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क्या संविधान मे वंचित बहुजनों को पूर्ण न्याय अौर समता मिलने के कारगर उपाय है?50% से अधिक नागरीक आत्यंतिक दरिद्र व बेहद पिछड़े क्यों है?

अनिल रंगारी 9981241212
1.) जुलाई 1946 मे संविधान सभा के सदस्यों का चूनाव हुअा।20 जुलाई 1946 को डॉ. आंबेडकर संविधान सभा मे प. बंगाल से चूने गये।
- 9 दिसंबर 1946 संविधान सभा की प्रथम बैठक हुई। संविधान सभा के अस्थाई अध्यक्ष सचीदानंद सिन्हा बनाये गये।
- 11 दिसंबर 1946 डॉ. राजेंद्र प्रसाद सं. सभा के स्थाई अध्यक्ष चूने गये।
- 13 दिसंबर 1946 को जवाहरलाल नेहरू ने संविधान का उद्देश्य प्रस्ताव पेश कर संबोधन किया।
- 17 दिसंबर 1946 डॉ. आंबेडकर का नेहरू के प्रस्ताव की आलोचना व राष्ट्र की मजबुत एकता पर समिक्षात्मक भाषण।
- 22 जनवरी 1947 को संविधान के उद्देश्य प्रस्ताव की स्विकृति के बाद संविधान सभा द्वारा संविधान निर्माण हेतु विविध 22 समितियों का गठन किया गया। इनमे से बहुतांस समितियों के डॉ. आंबेडकर सदस्य थे।
24 जनवरी 1947 को संविधान सभा ने एक एडवायजरी समिती बनाई जिसमे डॉ. आंबेडकर सदस्य चुने गये जिसमे कुल 50 सदस्य थे और अध्यक्ष सरदार वल्लभभाई पटेल थे।
वल्लभभाई पटेल ने सामंती दबाव व वर्चस्व के अनुरूप तयार की गई इसकी रिपोर्ट (जिसमे 12 से 35 मूलभूत अधिकार व 36 से 51 निती निर्देशक तत्व थे) 29 अप्रेल 1947 को संविधान सभा मे प्रस्तुत की। (इसमे संपत्ति के समान वितरण पर कानुन बनाने का अधिकार शासन व न्यायालय के अधिकार क्षेत्र से हटा दिया था) - 15 मार्च 1947 को डॉ. आंबेडकर ने राज्य समाजवाद संविधान मे ही सामिल करने राज्य अौर अल्पसंख्याक नाम से योजना संविधान सभा को सौंपी । लेकिन संविधान सभा व अन्य समितीयों ने इसपर दुर्लक्ष किया।
- 14 जुलाई 1947 को डॉ आंबेडकर को संविधान सभा मे पून्हा मुंबई से चून लिया गया क्योंकि प. बंगाल पाकिस्तान मे चले जाने से उनकी सदस्यता समाप्त हो गई थी।
15 अगस्त 1947 को भारत स्वतंत्र घोषित किया गया। - 29 अगस्त 1947 को डॉ. आंबेडकर को मसौदा समिती/ड्राफ्टिंग समिती मे लेकर उसका अध्यक्ष चूना गया। मसौदा समिती की प्रथम बैठक 30 अगस्त 1947 को हुई।
- संविधान का आधारभूत मसौदा बी एन राव ने विविध समितीयों के इच्छा अनुसार तयार कर लिया था और संविधान की कमिटीयो व एडवाइजरी कमिटीने रिपोर्ट पास करके सारी रिपोर्ट सामग्री जिसमे 243 अनुच्छेद व 13 परीशिष्ट थे इसे
24 अक्तुबर 1947 को ड्राफ्टिंग कमिटी / डॉ. आंबेडकर को अंतिम मसौदा तयार करने के लिए प्रस्तुत किया अौर संविधान सभा मे चर्चा बहस कराकर उसे पास करने दिया गया। - 31 दिसंबर 1947 मे संविधान सभा मे कुल 299 सदस्य थे जिनमे करीब 90% सदस्य कांग्रेस कट्टर हिंदु राजा महाराजा सामंतो के प्रतिनिधी सदस्य थे जिन्होने अपने हिताे के अनुरूप विविध समितीयो व सं. सभा मे संविधान निर्माण मे भूमिका निभाई।
