कालेलकर कमीशन व मंडल कमीशन क्या है। जाने इतिहास
डॉ. के. के. गोहेल
भारत की राजनीति समझना है, तो 15 मिनट समय निकालकर जरूर पढ़ें |
1977 में जनता पार्टी की सरकार बनी, जिसमें मोरारजी देसाई ब्राह्मण थे। जिनको जयप्रकाश नारायण द्वारा प्रधानमंत्री पद के लिए नामित किया गया था। चुनाव में जाते समय जनता पार्टी ने अभिवचन दिया था, कि यदि उनकी सरकार बनती है, तो वे काका कालेलकर कमीशन लागू करेंगे। जब उनकी सरकार बनी, तो OBC का एक प्रतिनिधिमंडल मोरारजी देसाई से मिला और काका कालेलकर कमीशन लागू करने के लिए मांग की मगर मोरारजी देसाई ने कहा कि ‘कालेलकर कमीशन’ की रिपोर्ट पुरानी हो चुकी है, इसलिए अब बदली हुई परिस्थिति मेँ नई रिपोर्ट की आवश्यकता है। यह एक शातिराना बाह्मणवादियो की OBC को ठगने की एक चाल थी।प्रतिनिधिमडंल इस पर सहमत हो गया और B.P. Mandal जो बिहार के यादव थे, उनकी अध्यक्षता में मंडल कमीशन बनाया गया।
✍️✍️ बी.पी. मंडल और उनके कमीशन ने पूरे देश में घूम-घूमकर 3743 जातियों को OBC के तौर पर पहचान किया जो 1931 की जाति आधारित गिनती के अनुसार भारत की कुल जनसंख्या का 52% थे। मंडल कमीशन द्वारा अपनी रिपोर्ट मोरारजी सरकार को सौंपते ही, पूरे देश में बवाल खड़ा हो गया। जनसंघ के 98 MPs के समर्थन से बनी जनता पार्टी की सरकार के लिए मुश्किल खड़ी हो गयी। उधर अटल बिहारी बाजपेयी के नेतृत्व में जनसंघ के MPs ने दबाव बनाया कि अगर मंडल कमीशन लागू करने की कोशिश की गयी तो वे सरकार गिरा देंगे। दूसरी तरफ OBC के नेताओं ने दबाव बनाया। फलस्वरूप अटल बिहारी बाजपाई ने मोरारजी देसाई की सहमति से जनता पार्टी की सरकार गिरा दी।
✍️✍️ इसी दौरान भारत की राजनीति में एक Silent revolution की भूमिका तैयार हो रही थी जिसका नेतृत्व आधुनिक भारत के महानतम् राजनीतिज्ञ कांशीराम जी कर रहे थे। कांशीराम ने 6 दिसंबर 1978 में अपनी बौद्धिक बैँक बामसेफ की स्थापना की जिसके माध्यम से पूरे देश में OBC को मंडल कमीशन पर जागरण का कार्यक्रम चलाया। कांशीराम जी के जागरण अभियान के फलस्वरूप देश के OBC को मालूम पड़ा कि उनकी संख्या देश में 52% मगर शासन, प्रशासन में उनकी संख्या (प्रतिनिधित्व) मात्र 2% है। जबकि 15% तथाकथित सवर्ण, प्रशासन में 80% हैं। इस प्रकार सारे आंकड़े मण्डल कमीशन की रिपोर्ट में थे, जिसको जनता के बीच ले जाने का काम कांशीराम जी ने किया।
अब OBC जागृत हो रहा था। उधर अटल बिहारी ने जनसंघ समाप्त करके BJP बना दी। 1980 के चुनाव में संघ ने इंदिरा गांधी का समर्थन किया और इंन्दिरा, जो 3 महीने पहले स्वयं हार गयी थी 370 सीट जीतकर आयी।
✍️✍️ इसी दौरान गुजरात में आरक्षण के विरोध में प्रचंड आन्दोलन चला।
मजे की बात यह थी कि इस आन्दोलन में बड़ी संख्या में OBC स्वयं सहभागी था, क्योंकि ब्राह्मण-बनिया “मीडिया” ने प्रचार किया, कि जो आरक्षण SC, ST को पहले से मिल रहा है, वह और बढ़ने वाला है।
