क्या EVM से जनादेश की लूट हो रही है?
लोकसभा में 5 करोड़ वोट क्यों और कैसे बढ़े?
क्या 79 सीटों पर खेल हुआ?
क्या यही खेल हरियाणा में दोहराया गया?
लोकसभा चुनाव के बाद वोट फॉर डेमोक्रेसी नाम के सामाजिक संगठन ने दावा किया कि मतदान के दिन शाम को जो मतदान का प्रतिशत बताया गया और फिर बाद में जो घोषित किया गया उनमें लगभग 6:30 प्रतिशत का अंतर था इसके पहले के चुनावों में यह अंतर एक प्रतिशत तक होता था।
अगर वोटो की संख्या में देखें तो जिस दिन मतदान हुआ उस दिन के मुकाबले बाद में चुनाव आयोग ने जो घोषित किया, उसमें 5 करोड़ वोट बढ़ गए।
वोट फॉर डेमोक्रेसी ने दावा किया कि इसके पहले अंतिम वोटिंग और बाद में आयोग की घोषणा में इतना बड़ा अंतर कभी नहीं देखा गया था। इस पर सवाल उठा लेकिन चुनाव आयोग ने कोई स्पष्टीकरण नहीं दिया।
इन 5 करोड़ वोटो की वजह से भाजपा को 79 सीट का फायदा हुआ। चुनाव आयोग से मांग की गई थी कि वह इन संदेह को दूर करें कि मतदान के दिन वोटिंग परसेंट जो भी था वह बाद में इतना ज्यादा बड़ा कैसे?
इसके बारे में उसे स्पष्टीकरण देना चाहिए और प्रक्रिया को पारदर्शी बनाना चाहिए ताकि नागरिक उसमें भरोसा कर सकें। लेकिन चुनाव आयोग ने ऐसा कुछ भी नहीं किया। इसका मतलब साफ है चुनाव में फ्रॉड हुवा है
आज हरियाणा का रिजल्ट आया है और वहां से कम से कम 20 ऐसी शिकायतें हैं कि जब ईवीएम खोली गई तो कुछ मशीनें ऐसी थीं जो 99% तक चार्ज थीं, बाकी मशीने 60 से 70% तक चार्ज थीं। जो मसीनें 100% तक चार्ज थीं उनमें 70-80% वोट भाजपा के निकले।
अब सवाल उठता है कि स्ट्रांग रूम में रखी हुई मशीन जिनके जरिए वोटिंग पहले हो चुकी है वह 99% तक चार्ज कैसे थीं ?
क्या ईवीएम के जरिए भारत में नागरिकों के मत कि जनादेश की और लोकतंत्र की लूट हो रही है?
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दैनिक जागृत भारत