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आधुनिक वैज्ञानिक इंग्लिश शिक्षा के मसिहा लॉर्ड मैकाले साहब के जन्मदिवस पर सभी को हार्दिक शुभकामनाएँ|

🌹 लार्ड मैकाले का जन्म दिवस 25 अक्टूबर 🌹

भारत में कानूनी प्रावधान करने के लिए चार्टर ऐक्ट 1833 के अंतर्गत प्रथम भारतीय विधि आयोग का गठन किया गया जिसका चेयरमैन आजीवन अविवाहित रहने वाले लार्ड थॉमस बेबिंग्टन मैकाले को बनाया गया। मैकाले ने वर्तमान लॉ, हिन्दू लॉ आदि का गहनतापूर्वक अध्ययन करते हुए अपनी रिपोर्ट ब्रिटिश सरकार को सौंपी। मैकाले की रिपोर्ट का अध्ययन और अन्य सुझावों हेतु चार्टर ऐक्ट 1853 के अंतर्गत द्वितीय भारतीय विधि आयोग का गठन किया गया। द्वितीय विधि आयोग द्वारा ब्रिटिश सरकार को रिपोर्ट सौंपे जाने के बाद आयोग की रिपोर्ट का अध्ययन और अन्य सुझावों हेतु The Act for Better Government of India 1858 के अंतर्गत गठित विधायी परिषद (Legislative Council) द्वारा गहन परीक्षण और दिए गये सुझावोंपरांत ब्रिटिश सरकार ने वर्तमान भारतीय दंड संहिता (Indian Penal Code) को मान्यता दी और भारत में चैत्र शुक्ल प्रतिपदा 57 ई० पू० से लागू असमानता पर आधारित ब्राह्मण दंड संहिता (बीपीसी) अर्थात मनुस्म्रति को शून्य घोषित करते हुए उसके स्थान पर ब्रिटिश सरकार ने भारत में आईपीसी 06 अक्टूबर 1860 से लागू की। वही आईपीसी आजतक भारत में कुछ मामूली संशोधनों के साथ लागू है।

लार्ड मैकाले का जन्म 25 अक्टूबर1800 को इंग्लैण्ड के लेस्टर शहर में हुआ था। वे 10 जून1834 को कम्पनी शासन द्वारा गठित प्रथम विधि आयोग के अध्यक्ष बनकर प्रथम बार भारत आये। लार्ड मैकाले भारत के बहुजनों के लिए किसी फरिस्ते से कम नहीं थे। वे हजारों साल से शिक्षा के अधिकार से वंचित बहुजन समाज के लिए मुक्ति दूत बनकर भारत आये। उन्होंने शिक्षा पर पुरोहित वर्ग के एकाधिकार को समाप्त कर सभी को समान रूप से शिक्षा पाने का अधिकार प्रदान किया तथा पिछड़ों, अस्पृश्यों व आदिवासियों की किस्मत के दरवाजे खोल दिए। लार्ड मैकाले अंग्रेजी के प्रकाण्ड विद्वान तथा समर्थक, सफल लेखक तथा धारा प्रवाह भाषण कर्ता थे। लार्ड मैकाले ने संस्कृत-साहित्य पर प्रहार करते हुए लिखा है कि क्या हम ऐसे चिकित्सा शास्त्र का अध्ययन कराएं जिस पर अंग्रेजी पशु-चिकित्सा को भी लज्जा आ जाये ? क्या हम ऐसे ज्योतिष को पढ़ायें जिस पर अंग्रेज बालिकाएं हँसें। क्या हम ऐसे इतिहास का अध्ययन कराएं जिसमें तीस फुट के राजाओं का वर्णन हो |
क्या हम ऐसे भूगोल बालकों को पढ़ाने को दें जिसमें शीरा तथा मक्खन से भरे समुद्रों का वर्णन हो। लार्ड मैकाले संस्कृत, तथा फारसी भाषा पर धन व्यय करना मूर्खता समझते थे। उन्होंने अंग्रेजी भाषा को शिक्षा का माध्यम बनाया। अंग्रेजी भाषा ने ही भारत को पूरी दुनियाँ से जोड़ा। लार्ड मैकाले ने वर्णव्यवस्था के साम्राज्यवाद को ध्वस्त किया तथा गैर बराबरी वाले मनुवादी साम्राज्य की काली दीवार को उखाड़ फेंका। सच्चाई यह है कि लार्ड मैकाले ने आगे आने वाली पीढ़ी के लिए एक मार्ग प्रशस्त किया जिसके कारण ज्योतिवा फुले, शाहु जी महाराज, रामा स्वामी नायकर और बाबा साहब आंबेडकर जैसी महान विभूतियों का उदय हुआ जिन्होंने भारत का नया इतिहास लिखा। मैकाले का भारत में एक मसीहा के रूप में आविर्भाव हुआ था जिसने चार हजार वर्ष पुरानी सामन्तशाही व्यवस्था को ध्वस्त करके जाति और धर्म से ऊपर उठकर एक इंसानी समाज बनाने का आधार दिया। मानवता के मसीहा और आजीवन अविवाहित रहने वाले मैकाले का केवल 59 वर्ष की आयु में 28 दिसंबर1859 को देहावसान हो गया। हम लार्ड मैकाले के एहसानमन्द हैं। हम उन्हें बार-बार प्रणाम करते हैं।

लार्ड मैकाले को समानता पर आधारित वर्तमान आईपीसी के जनक और भारत में शैक्षिक प्रसारक के रूप में हमेशा याद किया जायेगा तथा भारतीय मूलनिवासी बहुजन समाज लार्ड मैकाले का हमेशा ऋणी और कृतज्ञ रहेगा।

जय भीम! जय मूलनिवासी!!

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