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बोरकर बाबासाहब अंबेडकर से मिलने गये

1952 मे प्रथम चुनाव मे जब बाबासाहब अंबेडकर चुनाव हारे थे और एक दूसरा अछूत बोरकर चुनाव जीते, तब बोरकर बाबासाहब अंबेडकर से मिलने गये। तो उन्होंने बाबासाहब अंबेडकर से मुस्कुराते हुए कहा कि, “साहब आज मै चुनाव जीता हूँ, मुझे वास्तव मे बहुत ही खुशी हो रही है।” तब बाबासाहब अंबेडकर ने कहा कि, “तुम जीत तो गये तो अब क्या करोगे? और तुम्हारा कार्य क्या होगा?” तब बोरकर ने कहा कि, “मै क्या करुंगा, जो मेरी पार्टी कहेगी वो करुँगा।

” तब बाबासाहब अंबेडकर ने पूछा कि, “तुम सामान्य सीट से चुनाव जीते हो?” तो बोरकर ने कहा कि, “नही मै सुरक्षित सीट से चुनाव जीता हूँ जो आपकी मेहरबानी से संविधान मे दिये गये आपके अधिकार के तहत ही जीता हूँ।” बाबासाहब अंबेडकर ने बोरकर को चाय पिलायी। बोरकर के जाने के बाद बाबासाहब हंस रहे थे, तब नानकचन्द रत्तू ने पूछा कि, “साहब आप क्यो हंस रहे हो?

” तब बाबासाहब अंबेडकर ने कहा कि, “बोरकर अपने समाज का नेतृत्व और प्रतिनिधित्व करने के बजाय पार्टी के हरिजन बन गये है। आज कल हमारे समाज के सांसद, विधायक अपने समाज का प्रतिनिधित्व करने के बजाय पार्टियो के हरिजन नेता बन कर ही रह गये है।” यह बात बाबासाहब अंबेडकर ने 1952 मे ही कही थी जो आज तक सार्थक सिद्ध हो रही है।

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