गुजरात में अनुसूचित जाति के लोगों के घर जलाये गये। मोदी जी इसी आन्दोलन के नेतृत्वकर्ता थे।
✍️✍️ कांशीराम जी अपने मिशन को दिन-दूनी, रात-चौगुनी गति से बढा़ रहे थे। ब्राह्मण अपनी रणनीति बनाते पर उनकी हर रणनीति की काट कांशीराम जी के पास थी। कांशीराम ने वर्ष 1981 में DS4 (DSSSS) नाम की “आन्दोलन करने वाली विंग” को बनाया। जिसका नारा था ‘ब्राह्मण बनिया ठाकुर छोड़ बाकी सब हैं DS4!’ DS4 के माध्यम से ही कांशीराम जी ने एक और प्रसिद्ध नारा दिया “मंडल कमीशन लागू करो, वरना सिंहासन खाली करो।’ इस प्रकार के नारों से पूरा भारत गूँजने लगा।
✍️✍️ 1981 में ही मान्यवर कांशीराम जी ने हरियाणा का विधानसभा चुनाव लड़ा, 1982 में ही उन्होंने जम्मू काश्मीर का विधान सभा का चुनाव लड़ा। अब कांशीराम जी की लोकप्रियता अत्यधिक बढ़ गयी। ब्राह्मण-बनिया “मीडिया” ने उनको बदनाम करना शुरू कर दिया। उनकी बढ़ती लोकप्रियता से इंन्दिरा गांधी घबरा गयीं। इंन्दिरा को लगा कि अभी-अभी जेपी के जिन्न से पीछा छूटा कि अब ये कांशीराम तैयार हो गया। इंन्दिरा जानती थी कांशीराम जी का उभार जेपी से कहीं ज्यादा बड़ा खतरा ब्राह्मणों के लिये था। उसने संघ के साथ मिलने की योजना बनाई। अशोक सिंघल की एकता यात्रा जब दिल्ली की सीमा पर पहुँची, तब इंन्दिरा गांधी स्वयं माला लेकर उनका स्वागत करने पहुंची।
✍️✍️ इस दौरान भारत में एक और बड़ी घटना घटी। भिंडरावाला जो खालिस्तान आंदोलन का नेता था, जिसको कांग्रेस ने अकाल तख्त का विरोध करने के लिए खड़ा किया था, उसने स्वर्ण मंदिर पर कब्जा कर लिया।
✍️ RSS और कांग्रेस ने योजना बनाई अब मण्डल कमीशन आन्दोलन को भटकाने के लिए हिन्दुस्तान vs खालिस्तान का मामला खड़ा किया जाय। इंन्दिरा गांधी ने आर्मी प्रमुख जनरल सिन्हा को हटा दिया और एक साऊथ के ब्राह्मण को आर्मी प्रमुख बनाया। जनरल सिन्हा ने इस्तीफा दे दिया। आर्मी में भूचाल आ गया। नये आर्मी प्रमुख ने इंन्दिरा गांधी के कहने पर OPERATION BLUE STAR की योजना बनाई और स्वर्ण मंदिर के अन्दर टैंक घुसा दिया। पूरी आर्मी हिल गयी। पूरे सिक्ख समुदाय ने इसे अपना अपमान समझा और 31 Oct.,1984 को इंन्दिरा गांधी को उनके दो Personal guards बेअन्तसिंह और सतवन्त सिंह, जो दोनों अनुसुचित जाति के थे, ने इंन्दिरा गांधी को गोलियों से छलनी कर दिया।
✍️✍️ ‘माओ’ अपनी किताब ‘ON CONTRADICTION’ में लिखते हैं कि शासक वर्ग किसी एक षडयंत्र को छुपाने के लिऐ दूसरा षडयंत्र करता है, पर वह नहीं जानता कि इससे वह अपने स्वयं के लिए कोई और संकट खड़ा कर देता है।’ माओकी यह बात भारतीय राजनीति के परिप्रेक्ष्य में सटीक साबित होती है।