- 21 फरवरी 1948 को डॉ आंबेडकर ने सं. सभा के अध्यक्ष डॉ. राजेन्द्रप्रसाद व सभी सदस्यों को अपनी कानुनी बुद्धिमत्ता से उन्हे सौंपे गये रिपोर्ट मसौदे को संविधानिक शब्दों मे तयार कर अंतिम प्रारूप/मसौदे की एक-एक प्रति दी ताकि इसमे जो भी संशोधन करना चाहते है वह संविधान सभा मे प्रस्तुत करे।
संशोधन के लिए करीब 7635 सुचनाए सुझाव प्राप्त हुए जिनमे से 2473 संशोधनों पर विचार किया गया। - 4 नवंबर 1948 को (8 माह बाद) डॉ आंबेडकर ने 315 अनुच्छेद व 8 परीशिष्ट मे तयार कर संविधान के अंतिम प्रारूप को विचार विमर्स बहस के लिए संविधान सभा मे प्रस्तुत किया। यानि संविधान का प्रथम वाचन 4 नवंबर 1948 से 9 नवंबर 1948 तक चला। दुसरा वाचन 15 नवंबर 1948 से 17 अक्तुबर 1949 तक चला। और तीसरा अंतिम वाचन 14 नवंबर 1949 से 26 नवंबर 1949 तक चला जिसमे कुल 284 सदस्य थे जिन्होने अपने पूंजिवादी सामंती हितो के अनुरूप अंतिमता संविधान पारित किया।
14.संविधान सभा की 114 सिटिंग मे ही डॉ. आंबेडकर ने संविधान के प्रत्येक अनुच्छेदों पर चर्चा विचार विमर्श बहस प्रश्नोत्तर वाचन कराकर संविधान सभा से 114 दिन मे मसौदा/प्रारूप पास करा दिया। राष्ट्र हित व समाज हित और अनु. जाति ,जनजाति, पिछड़े वर्गो के विकास व हितों की सुरक्षा के लिए डॉ. आंबेडकर ने बड़ी मुस्किल से काफी अनुच्छेद बढाकर संविधान सभा मे पारित किया जिसमे अंतिमता 395 अनुच्छेद व 8 परीशिष्ट से संविधान बनकर तयार हुआ। - 26 नवंबर 1949 को डॉ. आंबेडकरने सं. सभा के अध्यक्ष डॉ. राजेंद्रप्रसाद को भारतीय संविधान सौंपा। संविधान निर्माण मे डॉ.आंबेडकर की कानुनी बुध्दिमत्ता व अथक परिश्रम से दुनिया का श्रेष्ठ संविधान बनने के कारण ही उन्हे भारतीय संविधान का शिल्पकार मानते है।
- संविधान सभा को संविधान के निर्माण मे 9 दिसंबर 1946 से 26 नवंबर 1949 तक कुल 2 वर्ष 11 महिने 18 दिन लगे।
- प्रारूप समिती के सदस्य सैयद मुहमद सादुल्ला ने संविधान सभा मे कहा था- प्रारूप समिती को पूर्ण स्वतंत्रता नही थी। कई परिस्थितीयों ने उनके हाथपैर बांधे हुए थे। प्रारूप समिती को संविधान मे कुछ लोकतंत्र विरोधी मदे बड़ी शक्तियों के दबाव के अधिन शामिल करनी पड़ी। डॉ. आंबेडकर ने भी बोला था- मै तो केवल एक कार्यकर्ता था। जो कुछ मुझे करने के लिए कहा गया था वही मैने अपनी इच्छा के विरूद्ध भी किया।
मसौदा समिती के सदस्य टी टी कृष्णमाचारी ने संविधान सभा मे कहा था- संविधान का प्रारूप तयार करने का काम अंत मे अकेले डॉ. आंबेडकर के कन्धो पर ही पड़ गया। मै उनका अतिशय धन्यवादी हूँ कि उन्होने इस काम को बड़ी प्रशंषा योग्य ढंग से पूरा किया है। - 4 नवंबर 1948 को डॉ आंबेडकर ने कहा था- कोई भी संविधान परीपूर्ण नही होता। यह संविधान देश मे शुरूवात करने के लिए काफी उपयुक्त है। यदि कुछ असफलता होगी तो यह नही कह सकते की संविधान बुरा हेै, बल्कि यही कहना पड़ेगा की आदमी यानि शासन ही दुष्ट था।
