI द्वारा वैज्ञानिक सर्वेक्षण की इस तर्क पर अनुमति दी थी…..
कि …..
साल “1991” के अधिनियम की धारा 3, के तहत पूजा स्थल की धार्मिक प्रकृति का पता लगाने से मना नहीं कर सकते!
🔹 चंद्रचूड़ साहब के इस टिप्पणी के बाद इलाहाबाद हाई कोर्ट ने दिसंबर 2023 में मथुरा के शाही ईदगाह परिसर में सर्वेक्षण की अनुमति दी गई!
इसी तरह….
मध्य प्रदेश के भोजशाला में भी सर्वे को लेकर विवाद बढ़ा!
अब! संभाल की शाही मस्जिद और अजमेर शरीफ दरगाह की भी जांच की मांग की जा रही है!
🔹 मंदिर मस्जिद विवाद में आम इंसान मूर्ख बनता है. जज, वकील और नेताओं के बच्चे तो देश विदेशों में पढ़ लिख रहे हैं, व्यापार कर रहे हैं!
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दैनिक जागृत भारत