✍️✍️ मंडल कमीशन को दबाने वाले षडयंत्र का बदला शासक वर्ग ने ‘इंन्दिरा गांधी’ की जान देकर चुकाया। इंन्दिरा गांधी की हत्या के तुरन्त बाद राजीव गांधी को नया प्रधानमंत्री मनोनीत कर दिया गया। जो आदमी 3 साल पहले पायलटी छोड़कर आया था, वो देश का ‘मुगले आजम’ बन गया। इंन्दिरा गांधी की अचानक हत्या से सारे देश में सिक्खों के विरूद्ध माहौल तैयार किया गया। दंगे हुए। अकेले दिल्ली में 3000 सिक्खों का कत्लेआम हुआ जिसमें तत्कालीन मंत्री भी थे। उस दौरान राष्ट्रपति श्री ज्ञानी जैल सिंह का फोन तक प्रधानमंत्री राजीव गांधी ने रिसीव नहीं किये। उधर कांशीराम जी अपना अभियान जारी रखे हुऐ थे। उन्होंने अपनी राजनीतिक पार्टी BSP की स्थापना की और सारे देश में साईकिल यात्रा निकाली। कांशीराम जी ने एक नया नारा दिया “जिसकी जितनी संख्या भारी उसकी उतनी हिस्सेदारी।”
✍️✍️ कांशीराम जी ने मंडल कमीशन का मुद्दा बड़ी जोर शोर से प्रचारित किया, जिससे उत्तर भारत के पिछड़े वर्ग में एक नयी तरह की सामाजिक, राजनीतिक चेतना जागृत हुई। इसी जागृति का परिणाम था कि पिछड़े वर्ग में नया नेतृत्व जैसे कर्पुरी ठाकुर, लालू, मुलायम का उभार हुआ। अब कांशीराम शोषित वंचित समाज के सबसे बड़े नेता बनकर उभरे। वहीं 1984 का चुनाव हुआ पर इस चुनाव में कांशीराम ने सक्रियता नहीं दिखाई और राजीव गांधी को सहानुभूति लहर का इतना फायदा हुआ कि राजीव गांधी 413 MPs चुनवा कर लाये। जो राजीव गांधी के नाना ना कर सके वह उन्होंने कर दिखाया। सरकार बनने के बाद फिर मण्डल का जिन्न जाग गया। OBC के MPs संसद में हंगामा शुरू कर दिये। शासक वर्ग ने फिर नयी व्यूह रचना बनाने की सोची।
✍️✍️ अब कांशीराम जी के अभियानों के कारण OBC जागृत हो चुका था। अब शासक वर्ग के लिऐ मंडल कमीशन का विरोध करना संभव नहीं था। दो हजार साल के इतिहास में शायद ब्राह्मणों ने पहली बार कांशीराम जी के सामने असहाय महसूस किया। क्योंकि कोई भी राजनीतिक उदेश्य इन तीन साधनों से प्राप्त किया जा सकता है वह है-
1) शक्ति संगठन की,
2) समर्थन जनता का
3) दांवपेच नेता का।
कांशीराम जी के पास तीनों कौशल थे और दांवपेच के मामले में वे ब्राह्मणों से 21 थे। अब यह समय था जब कांग्रेस और संघ की सम्पूर्ण राजनीति केवल कांशीराम जी पर ही केन्द्रित हो गयी।
✍️✍️ 1984 के चुनावों में बनवारी लाल पुरोहित ने मध्यस्थता कर राजीव गांधी और संघ का समझौता करवाया एवं इस संघ ने राजीव गांधी का समर्थन किया। गुप्त समझौता यह था कि राजीव गांधी राम मंदिर आन्दोलन का समर्थन करेंगे और हम मिलकर रामभक्त OBC को मूर्ख बनाते हैं। परिणामस्वरूप राजीव गांधी ने बाबरी मस्जिद का ताला खुलवाया और उसके अन्दर राम के बाल्यकाल की मूर्ति रखवायी।
✍️✍️ अब ब्राह्मण जानते थे अगर मण्डल कमीशन का विरोध करते हैं तो “राजनीतिक शक्ति” जायेगी, क्योकि 52% OBC के बल पर ही तो वे बार- बार देश के राजा बन जाते थे, और समर्थन करते हैं तो कार्यपालिका में जो उन्होंने स्थायी सरकार बना रखी थी वो छिन जाने का खतरा था। विरोध करें तो खतरा, समर्थन करें तो खतरा। करें तो क्या करें ?
