
रूस को चोट पहुँचाने के लिए यूक्रेन ने यूरोप के देशों तक रूसी गैस की आपूर्ति का रास्ता रोक दिया है। इससे रूस ही नहीं बल्कि यूरोप के सामने बड़ा संकट पैदा हो गया है।
यूक्रेन ने रूस के साथ 1991में हुए एक समझौते के नवीकरण से मना कर दिया है। इस 33 साल पुरानी संधि के जरिए रूस ने यूरोपीय ऊर्जा बाजारों पर अपना प्रभुत्व कायम किया था जो अब लगभग खत्म हो गया है।
यूक्रेन से होकर यूरोपीय देशों तक जाने वाली रूसी पाइपलाइन से सस्ती गैस की आपूर्ति रोक देने से कई यूरोपीय देशों को परेशानी झेलनी पड़ रही है।
दूसरी तरफ, कांग्रेस के दौर में भारत की जो मैन्युफैक्चरिंग ग्रोथ 15% हुआ करती थी; वह मोदी के दौर में 1% से भी कम रह गई है।
बीजिंग स्थित भारतीय दूतावास द्वारा आज 4 जनवरी को जारी इन आंकड़ों के अनुसार भारत-चीन द्विपक्षीय व्यापार में चीन से आयात 118.77 बिलियन अमेरिकी डॉलर और तक पहुँच गया है, जबकि इस बीच चीन को भारत का निर्यात पिछले साल की तुलना में 37.59% घटकर सिर्फ 17.49 बिलियन अमेरिकी डॉलर रह गया, जो पिछले वर्ष के 28.03 बिलियन अमेरिकी डॉलर के शुद्ध निर्यात से कम है। इस तरह भारत का चीन के साथ व्यापार घाटा 101.28 बिलियन अमेरिकी डॉलर पर पहुँच गया है।
अमेरिका के नवनिर्वाचित राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने कहा है कि वे चीनी आयात पर शत-प्रतिशत शुल्क लगा देंगे, तो यदि सचमुच में ऐसा हुआ तो चीन भारत को अपने और भी उत्पादों का डंपिंग यार्ड बना देगा।
‘आत्मनिर्भर भारत’ का शोर-शराबा एक फ्रॉड और बकवास के अलावा कुछ नहीं है; क्योंकि चीनी माल के बग़ैर भारतीयों की ज़िंदगी चलना नामुमकिन हो गई है।
इसका मतलब यह है कि द्विपक्षीय व्यापार में चीन से पिछड़ते हुए भारत की उस पर निर्भरता बढ़ती जा रही है और भारत पाकिस्तान के बाद अपने दूसरे दुश्मन देश चीन को ही मजबूत कर रहा है जिसने भारत के लद्दाख में 38 हजार वर्ग किलोमीटर क्षेत्र पर कब्जा कर 2 नई काउंटी यानी प्रदेश बना लिये हैं।
इसके अलावा वह तिब्बत में ब्रह्मपुत्र नदी पर दुनिया का सबसे बड़ा बाँध बना रहा है। इसके बनने से भारत का पूरा उत्तर-पूर्व क्षेत्र चीन के रहम पर होगा।
मोदी के मंत्री, पार्टी नेता व समर्थक आये दिन बोलते थे कि सिंधु नदी का पानी रोक कर पाकिस्तान को बर्बाद कर देंगे। अब मोदी समेत उन सबकी बोलती बंद है।
इस तरह चीन ने मोदी राज को अपनी सीमा तथा व्यापार में वृद्धि के लिए स्वर्णिम अवसर जानकर भारत के मुकाबले तेजी से बढ़त बना ली है।
देश में और भी बहुत कुछ हो रहा है जो षड्यंत्रपूर्वक जनता तक पहुँचने से रोका जाता है। भारत इस वक़्त चीन-अमेरिका इन दो पाटों के बीच पिस रहा है क्योंकि इसके घटिया नेतृत्व ने अपनी मूर्खताओं से इसे इन दोनों का अदना-सा मोहरा बनने का मौका दिया है।
फर्जी राष्ट्रवाद और अखंड हिन्दू राष्ट्र के नशे में धुत्त समाज को यह सब देखने-समझने का न तो विवेक रह गया ह
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दैनिक जागृत भारत