देशमहाराष्ट्रमुख्यपानविचारपीठ

डॉ. बाबासाहेब आंबेडकरजीने ध्यान, समाधी और विपस्सना का पु्रस्कार किया है।

NOBLE EIGHTFOLD PATH
बाबासाहब आंबेडकरजीने बुद्ध और उनका धम्म इस ग्रंथ में बुद्ध का पहला प्रवचन और जीवन की शुद्धता बनाए रखना यही धम्म है इन भागों में ध्यान, समाधि, प्रज्ञा (कायानुपस्सना, वेदनानुपस्सना, चित्तानुपस्सना, धम्मानुपस्सना) ये बुद्ध की तीन शिक्षाओं का समर्थन किया है। ये तीन शिक्षाए अरिय अष्टांग मार्ग का भाग है। इसीलिए उनके सभी अनुयायीओंने इनका पालन करना आवश्यक है। बाबासाहब आंबेडकरजी ने “भगवान बुद्ध और उनका धम्म” इस ग्रंथ में और उन्होंने १४ अक्तुबर १९५६ को धम्म दीक्षा के वक्त दिए हुए २२ प्रतिज्ञाओं में अरिय अष्टांगिक मार्ग के पालन का दुःखमुक्ती के लिए पुरस्कार किया है। इस अरिय अष्टांगिक मार्ग में हि ध्यान, समाधि और विपस्सना का अभ्यास सम्मिलित है।
झाय भिक्खु, मा पमादो।
मा ते कामगुणे रमेस्सु चित्तं।।
(खुद्दकनिकाय, धम्मपद क्र. ३७१)
सिद्धार्थ गौतम बुद्ध के शिक्षा के अनुसार अष्टांग मार्ग का पालन कर के दुःखमुक्ती साधना और बुद्ध संस्कृती की निर्मिती करना, और शील सदाचारी समाज स्थापित करना इस उद्देश से आयु. श्याम तागडे, (IAS, सेवानिवृत्त अप्पर मुख्य सचिव, महाराष्ट्र सरकार) इनका श्रावण अमावस्या, १६ अगस्त २०२३ का धम्म प्रबोधन।
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https://youtu.be/Y_YU48a1FFcडॉ. बाबासाहेब आंबेडकरजीने ध्यान, समाधी और विपस्सना का पु्रस्कार किया है। NOBLE EIGHTFOLD PATH
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बाबासाहब आंबेडकरजीने बुद्ध और उनका धम्म इस ग्रंथ में बुद्ध का पहला प्रवचन और जीवन की शुद्धता बनाए रखना यही धम्म है इन भागों में ध्यान, समाधि, प्रज्ञा (कायानुपस्सना, वेदनानुपस्सना, चित्तानुपस्सना, धम्मानुपस्सना) ये बुद्ध की तीन शिक्षाओं का समर्थन किया है। ये तीन शिक्षाए अरिय अष्टांग मार्ग का भाग है। इसीलिए उनके सभी अनुयायीओंने इनका पालन करना आवश्यक है। बाबासाहब आंबेडकरजी ने “भगवान बुद्ध और उनका धम्म” इस ग्रंथ में और उन्होंने १४ अक्तुबर १९५६ को धम्म दीक्षा के वक्त दिए हुए २२ प्रतिज्ञाओं में अरिय अष्टांगिक मार्ग के पालन का दुःखमुक्ती के लिए पुरस्कार किया है। इस अरिय अष्टांगिक मार्ग में हि ध्यान, समाधि और विपस्सना का अभ्यास सम्मिलित है।
झाय भिक्खु, मा पमादो।
मा ते कामगुणे रमेस्सु चित्तं।।
(खुद्दकनिकाय, धम्मपद क्र. ३७१)
सिद्धार्थ गौतम बुद्ध के शिक्षा के अनुसार अष्टांग मार्ग का पालन कर के दुःखमुक्ती साधना और बुद्ध संस्कृती की निर्मिती करना, और शील सदाचारी समाज स्थापित करना इस उद्देश से आयु. श्याम तागडे, (IAS, सेवानिवृत्त अप्पर मुख्य सचिव, महाराष्ट्र सरकार) इनका श्रावण अमावस्या, १६ अगस्त २०२३ का धम्म प्रबोधन।
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https://youtu.be/Y_YU48a1FFc

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