✍️✍️ तब कांग्रेस और संघ ने मिलकर OBC पर विहंगम दृष्टि डाली, तो उनको पता चला कि पूरा OBC रामभक्त है। उन्होँने मंडल के आन्दोलन को कमंडल की तरफ मोड़ने का फैसला किया। सारे देश में राम मंदिर अभियान छेड़ दिया। बजरंग दल का राष्ट्रीय अध्यक्ष बनाया गया, जो पिछड़ा था। कल्याण सिंह, ऋतंभरा, उमा भारती, गोविन्दाचार्य आदि वो मनुवादी मानसिकता के गुलाम OBC थे जिनको संघ ने सेनापति बनाया। जिस प्रकार ये लोग हजारों सालों से पिछड़ों में विभीषण पैदा करते रहे इस बार भी इन्होंने ऐसा ही किया।
✍️✍️ वहीं दूसरी तरफ अनियंत्रित राजीव गांधी ने खुद को अन्तर्राष्ट्रीय नेता बनाने एवं मंडल कमीशन का मुद्दा दबाने के लिए प्रभाकरण से समझौता किया तथा प्रभाकरण को वादा किया कि जिस प्रकार उनकी माँ (इंदिरा गांधी) ने पाकिस्तान का विभाजन कर देश-दुनिया की राजनीति में अपनी धाक पैदा की थी वैसे वह भी श्रीलंका का विभाजन करवाकर प्रभाकरण को तमिल राष्ट्र बनवाकर देंगे। वहीं राजीव गांधी की सरकार में वी.पी. सिंह रक्षा मंत्री थे। बोफोर्स रक्षा सौदे में भ्रष्टाचार राजीव गांधी की सहायता से किया गया जिसको उजागर किया गया। _यह राजीव गांधी की साख पर बट्टा था।
✍️✍️ वीपी सिंह ने इसको मुद्दा बनाकर अलग जन मोर्चा बनाया। अब असली घमासान था। 1989 के चुनाव की लड़ाई दिलकश हो चली थी। पूरे उत्तर भारत में कांशीराम जी बहुजन समाज के नायक बनकर उभरे। उन्होंने 13 जगहों पर चुनाव जीता, जबकि 176 जगहों पर वे कांग्रेस का पत्ता साफ करने में सफल हो गये। राजीव गांधी जो कल तक दिल्ली का मुगल था, कांशीराम जी के कारण वह रोड मास्टर बन गया। कांग्रेस 413 से धड़ाम होकर 196 पर आ गयी। वी पी सिंह के गठबन्धन को 144 सीटें मिली, जिसके कारण वी पी सिंह ने चुनाव में जाने की घोषणा की, और कहा कि यदि उनकी सरकार बनी तो मंडल कमीशन लागू करेंगे।
✍️✍️ चन्द्रशेखर व चौधरी देवीलाल के साथ मिलकर सरकार बनाने की योजना वी पी सिंह द्वारा बनायी गयी। चौधरी देवीलाल प्रधानमंत्री पद के सबसे बड़े दावेदार थे पर योजना इस प्रकार से बनायी गयी थी कि संसदीय दल की बैठक में दल का नेता (प्रधानमंत्री) चुनने की माला चौ. देवीलाल के हाथों में दे दी जाए । चौ. देवीलाल (इस झूठे सम्मान से कि नेता चुनने का हक़ उनको दिया गया) ने माला वी पी सिंह के गले में डाल दिया। इस प्रकार वी पी सिंह नये प्रधानमंत्री बने।
✍️✍️ प्रधानमंत्री बनते ही OBC नेताओं ने मंडल कमीशन लागू करवाने का दबाव डाला। वी पी सिंह ने बहानेबाजी की पर अन्त में निर्णय करने के लिए चौ. देवीलाल की अध्यक्षता में एक कमेटी बनायी। चौधरी देवीलाल ने कहा कि इसमें जाटों को भी शामिल करो फिर लागू करो मगर वी पी सिंह ने इनकार कर दिया।
