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बोधिसत्व कबीर क्या चाहते थे??

लेखक बौद्धाचार्य डॉ एस एन बौद्ध 9953177126

कबीरा कुंआ एक है पानी भरे अनेक।
बर्तन में ही भेद है पानी सबमें एक।।

कहें कबीरा जग अंधा जैसी अंधी गाय।
बछड़ा सा जो मर गया झूठी चाम चबाय।।

दुनिया ऐसी बावरी पत्थर पूंजे जाय
घर की चकिया कोई न पूजे जिसका पीसा खाय।

कबीरा ब्राह्मणों के धर्म में जातिवाद पाखंड।
बुद्ध धम्म अपनाय कर करो जाति का अंत।।

पत्थर पूजे हरि मिले तो मै पूंजू पहाड़।
उससे तो चाकी भली जिससे पीस खाय संसार।।
बोधिसत्व कबीर का जन्म लगभग 1402ईसवी में काशी में हुआ था और मृत्यु लगभग 1518ईसवी में मगहर में हुआ था कबीर जी ने अपना पूरा जीवन ऊंच नीच भेदभाव की जातियाँ और अंधविश्वास पाखंड खत्म के खिलाफ आंदोलन में लगाया कबीर के मानने वालों ने ब्राह्मण धर्म छोड़कर कबीर पंथ अपनाया।
कबीर जी उसी विचारधारा का प्रचार प्रसार किया जो भगवान तथागत गौतमबुद्ध ने 563 ईसापूर्व ही दिया था लगभग उसी ज्ञान के कुछ अंश को कबीर जी अपनी वाणी से लोंगो को जगाने की कोशिश किया था आज जरूरत है कि सभी कबीरपंथ को मानने वाले धर्म के कालम में बुद्ध धम्म लिखे क्योंकि कबीर पंथ एक छोटी नदी के समान है जबकि बुद्ध धम्म समुद्र है इसलिए ही बोधिसत्व सिंबल आफ नालेज बाबासाहब डॉ भीमराव आंबेडकर ने 14अकटूबर 1956 को हिन्दू धर्म को लात मार कर 5लाख अनुयायियों के साथ बुद्ध धम्म अपनाया था और पूरे भारत को बुद्धमय बनाने का संकल्प लिया था ।
भारत के मूलनिवासियों का भला तभी होगा जब रबिदास पंथी कबीर पंथी सतनामी आदि सभी लोग अपने अपने पंथ को मानते हुए अपना धर्म बुद्ध धम्म लिखे तभी वास्तव में हम रैदास और कबीर के सच्चे अनुयायी हो सकते हैं और रेदास और कबीर की इच्छा पूरी हो सकती उनका और बाबासाहब डॉ भीमराव आंबेडकर का मिशन बुद्धमय भारत पूरा हो सकता है।

???? बोधिसत्व कबीर

लेखक बौद्धाचार्य डॉ एस एन बौद्ध 9953177126

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