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महाबोधि महाविहार बोधगया में, ब्राह्मणों से मुक्ति के लिए पूरे भारत से देश विदेश से भिक्खू भिखुनी, शांतिपूर्ण रूप से आंदोलन

महाबोधि महाविहार बोधगया में, ब्राह्मणों से मुक्ति के लिए पूरे भारत से देश विदेश से भिक्खू भिखुनी, शांतिपूर्ण रूप से आंदोलन कर रहे है। खुले आसमान के नीचे 24 घंटे महाबोधि परिसर में। लेकिन वहाँ उन्हें तरह तरह से ब्राह्मणवादी तत्वों द्वारा परेशान किया जा रहा है ।
दुनिया का हरेक धर्म की पवित्र जगह उनके अनुवायीयों के पास होती है लेकिन बुद्ध का सबसे पवित्र जगह महाबोधि महाविहार को भिक्खुओं को न सौप कर ब्राह्मण कब्जे में रखा गया है ।
इतिहास ग्वाह है मगध के शक्तिशाली शासकों ने हमेशा महाबोधि को संरक्षित किया है लेकिन आज आजादी के 77 साल बाद भी महाबोधि परिसर को पूरी तरह भिक्खुओं को न सौपना यह दिखाता है कि सरकार, बुद्ध का नाम पर देश विदेश से लाभ तो ले रही है लेकिन उसका फायदा भिक्खुओं को न देकर ब्राह्मणों को दे रही है।
भारत पर कर्ज है भिक्खुओं, भिख्खुनियों का, बुद्ध का, सम्राट असोक का जिन्होंने भारत को विश्वगुरु बनाया । वो भिक्खू भिक्खुनी ही थे जिन्होंने बुद्ध के विचार पूरे दुनिया में फैलाए । आज उन्ही भिक्खुओं के त्याग बलिदान का रिवॉर्ड है की पूरी दुनिया में भारत को इज्जत मिली है । आज वही भिक्खु खुले आसमान में सो रहे है तबीयत खराब हो रही है 5 दिन से शांतिपूर्ण आंदोलन पर बैठे है और गवर्मेंट, डिसिशन नहीं ले पा रही है की महाबोधि महाविहार जो पूरी तरह से बुद्धिज्म का है वहाँ से ब्राह्मणों के अतिक्रमण हटा कर, भिक्खुओं को सौप दिया जाय ।
इतिहास सबको एक मौक़ा जरूर देता है सुनहले इतिहास में दर्ज होने का कुछ लोग ये मौक़ा पर्सनल स्वार्थ हेतु गवा देते है कुछ लोग भुना लेते है । इतिहास दोनों को याद रखता है कायर के रूप में भी महापुरुष के रूप में भी ।
आज भी मौक़ा है 20 से ज़्यादा बुद्धिस्ट देशों सहित आने वाले सुनहले इतिहास में दर्ज होने का ।

बिहार सरकार को रास्ता निकाल ऐतिहासिक फ़ैसला कर महाबोधि परिसर और उसके अगलाबगल के कम कम 3 किलोमीटर क्षेत्र को भिक्खूओ को सौप कर हॉर्न या किसी तरह से पॉल्यूशन साउंड फ्री जॉन घोषित करके पूरी तरह से ब्राह्मणवादी या किसी भी तरह के दूसरे धर्म मज़हब के लोगो के अतिक्रमण से आजाद करा देना चाहिए।

हमसभी मिट जाएँगे लेकिन जो नहीं मिटेगा वो है इतिहास में दर्ज होने का मौक़ा।चॉइस हमारी ही है कायर की तरह दर्ज होंगे या महापुरुषों की तरह जिसे आने वाली पीढ़िया चाहे वो देश से हो या विदेश से हमेशा मुक्तिदाता के रूप में देखेंगी ।

महाबोधिमुक्तिआंदोलन

MahaBodhiMuktiAndolan

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