✍️✍️ चौधरी देवीलाल नाराज होकर कांशीराम जी के पास गये और पूरी कहानी सुनाकर बोले मुझे आपका साथ चाहिये। कांशीराम जी बोले कि ‘देवीलाल जनता ने तुझे “Leader” बनाया मगर ठाकुर ने “Ladder” (सीढ़ी) बनाया। तेरे साथ अत्याचार हुआ है और दुनिया में जिसके साथ अत्याचार होता है कांशीराम उसका साथ देता है।’ कांशीराम जी और देवीलाल ने वी पी सिंह के विरोध में एक विशाल रैली करने वाले थे। उसी दौरान शरद यादव और रामविलास पासवान ने वी पी सिंह से मुलाकात की। उन्होंने वी पी सिंह से कहा कि हमारे नेता आप नहीं बल्कि चौधरी देवीलाल हैं। अगर आप मंडल कमीशन लागू कर दें तो हम आपके साथ रहेंगे अन्यथा हम भी देवीलाल और कांशीराम का साथ देंगे।
✍️✍️ वी पी सिंह की कुर्सी संकट से घिर गयी। कुर्सी बचाने के लिए वी पी सिंह ने मंडल कमीशन लागू करने की घोषणा कर दी। सारे देश में बवाल खङा हो गया। Mr. Clean से Mr. Corrupt बन चुके राजीव गांधी ने बिना पानी पिये संसद में 4 घंटे तक मंडल के विरोध में भाषण दिया। जो व्यक्ति 10 मिनट तक संसद में ठीक से बोल नहीं सकता था, उसने OBC का विरोध अपनी पूरी ऊर्जा से पानी पी-पी कर किया और 4 घंटे तक बोला।
वी पी सिंह सरकार गिरा दी गयी। चुनाव की घोषणा हुयी और एम नागराज नाम के ब्राह्मण ने उच्चतम न्यायालय में आरक्षण के विरोध में मुकदमा (केश) कर दिया ।
✍️✍️ इधर राजीव गांधी ने जो प्रभाकरण से वादा किया था वो पूरा नहीं कर सके थे बल्कि UNO के दबाव में ऊन्होंने शांति सेना श्रीलंका भेज दी थी। राजीव गांधी के कहने पर प्रभाकरण के साथी काना शिवरामन को BOMB बनाने की ट्रेनिंग दी गयी थी। जब प्रभाकरण को लगा कि राजीव गाँधी ने धोखा किया। उसने काना शिवरामन को राजीव गांधी की हत्या कर देने का आदेश दिया और मई 1991 में राजीव गांधी को मानव बम द्वारा उड़ा दिया गया। एक बार फिर माओ का कथन सत्य सिद्ध हुआ। और मंडल के भूत ने राजीव गांधी की जान ले ली।
राजीव गांधी हत्या का फायदा कांग्रेस को हुआ। कांग्रेस के 271 सांसद चुनकर आये। शिबू सोरेन व एक अन्य को खरीदकर कांग्रेस ने सरकार बनायी। पी वी नरसिंम्हराव दक्षिण के ब्राह्मण प्रधानमंत्री बने।
✍️✍️ दूसरी तरफ मंडल कमीशन के विरोध में Supreme Court के 31 आला ब्राह्मण वकील सुप्रीम कोर्ट पहुँच गये। लालू यादव बिहार के मुख्यमंत्री थे, पटना से दिल्ली आये। सारे ब्राह्मण-बनिया वकीलों से मिले। कोई भी वकील पैसा लेकर भी मंडल के समर्थन में लड़ने के लिए तैयार नही था। लालू यादव ने रामजेठमलानी से निवेदन किया मगर रामजेठमलानी Criminal Lawyer थे जबकि यह संविधान का मामला था, फिर भी रामजेठमलानी ने यह केस लड़ा। मगर SUPREME COURT ने 4 बड़े फैसले OBC के खिलाफ दिये।
✍️✍️ 1. केवल 1800 जातियों को OBC माना।
