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भारत में अम्बेडकरवादी बहुजन,बौद्ध उपासक एवं ज्यादातर बौद्ध भिक्षु झूठ बोलते हैं, संगठित नहीं रह सकते क्यों? अहंकार मिटाओ, पुनः प्रियदर्शी सम्राट अशोक कालीन राष्ट्र सत्ता बनाओ।

बाबा साहब डॉ.अम्बेडकर का संदेश “संगठित बनो” एवं भगवान बुद्ध का “संघं शरणं गच्छामि” का उदघोष बेनामी,बे-मतलव बनावटी केवल बोलनें के लिए हो गया है। भारत के बुद्ध एवं अम्बेडकरवादी उपासक, तथाकथित संगठनों के अगुआ एवं ज्यादातर बौद्ध भिक्षु झूठ बोलते है। आपस में संगठित एवं एकजुट नहीं हो सकते, आपस में एक साथ बैठ नहीं सकते, एक साथ भोजन भी नहीं कर सकते, एक साथ बैठकर बौद्धों एवं बहुजनों की समस्याओं पर चर्चा करने की हिमाकत भी नहीं करते और आपस में एक दूसरे की आलोचना करने में अपनी ऊर्जा को बर्बाद करते हैं।
आल इंडिया भिक्खु महासंघ, अखिल भारतीय भिक्खु संघ, संघराजा भिक्खु महासभा, लामा संघ , समता सैनिक दल, भारतीय बौद्ध महासभा, बामसेफ कई-कई गुटों में बंटे हुए हैं। आपस में कोई समन्वय, एकजुटता, मैत्री, भाईचारा नहीं है।
बौद्ध एवं अम्बेडकरवादी संगठनों के अगुआ अपनी- अपनी ढपली, अपना – अपना राग अलापने पर आमादा है। इन संगठनों की “भविष्य कार्य योजना” नहीं है। जब मनुष्य जीवन जी रहे तथाकथित अंबेडकरवादी संगठनों के प्रमुखों एवं बौद्धों में मैत्री भाईचारा,एकता नहीं तो! ऐसे में अम्बेडकरवादी, बौद्ध उपासक एवं बौद्ध भिक्षु झूठ बोलना बंद करें और बौद्ध विनय नियमों का पालन करें।
भिक्षु संघ एवं बौद्धों व अम्बेडकरवादियों की संस्थाओं के प्रमुख आपसी मतभेद, अंहकार (Ego) को भुलाकर आपसी समन्वय के साथ एकजुट होकर भारत में प्रियदर्शी सम्राट अशोक कालीन मानवतावादी “बौद्ध राष्ट्र सत्ता” कायम करें।
अन्यथा भारतीय अम्बेडकरवादी बहुजन,बौद्ध समुदाय आजादी के 76 सालों से बुद्ध कालीन प्राचीन “पालि भाषा”, बौद्ध विवाह मान्यता कानून, बुद्ध विहार मोनेस्ट्री एक्ट, हिंदू मैरिज एक्ट- 1955,संविधान के अनुच्छेद 25 भाग-2 में हिन्दू धर्म के साथ घालमेल,समावेश, बुध्दगया सहित बौद्ध स्मारकों गुफाओं पर अवैध अतिक्रमण, बौद्धों की स्वतन्त्र पहचान न होना, आदि संवैधानिक भेदभाव, गुलामी बौद्ध समुदाय झेल रहा है और आगे भी सैकड़ो सालों तक तीन प्रतिशत मनुवादियों का गुलाम रहेगा। भारत का संविधान बदला जा रहा है, और पूर्ण रूप से बदल दिया जाएगा, जय भीम का उदघोष करने वाले अपनी डफली बजाते रह जाएंगे। भारत का बहुजन, एस. सी./एस.टी./ओ.बो.सी.एवं शोषित, पीडित,दलित ,वंचित वर्ग जातिगत भेदभाव, अत्याचार, उत्पीड़न सहता रहेगा तथा घुट-घुट कर नारकीय जीवन जी कर मरता रहेगा, इसलिए आओ अभी समय है मिलकर “प्रबुद्ध भारत एवं समृद्ध भारत” का निर्माण करें।
भवतु सब्ब मंगलं
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धम्माकांक्षी
अभय रत्न बौद्ध
राष्ट्रीय समन्वयक
राष्ट्रीय बौद्ध धम्म संसद बुध्दगया एवं
बौद्ध संगठनों की राष्ट्रीय समन्वय समिति भारत
मुख्यालय: महाबोधि मेडिटेशन सेंटर बुध्दगया,
जिला-गया (बिहार)
केंद्रीय कार्यालय
बुध्द कुटीर,284/सी-1, स्ट्रीट नंबर-8 नेहरू नगर,
नई दिल्ली-110008
M:9899853744

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