देशमहाराष्ट्रमुख्यपानविचारपीठ

दसहरा क्या है और क्यों मनाते हैं??

Dr SN bauddh

दसहरा का मतलब का दस +हरा अर्थात दस को हराया
बुद्धमय भारत के अंतिम मौर्य सम्राट ब़ृहदत मौर्य की उन्ही का ब्राह्मण सेनापति पुष्यमित्र ने धोखे से हत्या करवा दिया और खुद राजा बन बैठा।
राजा बनते हैं साकेत जो जिसे आज अयोध्या कहते मै बौद्धों का कत्लेआम कराया बौद्धों के सिर काटकर लाने वाले पर स्वर्ण मुद्रा ईनाम भी रख दिया जिसके कारण साकेत के कुछ बौद्ध भिक्षुओं ने देश छोड़कर दूसरे देशों में चले गए जिसके कारण दूसरे देशों में बुद्ध धम्म का प्रचार प्रसार हुआ और भारत में बुद्ध धम्म खत्म होने लगा बौद्ध विहारों में बुद्ध की मूर्तियों को काल्पनिक भगवानों और देवी देवताओं के रूप में परिवर्तित किया और पुष्यमित्र सुंग का दरवारी कवि अग्नि शर्मा जिसका नाम वाल्मीकि पड़ा था वाल्मीकि ने पुष्यमित्र सुंग को ही राम और प्रसिद्ध बौद्ध सम्राट रावण के नाम पर दस मौर्य सम्राटों को रावण नाम देकर अपनी नफरत मिटाने के लिए प्रत्येक वर्ष रावण को जलाने लगे।
पहले दस पुतले बनाते थे जिसमे ज्यादा खर्च आने लगे इसलिए एक ही धड पर दस सिर बनाकर दशानन रावण नाम देकर जलाने लगे।
रावण के दस सिरों के नाम क्या है?

जरूर जानिए🔥🔥🔥
1-चंद्रगुप्त मौर्य
2-बिंदुसार मौर्य
3-सम्राट अशोक मौर्य
4-कुणाल मौर्य
5-दसरथ मौर्य
6-सम्प्रति मौर्य
7-शालिसुक मौर्य
8-देववर्मन मौर्य
9-सतधनवन मौर्य
10-बृहदत मौर्य

👉 रावण कौन??
अंतिम मौर्य सम्राट बृहदत मौर्य उसके दस पूर्वजों के 9 सिरों को मिलाकर ही बौद्धो से नफरत के कारण ही ब्राह्मण अग्नि शर्मा उर्फ वाल्मीकि ने रावण नाम दिया है।

👉 राम कौन??
अंतिम मौर्य सम्राट बृहदत मौर्य का धोखे से हत्या करने वाला और बौद्धों का कत्लेआम कराने वाला पुष्य मित्र ही राम है।

👉 वाल्मीकि कौन??
एक दुष्ट ब्राह्मण अग्नि शर्मा जो डाकू था, बदलने पर वाल्मीकि नाम पड़ा,
पुष्य मित्र सुंग का दरबारी कवि बना और रामायण नामक कल्‍पनिक नाटक लिखा ।

⚠️ भंगी भाईयों वाल्मीकि नहीं बौद्ध बनो,
क्योंकि भंगी, वाल्मीकि दोनों ही ब्राह्मणों का दिया नाम है और आप ब्राह्मणों से नीच और ब्राह्मणों के गुलाम ही बने रहेंगे ⚠️

👉विश्व गुरु तथागत गौतम बुद्ध और आधुनिक भारत के निर्माता सिंबल आफ नालेज बाबासाहब आंबेडकर की मानो,
बौद्ध बनो ब्राह्मणों से ऊंच बनो.

और गर्व से कहो मै नीच जाति का हिन्दू नहीं हूँ
मै अम्बेडकर वादी बौद्ध हूँ 🙏 🙏
ब्रह्मर्षि वाल्मीकि के बारे मे एक अफवाह उड़ायी गयी है कि वाल्मीकि जाति से भंगी थे
अब यह अफवाह किस फायदे से उड़ायी गयी यह तो कहना मुश्किल है पर तमाम ग्रंथों के अध्ययन से यह पता चलता है कि वाल्मीकि भंगी तो नही थे
पहली बात तो वाल्मीकि जैसा कोई पात्र था भी या नही, यह भी एक प्रश्न हो सकता है लेकिन यदि ऐसा कोई पात्र था तो वह एक विद्वान ब्राह्मण ही था
पुराणों के अनुसार वाल्मीकि ब्रह्मर्षि थे और किसी डाकू लुटेरे का ब्रह्मर्षि बनना मुश्किल ही नही नामुमकिन है