✍️✍️ 2. 52% OBC को, 52% देने के बजाय संविधान के विरोध में जाकर 27% ही आरक्षण होगा।
✍️✍️ 3. OBC को आरक्षण होगा पर प्रमोशन में आरक्षण नहीं होगा।
✍️✍️ 4. क्रीमीलेयर होगा अर्थात् जिस OBC का INCOME 1 लाख होगा उसे आरक्षण नहीं मिलेगा।
इसका एक आशय यह था कि जिस OBC का लड़का महाविद्यालय में पढ़ रहा है, उसे आरक्षण नहीं मिलेगा बल्कि, जो OBC गांव में ढोर -डांगर चरा रहा है, उसे आरक्षण मिलेगा। यह तो वही बात हो गई कि दांत वाले से चना छीन लिया और बिना दांत वाले को चना देने कि बात करता है ताकि किसी को आरक्षण का लाभ न मिले।
✍️✍️ ये चार बड़े फैसले सुप्रीम कोर्ट के सेठ जी एवं भट्टजी ने OBC के विरोध में दिये। दुनिया की हर COURT में न्याय मिलता है, जबकि भारत की SUPREME COURT ने 52% OBC के हक और अधिकारों के विरोध का फैसला दिया। भारत के शासक वर्ग ने अपने हित के लिए सुप्रीम कोर्ट जैसी महान् न्यायिक संस्था का दुरूपयोग किया।
✍️✍️ मंडल को रोकने के लिए कई हथकंडे अपनाए गये थे जिसमें राम मंदिर आन्दोलन बहुत बड़ा हथकंडा था। उत्तर-प्रदेश में बीजेपी ने मजबूरी में कल्याण सिंह जो कि लोधा (OBC) या लोधी जाति से थे उनको मुख्यमंत्री बनाया।
✍️✍️ विशेष ध्यान:-
आपको बताता चलूं- कि कांशीराम जी के उदय के पश्चात् ब्राह्मणों ने लगभग हर राज्य में OBC मुख्यमंत्री बनाना शुरू किये, ताकि OBC का जुड़ाव कांशीराम जी के साथ न हो। इसी वजह से पिछड़े वर्ग के लोधी समाज को उत्तर प्रदेश का मुख्यमंत्री बनाया गया।
✍️✍️आडवाणी ने रथ यात्रा निकाली। नरेन्द्र मोदी आडवाणी के हनुमान बने। याद रहे कि सुप्रीम कोर्ट ने मंडल विरोधी निर्णय 16 नवम्बर 1992 को दिया और शासक वर्ग द्वारा 6 दिसम्बर 1992 को बाबरी मस्जिद गिरा दी गयी। बाबरी मस्जिद गिराने में कांग्रेस ने बीजेपी का पूरा साथ दिया। इस प्रकार सुप्रीम कोर्ट के निर्णय के बारे में OBC जागृत न हो सके, इसीलिए बाबरी मस्जिद गिराई गयी।
शासक वर्ग ने तीर मुसलमानों पर चलाया पर निशाना OBC थे। जब भी उन पर संकट आता है वे हिन्दू और मुसलमान का मामला खड़ा करते हैं। बाबरी मस्जिद गिराने के बाद कल्याण सिंह सरकार बर्खास्त कर दी गयी।
✍️✍️ दूसरी तरफ कांशीराम जी UP के गांव-गांव जाकर षडयंत्र का पर्दाफाश कर रहे थे। उनका मुलायम सिंह से समझौता हुआ। उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव हुए कांशीराम जी की 67 सीट एवं मुलायम सिंह को 120 सीटें मिली। बसपा के सहयोग से मुलायम सिंह मुख्यमंत्री बने।
UP के OBC और SC के लोगों ने मिलकर नारा लगाया _”मिले मुलायम कांशीराम, हवा मेँं उड़ गये जय श्री राम।”
