भंगी अपने इतिहास से अनजान हैं।

जानकारी हासिल करने के लिए पढ़ते नहीं हैं।
इसी कारण भंगी कहने पर चिढ़ते हैं।
इस जाति प्रधान देश की सारी जातियां अपने पूर्वजों का इतिहास पढ़ती हैं, और अपना मनोबल बढ़ाकर मान-सम्मान और स्वाभिमान से आगे बढ़ रहे हैं।
अनुसूचित जाति की पासी जाति, राजा लाखन पासी, राजा बिजली पासी, वीरांगना ऊदा देवी पासी के गौरवमयी इतिहास को पढ़ कर अपने घरों में बिजली पासी-लाखन पासी ऊदा देवी की तस्वीर लगाये हैं, और अपने नाम के साथ पासी सरनेम जोड़ कर राजवंशी कहलाते हैं।
पासी जाति के लोग अपने महापुरुषों के इतिहास की लिखित पुस्तकों को पढ़ने के लिए अपने घरों में रखते हैं, बच्चों को पढ़ाकर उनका उत्साह वर्धन करते हैं।
चमार जाति के लोग अपने चमार जाति के इतिहास को पढ़कर आर्थिक-सामाजिक-राजनैतिक-धार्मिक स्तर पर आगे बढ़कर उनसे कोई जाति पूछता है तो वह रैदास न बताकर गर्व से चमार बताते हैं, और द ग्रेट चमार कहलाते हैं।
धोबी गाडगे बाबा का इतिहास पढ़ कर शैक्षिक-आर्थिक-सामाजिक-राजनैतिक स्तर पर ऊंचा मुकाम हासिल कर रहे हैं।
कोरी संत कबीर और वीरांगना झलकारी बाई कोरी का इतिहास पढ़कर अपने नाम के साथ कोरी की पहचान बताने में गर्व महसूस कर रहे हैं।
किन्तु भंगी को भंगी कह दो तो वह शर्म करता है-चिढ़ता है।
भंगी के पुरखे न तो चोर थे-न दुराचारी थे-न अपराधी थे।
फिर न जाने क्यों भंगी कोई कह दे तो शर्माते हैं-चिढ़ते हैं-जाति पूछने पर भंगी बताने से डरते हैं।
दलित-अतिदलित-वंचित-सर्वहारा-बाल्मीकि-स्वपच सुदर्शन-हेला-हाड़ी-डोम-डोमार-धानुक-धरकार-बसोर-बांसफोर-रूखी-रावत आदि उपजातियों की पहचान बनाने के बाद भी लोग हमसे छुआछूत मानते हैं-नीच समझते हैं।
फिर भंगी-मेहतर की पहचान जो हमारी राष्ट्रीय पहचान है-इस नाम से सभी उपजातियां संगठित हो सकती हैं, आखिर हम भंगी-मेहतर बनने से क्यों झिझकते हैं ?
जब कि भारत की सभी दलित जातियों में भंगियों का सबसे अधिक गौरवशाली इतिहास है।
बुद्ध ने सुनीत भंगी-सोपाक चाण्डाल-सुपैया चाण्डाल-प्रकृति चाण्डालिन को धम्मदीक्षा देकर अर्हत बनाया। विकारों को भग्न करने के कारण ही भंगी कहलाए।
बौद्ध धर्म में भंगियों का जुड़ाव रहा। जब की अन्य दलित जातियों का कोई जिक्र तक नहीं है।
सिक्ख धर्म में जेता भंगी-हरिसिंह नलवा और भंगी मिसिल ( बटालियन ) का इतिहास है।
भंगी मार्शल कौम कहलाती थी।
काशिराज कालू डोम-गोरखपुर के राजा डोम कटार-बादशाह खुशरव भंगी-अमर शहीद मातादीन भंगी-मदारी मेहतर-गंगू मेहतर-वीरांगना महावीरा भंगी जैसे अनगिनत वीर पुरोधाओं की वीर गाथाओं का इतिहास भरा पड़ा है।
लेकिन भंगी अपना इतिहास नहीं पढ़ता है-इसी कारण वह भंगी नाम से चिढ़ता है।
धम्मभूमि प्रज्ञा साहित्य केन्द्र 237 अरबपुर बांदा सागर मार्ग जिला फतेहपुर उ. प्र. पिन कोड नम्बर 212601 भंगी समाज के महापुरुषों की जानकारी उपलब्ध कराने के लिए लायब्रेरी संचालित कर मुफ्त में किताबें पढ़ने की व्यवस्था सुनिश्चित किये है।
साहित्य केन्द्र में आकर किताबें पढ़ सकते हैं। जो भी व्यक्ति बहुजन एवं बौद्ध साहित्य खरीदना चाहे वह खरीद सकते हैं।
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मेरे नवनिर्मित भवन में प्लास्टर अधूरा है। लायब्रेरी का जल्द संचालन हेतु दानदाता आर्थिक मदद करने-फर्नीचर एवं पुस्तकों का दान कर इस पुनीत कार्य के भागी बन सकते हैं।
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….बौद्धाचार्य अर्थदर्सी भंगी राजतिलक
राष्ट्रीय संचालक
अखिल भारतीय भंगी महासभा
राष्ट्रीय कमांडर
अखिल भारतीय भंगी रेजीमेंट
पूर्व उपाध्यक्ष
नगर पालिका परिषद फतेहपुर उ. प्र.
मोबाइल नम्बर-9454390530-ह्वाटसप नम्बर-7565969900
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