वास्तव मे ये वाल्मीकि के डाकू-लुटेरे होने वाली कथा पद्मपुराण से आयी इस कथा को तुलसीदास ने राम की महिमा का बखान करने के लिये मानस मे लिखकर घर-घर पहुँचा दिया
तुलसी ने लिखा है,,,,,,
उल्टा नाम जपा जग जाना।
बाल्मीकि भये ब्रह्म समाना।।
अर्थात- वाल्मीकि (डाकू-लुटेरा) भी राम का उल्टा नाम जपने से भी ब्रह्म के समान हो गया
खैर अब हम वाल्मीकि की वास्तविकता का पता लगाने का प्रयत्न करते हैं
वाल्मीकि रामायण उत्तरकाण्ड सर्ग-96 श्लोक-19 मे वाल्मीकि ने खुद ही राम को अपना परिचय देते हुये कहा है कि हे रघुनन्दन मै प्रचेता का दसवाँ पुत्र वाल्मीकि हूँ-वाल्मीकि ने यहाँ खुद को किसी भंगी या डाकू-लुटेरे का पुत्र नही बताया है बल्कि प्रचेता का पुत्र कहा है अब सवाल यह होता है कि प्रचेता कौन थे प्रचेता को जानने के लिये मनुस्मृति का अध्ययन करना पड़ेगा,, मनुस्मृति-:अध्याय-1/34-35 (चित्र-2-3)मे स्वयं ब्रह्मा मनु से कहते हैं कि-
अहं प्रजाः सिसृक्षुस्तु तपस्तप्त्वा सदुश्चरम् ।
पतीन् प्रजानामसृजं महर्षीनादितो दश।।
मरीचिमत्र्यङ्गिरसौ पुलस्त्यं पुलहं क्रतुम् ।
प्रचेतसं वसिष्ठं च भृगुं नारदमेव च।।
अर्थात–:मैने अतिकठोर तप करके सृष्टि सृजन की इच्छा से दस महान ऋषियों को पैदा किया मरीचि, अत्रि, अङ्गिरा, पुलस्त्य, पुलह, क्रतु, प्रचेता, वशिष्ठ,भृगु और नारद,ये उन दस ऋषियों के नाम हैं इन दोनो श्लोकों से स्पष्ट होता है कि प्रचेता ब्रह्मा के पुत्र थे और वाल्मीकि प्रचेता के अर्थात वाल्मीकि जन्म से भी ब्राह्मण ही थे और उनका जन्म एक ऋषि के घर मे हुआ था न कि किसी लुटेरे के घर मे-इसके अलावा भी वाल्मीकि की कथा स्कन्दपुराण मे भी मिलती है स्कन्दपुराण आवन्त्यखण्ड अध्याय-286 (चित्र-3-5) मे वाल्मीकि की कथा निम्न प्रकार लिखी है–:प्राचीनकाल मे सुमति नामक एक भृगुवंशी ब्राह्मण थे जिनका पुत्र अग्निशर्मा लुटेरा हो गया था एक बार उसने जंगल मे सप्तऋषियों को लुटने के लिये घेर लिया सप्तऋषियों ने उससे कहा तुम लोगो की हत्या करके अपने माता-पिता के लिये जो लूटपाट करते हो क्या उसके पाप मे तुम्हारे माता-पिता भी भागीदार होंगे अग्निशर्मा ने जब यही बात अपने माता-पिता से पूँछा तो उसके माता-पिता ने यह कहकर पाप का भागीदार होने से मना कर दिया कि हमारा भरण-पोषण करना तुम्हारा कर्तव्य है इसके बाद अग्निशर्मा ने दुःखी होकर घोर तप किया अग्निशर्मा ने ऐसा घोर तप किया कि उसके शरीर के ऊपर दीमकों मे अपनी बॉबी (वल्मीक) बना दी और इसीलिये आगे चलकर उस (अग्निशर्मा) को वाल्मीकि नाम दिया गया इस कहानी मे भी अग्निशर्मा अर्थात वाल्मीकि को भृगुवंशी ब्राह्मण ही बताया गया है न कि कोई भंगी मतलब स्पष्ट है कि वाल्मीकि को भंगी बताकर केवल और केवल भंगियों को सनातन धर्म से इमोशनली कनेक्ट किया गया जबकि वाल्मीकि के भंगी होने का कहीं कोई प्रमाण नही है।😢😪🙏

PRESIDENT ✍️
Bauddhacharya Dr SN bauddh 9953177126.

👉 बहुत ही कड़वी परन्तु सत्य जानकारी है
कुछ लोगों को शेयर करने में डर से पैंट गीला हो जायेगा लेकिन जो सच्चे भीम सैनिक है जरूर करेंगे

सम्यक संबूद्ध का app आ गया है ।

सभी सदस्य नीचे दिए लिंक पर क्लिक करके तुरंत ही जुड़ें और अपना सदस्य Community कार्ड प्राप्त करे – Powered by Kutumb App

https://kutumbapp.page.link/dYmVoRbPLiMA58xx6?ref=5SSUL

संपूर्ण महाराष्ट्रातील घडामोडी व ताज्या बातम्या तसेच जॉब्स/शैक्षणिक/ चालू घडामोडीवरील वैचारिक लेख त्वरित जाणून घेण्यासाठी आमच्या व्हाट्सअँप चॅनलला Free जॉईन होण्यासाठी या लिंकला क्लीक करा

तसेच खालील वेबसाईटवर Click करा
दैनिक जागृत भारत

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button
error: कृपया बातमी share करा Copy नको !!