- ग्लोबल हंगर इंडेक्स 2022 के अनुसार 121 देशों मे भारत 107 वे स्थान पर हेै। असमानता को कम करने के मामले मे 161 देशों की सूची मे भारत 123 वे स्थान पर है। सरकारी रिपोर्ट के अनुसार 37.6% परिवार पोषणयुक्त भोजन नही कर पाते। 21.92% लोग गरीबी रेखा के नीचे जीवन जीने पर मजबुर है। (हरिभूमि 17.10.2022) प्रतिवर्ष हजारों लोग भूकमरी व स्वास्थ्य सुविधा के अभाव मे मरते है। आजादी के 75 वर्ष बाद भी देश को भूख कुपोषण अौर स्वास्थ्य सुविधा की समस्याओं से छुटकारा नही मिला है। क्योंकि-
सीआईए वर्ल्ड फॅक्टबुक के अनुसार भारत मे 1% अमिरों के पास 58% संपत्ति है, और 10% अमिरों के पास देश की 80% संपत्ति संग्रह हुई है। यानि देश के 90% लोगों के पास केवल 20% संपत्ति बची है। (गुगल 24.4.23) और अब शिक्षा रोजगार स्वास्थ्य सुविधा प्राप्ति के अवसर बहुसंख्यांक व गरीब जनता की क्षमता से घटाये या बंद किये जा रहे है।
यानि सत्ताधिशों व अमिरों ने दुनिया का श्रेष्ठ संविधान अौर कानुन का राज होते भी संविधान व कानुनों का केवल स्वार्थ के लिए इस्तेमाल किया है जिसपर न्यायकर्ता व बुद्धिमान भी असफल है। ऐसा क्यों? - डॉ. आंबेडकर को पता था कि, पूंजिवाद व ब्राह्मणवाद को नस्ट करने मे संविधान असफल रहेगा। इसलिए ब्राह्मणवाद को मिटाने के लिए उन्होने बुद्धिज्म का मार्ग दिया अौर त्रिपिटक आदि बौध्द साहित्य मे मिलावट ब्राह्मणवाद को मिटाने के लिए बुध्द एण्ड हिज धम्म ग्रंथ लिखकर दिया। अौर पूंजिवाद को नस्ट करने के लिए आजिवन उच्च शिक्षा संघर्ष संघटन आंदोलन और राज्य समाजवाद की योजना कार्यक्रम दिया।
- वंचित अौर बहुजन समाज के वर्गो को उनके विकास , समस्याए निवारण अौर भावी उज्वल भविष्य निर्माण के लिए क्रांतिकारी शैक्षणिक सामाजिक धार्मिक राजनीतिक संघटन दिये है। यह कारवाँ आगे बढाते रहना आंबेडकर को मानने वाले लोगों का काम है।
- जनहित के सारे प्रावधान संविधान मे है लेकिन न्याय व समता स्थापित करने की पूर्ण गॅरंटी के प्रावधान संविधान मे नही दिये गये। न्याय समता के उल्लंघन पर शासन (केबिनेट) व सुप्रिम कार्ट को कानुनी बंधनकारण व पनिसेबल नही बनाया गया। उनकी इच्छा पर निर्भर है। जैसे psu को प्राईट सेक्टर को बेचने के लिए कोर्ट ने केबिनेट को मना नही किया , पनिस नही किया। अौर नाही इन प्राईवेट सेक्टर मे आरक्षण देने के आदेश व फैसले दिये है। शासनसत्ता व कोर्ट दोनो को न्याय व समता का उल्लंघन करने संविधान ने स्वतंत्र छोड़ दिया है। सत्ताधिशों व न्यायविदों पर बंधनकारक प्रावधान संविधान मे लाने की जरूरत है। इमानदार नेता अौर बुद्धिमान नेतृत्व आगे आकर जनता का नेतृत्व करे और आम जनता भी केवल भगवान भरोसे ही ना रहे। संविधान के सही अमल के लिए जागरुक बनकर समतावादी इमानदार जन प्रतिनिधी चूने।.
यदि इसमे कही त्रुटी गलती हो तो सुधारकर सुझाव देने की कृपा किजिए। अनिल रंगारी 9981241212
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