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शूद्र ही भारत के मूलनिवासी हैं

धर्म में वर्ण वर्ण में जाति
जाति में ऊंच नीच और
ब्राह्मण के आगे सारे नीच
तो गर्व से कहें हम हिन्दू हैं?

शूद्र ही भारत के मूलनिवासी हैं
शूरवीर द्रविड़
बाकी जितने शब्द गुलाम नीच और भी बहुत कुछ वह सब गोबर ब्राह्मणों का लगाया हुआ है ताकि शूद्र कभी एकजुट न हो सकें।
ब्राह्मण शूद्र शब्द से डरता है
एक बार डरा तो शूद्रों को 6743 जातियों में बांट दिया बंटवारा भी क्रमिक ऊंच नीच पर आधारित
दूसरी बार डरा तो शूद्रों को हिंदू बना कर गर्व करा दिया ।
ब्राह्मण वर्ण के के आधार पर ब्राह्मण महासभा बनाकर संगठित होता है
क्षत्रिय वर्ण के आधार पर क्षत्रिय महासभा बनाकर संगठित होता है।
वैश्य वर्ण के आधार पर वैश्य महासभा बनाकर संगठित होता है
किन्तु शूद्रों को जाति के आधार पर संगठित रहने को प्रेरित करता है ताकि वह बहुसंख्यक होकर भी अल्पसंख्यक बना रहे, क्योंकि उन्हें पता है जिस दिन 85% शूद्र बहुजन वर्ण के आधार पर संगठित हुए , ब्राह्मण क्षत्रिय वैश्य की सभी महासभाएं मिनीसभा बनकर रह जायेंगी।
भीख मांगकर दूसरों के दान पर जीने वाले परजीवी अपने वर्ण पर गर्व कर सकते हैं।
छीन झपट कर और हेराफेरी करके खानेवाले भी अपने अपने वर्णों पर गर्व कर सकते हैं तो अपने मेहनत के बल पर अपना और दूसरों का पेट भरने वाला श्रमजीवी उत्पादन कर्ता निर्माण कर्ता अपने वर्ण पर गर्व क्यों नहीं कर सकता क्या भिखारियों के कह देने मात्र से कमेरा वर्ग खुद को नीच मान ले ?
यही तो वे चाहते हैं लेकिन हमें उनकी अमानवीय अवधारणाओं को ध्वस्त करना है इसलिए हम गर्व से कहते हैं हम शूद्र हैं ।
यह एक विद्रोह है इसको समझने की कोशिश करें इससे शूद्रों का मनोबल बढ़ता है और अशूद्र यानी ब्राह्मण क्षत्रिय वैश्य हतोत्साहित होते हैं सोचिए एक ब्राह्मण खड़ा है कोई आकर खुद को पाल बताये कोई मौर्य कोई यादव कोई वर्मा तो वह खुश होगा वहीं जो भी पहुंच रहा है खुद को शूद्र बता रहा है तो उसका हलक सूख जायेगा सारा ज्ञान भूल जायेगा उसका सर्वश्रेष्ठता का दंभ चूर चूर हो जायेगा यह सब हमने करके देखा है और मिशन गर्व से कहो हम शूद्र हैं में शामिल होकर आप भी करिए ब्राह्मण वाद का किला शूद्र नाम की मिसाइल से ही ध्वस्त होगा । हिन्दू बनकर ब्राह्मणी ग्रंथों को पढ़ने से शूद्रों पर हुए अन्याय उत्पीड़न आदि का एहसास नहीं होता किन्तु एससी एसटी ओबीसी के लोग जब शूद्र बनकर उन ग्रंथों को पढ़ेंगे तो सारे शोषण उत्पीड़न अपने पूर्वजों पर होने का एहसास होगा और ब्राह्मण वादी व्यवस्था से विद्रोह की भावना पैदा होगी ।
ब्राह्मण एससी एसटी ओबीसी के लोगों को हिंदू जरूर कहता है किन्तु मानता शूद्र ही है , मुसलमान जिनमें से अधिकांश पहले शूद्र ही थे इनके शोषण उत्पीड़न से तंग आकर मुसलमान हो गये ब्राह्मण रात दिन उनके कट्टरवाद का प्रचार करके उन्हें दुश्मन बनाकर खड़ा करता है और दंगे कराकर अपने नेतृत्व में शूद्रों को हिंदू बनाकर एकजुट करके अल्पसंख्यक होकर भी सत्ताधारी बनता है उसके बाद शासन प्रशासन में शूद्रों की भागीदारी न के बराबर हो उसके लिए षड्यंत्र करते रहते हैं ।
संविधान में आरक्षण का प्रावधान होने के बावजूद विधायिका कार्यपालिका न्यायपालिका और मीडिया तथा कारपोरेट जगत के 70 से80% जगहों पर 15% अशूद्रों का कब्जा है यह है शूद्रों के सेकुलर हिन्दू और कट्टर हिन्दू बनकर ब्राह्मणों की पार्टियों कांग्रेस और भाजपा को अपनी पार्टियां समझने का परिणाम ।
वे हमें सामाजिक और राजनीतिक तौर पर शूद्र ही मानते हैं यह स्पष्ट हो गया ।
सिर्फ हम खुद को शूद्र नहीं मानते जिस दिन हम खुद को शूद्र मानकर एक जुट होंगे लोकतांत्रिक भारत के सत्ताधारी होंगे और शासक वर्ग को नीच समझने कहने और वैसा व्यवहार करने की किसी की हिम्मत नहीं पड़ेगी ।
हिन्दू होने पर गर्व करोगे तो ब्राह्मणों के गुलाम बनोगे !
शूद्र होने पर गर्व करोगे तो भारत का सत्ताधारी यानी शासक वर्ग बनोगे ।
तय आपको करना है हिन्दू बनकर ब्राह्मणों को शासक बनाकर भारत की दुर्दशा का मूकदर्शक बने रहना है
या शूद्र बनकर 85% शूद्रों को संगठित करके भारत की सत्ता अपने हाथ में लेकर भारत को महापुरुषों के सपनों का समृद्ध और प्रबुद्ध भारत बनाना है!!

चन्द्र भान पाल (बी एस एस)

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दैनिक जागृत भारत

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