शासक जाति को खासकर ब्राह्मणवादी सत्ता को इस गठबन्धन से और ज्यादा डर लगने लगा। इंडिया टुडे ने कांशीराम भारत के अगले प्रधानमंत्री हो सकते हैं! ऐसा ब्राह्मणों को सतर्क करने वाला लेख लिखा। इसके बाद शासक वर्ग अपनी राजनीतिक रणनीति में बदलाव किया। लगभग हर राज्य का मुख्यमंत्री उन्होंने शूद्र (OBC) बनाना शुरू कर दिया। साथ ही उन्होंने दलीय अनुशासन को कठोरता से लागू किया ताकि निर्णय करते वक्त वे स्वतंत्र रहें।
✍️✍️1996 के चुनावों में कांग्रेस फिर हार गयी और दो तीन अल्पमत वाली सरकारें बनी। यह गठबन्धन की सरकारें थी। इन सरकारों में सबसे महत्वपूर्ण सरकार H.D. देवेगौड़ा (OBC) की सरकार थी, जिनके कैबिनेट में एक भी ब्राह्मण मंत्री नहीं था। आजाद भारत के इतिहास में पहली बार ऐसा हुआ जब किसी प्रधानमंत्री के कैबिनेट में एक भी ब्राह्मण मंत्री नहीं था। इस सरकार ने बहुत ही क्रांतिकारी फैसला लिया। वह फैसला था OBC की गिनती करने का फैसला जो मंडल कमीशन की दूसरी योजना थी, क्योंकि 1931 के आंकड़े बहुत पुराने हो चुके थे। OBC की गिनती अगर होती तो देश में OBC की सामाजिक, आर्थिक स्थिति क्या है, उसके सारे आंकड़े पता चल जाते। इतना ही नहीं 52% OBC अपनी संख्या का उपयोग राजनीतिक उद्देश्य के लिऐ करता, तो आने वाली सारी सरकारें OBC की ही बनतीं। शासक वर्ग के समर्थन से बनी, देवेगौड़ा की सरकार फिर गिरा दी गयी।
✍️✍️ शासक वर्ग जानता है कि जब तक OBC धार्मिक रूप से जागृत रहेगा, तब तक हमारे जाल में फँसता रहेगा, जैसे 2014 में फंसा। शायद जाति आधारित गिनती ओबीसी की करने का निर्णय देवगौड़ा सरकार ने नहीं किया होता, तो शायद उनकी सरकार नहीं गिरायी जाती।
“ब्राह्मण अपनी सत्ता बचाने के लिये हरसंभव प्रयत्न में लगे रहे। वे जानते थे कि अगर यही हालात बने रहे थे तो ब्राह्मणों की राजनीतिक सत्ता छीन ली जायेगी।”
✍️✍️ जो लोग सोनिया को कांग्रेस का नेता नहीं बनाना चाहते थे वे भी अब सोनिया को स्वीकार करने लगे। कांग्रेस वर्किंग कमेटी में जब शरद पवार ने सोनिया के विदेशी होने का मुद्दा उठाया, तो आर.के. धवन नामक ब्राह्मण ने थप्पड़ मारा। पी.ए. संगमा, शरद पवार, राजेश पायलट, सीताराम केसरी, सबको ठिकाने लगा दिया। शासक वर्ग ने गठबन्धन की राजनीति स्वीकार कर ली। उधर अटल बिहारी बाजपेयी कश्मीर पर गीत गाते गाते 1999 में फिर प्रधानमंत्री हुए। अगर कारगिल नहीं हुआ होता तो अटल फिर शायद चुनकर आ जाते। “सरकार बनाते ही अटल बिहारी ने संविधान समीक्षा आयोग बनाने का निर्णय लिया”।
✍️✍️ अरूण शौरी ने बाबासाहेब अम्बेडकर को अपमानित करने वाली किताब ‘Worship of false gods’ लिखी। इसके विरोध में सभी संगठनों ने विरोध किया। विशेषकर बामसेफ के नेतृत्व में 1000 कार्यक्रम सारे देश में आयोजित किये गये। अटल सरकार ने अपना फैसला वापस (पीछे) ले लिया। ये भी नया हथकंडा था वास्तविक मुद्दों को दबाने का। फिर 2011 में जनगणना होनी थी। मगर OBC की जनगणना नहीं कराने का फैसला किया गया।
