महाराष्ट्रमुख्यपानविचारपीठसामाजिक / सांस्कृतिक

गर्दी करणाऱ्यांपेक्षा संयमी दर्दी उपासक हवे..!

बुद्ध को एक सभा में मार्गदर्शन करना था । जब समय हो गया तो बुद्ध आए और बिना कुछ बोले ही वहाँ से चल गए । तकरीबन एक सौ पचास के करीब श्रोता थे । दूसरे दिन तकरीबन सौ लोग थे पर फिर उन्होंने ऐसा ही किया बिना बोले चले गए । इस बार पचास कम हो गए ।

तीसरा दिन हुआ साठ के करीब लोग थे महामानव बुद्ध आए, इधर – उधर देखा और बिना कुछ कहे वापिस चले गए । चौथा दिन हुआ तो कुछ लोग और कम हो गए तब भी नहीं बोले । जब पांचवां दिन हुआ तो देखा सिर्फ़ चौदह लोग थे । महामानव बुद्ध उस दिन बोले और 14 लोग उनके साथ हो गए ।

किसी ने महामानव बुद्ध को पूछा आपने चार दिन कुछ नहीं बोला। इसका क्या कारण था । तब #बुद्ध ने कहा मुझे भीड़ नहीं काम करने वाले लोग चाहिए थे । यहाँ वो ही टिक सकेगा जिसमें #धैर्य हो । जिसमें #धैर्य था वो रह गए।

केवल भीड़ ज्यादा होने से कोई धर्म/संघटन/ नहीं फैलता है । समझने वाले चाहिए, भिड कि जरुरत नही है।

बुद्ध पूर्णिमा के अवसर पर समाज में बुद्ध के संदर्भ में जागृति बढाओ| भारत हिंदू राष्ट्र नहीं है, बल्कि “भारत बौद्ध राष्ट्र है” इसकी जानकारी तथा एहसास भारत के सभी लोगों को करा दो|

डॉ प्रताप चाटसे – बुद्धिस्ट इंटरनेशनल नेटवर्क

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दैनिक जागृत भारत

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