✍️✍️अब 2021 की जनगणना में भी ओबीसी की जाति आधारित गिनती कराने की मांग को नजरंदाज कर, प्रोफार्मा से कालम गायब कर दिया है! इस मामले में कांग्रेस और बीजेपी की एक जैसी सोच है। इसलिए “भारतीय लोकतांत्रिक व्यवस्था में संख्याबल के हिसाब से शासक बनने वाला ओबीसी अपना नुकसान तो कर ही रहा है, साथ ही साथ अपने दलित, आदिवासी भाइयों का भी नुकसान कर रहा है।”
✍️✍️ अतः सच्चाई और वास्तविकता से अनजान बनकर बहुजनों पर हो रही गहरी साज़िश को मजदूर किसानों ओबीसी वर्ग का ना समझना, OBC, SC, ST को देश का शासक बनने से रोक रहा है। अब फैसला मजदूर किसानों OBC, को करना है, कि उसे अपने मूलनिवासी भाईयो SC, ST के साथ रहना है या सवर्णों के साथ रहकर उनका हुक्का भरने का काम करना है!”
✍️✍️यहाँ एक बात और उल्लेखनीय है कि कांसीराम के बहुजनवाद की वजह से मजदूर किसानों OBC में स्वतंत्र लीडरशिप उभर रही थी उसका सवर्णों के राम मंदिर आंदोलन ने पूरी तरह हिन्दूकरण कर दिया। इसलिए आज तक ओबीसी मजदूर किसानों के अंदर बहुजनवाद की लीडरशिप का अकाल पड़ा हुआ है। कांशीराम के जिस बहुजनवाद के सामने सवर्णों का मनुवाद दम तोड़ रहा था आज कांशीराम जी की अनुपस्थिति में सवर्णों का मनुवाद सिर चढ़कर बोल रहा है। अतः बहुजन महापुरुष और उनकी बहुजन विचारधारा का निरन्तर प्रचार प्रसार करते रहें। सवर्णवाद या मनुवाद अपने आप दम तोड़ देगा और बहुजनों (SC/ST/OBC) को कोई भी MLA, MP, CM, PM बनने से नहीं रोक पायेगा।
✍️✍️सारांश-
असल में बीजेपी और कांग्रेस दोनों पार्टियां मिलकर पिछले 74 वर्षों से SC/ST/OBC मजदूर किसानों को बेवकूफ बना कर बारी-बारी से सत्ता का मजा ले रही हैं।
फर्क सिर्फ इतना है कि बीजेपी बहुत तेजी से और सिस्टमैटिक तरीके से SC/ST/OBC मजदूर किसानों की जड़े काट रही है, इसलिए “आप, कांग्रेस की तुलना में “बीजेपी ” कहीं ज्यादा खतरनाक है।”
✍️🤝बीजेपी, कांग्रेस और आप तीनों पार्टियों का टॉप मैनेजमेंट सवर्णवादी है, दलित, आदिवासी, पिछड़े वर्ग, मजदूर किसान और उनके नेताओं को ये अपने पैरों की जूती बराबर समझते हैं।
इन तीनों ही पार्टियों ने कभी भी सही मायने में SC/ST/OBC किसान मजदूरों का भला ना तो किया है और ना ही कभी करेगीं, क्योंकि “इसी में इनका विकास है।”*✍️(डॉ.के.के.गोहेल)
संपूर्ण महाराष्ट्रातील घडामोडी व ताज्या बातम्या तसेच जॉब्स/शैक्षणिक/ चालू घडामोडीवरील वैचारिक लेख त्वरित जाणून घेण्यासाठी आमच्या व्हाट्सअँप चॅनलला Free जॉईन होण्यासाठी या लिंकला क्लीक करा
तसेच खालील वेबसाईटवर Click करा
दैनिक जागृत भारत