महाराष्ट्रमुख्यपानविचारपीठसामाजिक / सांस्कृतिक

होली का त्योहार क्या है? और क्यों मानते हैं???


वीरांगना राजकुमारी होलिका की शहादत दिवस

हिंदू धर्म के त्योहार भारतीय समाज के लिए एक कलंक का टीका है ?
जानों तब मानो — होली पर विशेष लेख?

????????भारत के दलितों/पिछड़ों को “अपना इतिहास और साथ ही साथ ब्राह्मणों का इतिहास” भी जानना आवश्यक है।

???? जब तक ये लोग अपना इतिहास नहीं जानेगें तब तक इनमें आपसी प्रेम -भाव पैदा नहीं होगा और ये लोग दूसरों के बाप को अपना बाप मानकर पूजा करते रहेंगे ।” और अपने लोगों के शहादत के दिन शहादत मनाने के बजाय खुशियाँ मनाते रहेंगे |

????????अगर ब्राह्मणों के बारे मे नहीं जानेंगे तो अंधविश्वास, कर्मकांड, भूत प्रेत, आत्मा परमात्मा, पुनर्जन्म, सामाजिक बुराईंयों में उलझे रहेंगे और अपनी सारी कमाई ब्राह्मणों की झोली में डालते रहेंगे |

ब्राह्मणों के बारे में

पुरोहित /ब्राह्मण जब यजमान के हाथ में लाल- पीला धागा
(कलावा) तथाकथित रक्षासूत्र के रूप में बाॅधता है
तो मंत्र पढ़ता है —

  ????????"येन बद्धो बली राजा
       दानवेन्द्र महाबलः।
       तेन त्वाम् प्रतिवद्धनामि
       रक्ष,माचल-माचल।"

   अर्थात् जिससे (रक्षासूत्र से)
   दानवराज , महाबली  राजा बली को बाॅधा गया था,
   उसी से तुमको बाॅधता हूॅ ,

   (मेरी)रक्षा करना,
    चलायमान न होना।
  चलायमान न होना।
  (अडिग रहना)

   धागा बाॅधकर पुरोहित
  अपनी रक्षा का वचन
    यजमान से लेता है।

????????जानकारी न होने के कारण आज पिछड़े/दलित समाज के लोग यह धागा बाॅधकर गौरान्वित होते हैं।
उन्हें यह नहीं मालूम कि
यह धागा मानसिक गुलामी का
प्रतीक है।है।


होली के बारे में
1–प्रह्लाद के पिता का नाम हिरण्यकश्यप था। हिरण्यकश्यप हरिद्रोही अर्थात आज का आधुनिक हरिदोई जिला जो उत्तर प्रदेश में है ; वहाँ का राजा था |
( हरि = ईश्वर और द्रोही = द्रोह करने वाला यानि यहाँ के लोग ईश्वर को नहीं मानते थे )
हिरण्यकश्यप की एक बहन थी, जिसका नाम होलिका था।

????????होलिका युवा और बहादुर लड़की थी। वह आर्यों से युद्ध में हिरण्यकश्यप के समान ही लड़ती थी।हिरण्यकश्यप का पुत्र प्रह्लाद निकम्मा और अवज्ञाकारी था। आर्यों ने उसे सुरा (शराब ) पिला- पिलाकर नशेड़ी बना दिया था। जिससे वह आर्यों का दास (भक्त) बन गया था। नशेड़ी हो जाने के कारण वह अपने नशेड़ी साथियों के साथ बस्ती से बाहर ही रहता था

????????पुत्र मोह के कारण प्रह्लाद की माॅ अपनी ननद होलिका से उसके लिए खाना (भोजन) भेजवा दिया करती थी।
एक दिन होलिका शाम के समय जब उसे भोजन देने गयी तो नशेड़ी आर्यों ने उसके साथ बलात्कार और फिर
उसे जलाकर मार डाला। प्रातः तक जब होलिका घर न
पहुॅची , तब राजा को बताया गया। राजा ने पता लगवाया तो
मालूम हुआ कि शाम को होलिका इधर गयी थी लेकिन
वापस नहीं आई। तब राजा ने उस क्षेत्र के आर्यों को पकड़वाकर और उनके मुॅह पर कालिख पोतवाकर ,माथे पर कटार या तलवार से चिन्ह बनवा दिया और घोषित कर दिया कि ये कायर लोग हैं।
????????साहित्य में “वीर” शब्द का अर्थ है — बहादुर या बलवान। वीर के आगे ‘अ’ लगाने पर”अवीर” हो जाता है।
अवीर का मतलब —कायर या बुझदिल ।
????????होली के दिन लोग माथे पर जो लाल -हरा- पीला रंग लगाते हैं उसे “अवीर” कहते हैं।
????????यानि कि इस देश के सभी लोग “होली” के दिन अपनी बहन /बुआ का शहादत दिवस मनाने के बजाय खुशी -खुशी स्वयं से “कायर” बनते हैं और खुशियाँ भी मनाते है |
अवीर लगाना कायरता की निशानी है। दलित/पिछड़ों को यह नहीं लगाना चाहिए। न ही होली में खुशियाॅ
मनानी चाहिए।
????????बल्कि दलितों/पिछड़ों को होली को होलिका शहादत- दिवस के रूप में मनाना चाहिए।जिस समय यह घटना घटी थी,उस समय जातियाॅ नहीं थीं।जातियां बाद में बनी।
इस कारण होलिका ( DNA रिपोर्ट के अनुसार ) सभी दलित/पिछड़ों की बहन/बुआ हुई ।
????????जो अपने को हिन्दू समझते हैं, वे आज भी रात्रि में अपना मुर्दा नहीं जलाते हैं।
होलिका प्रह्लाद को गोद में लेकर अग्नि में स्वयं नहीं बैठी थी। यदि गोद में लेकर बैठी होती तो दोनों जलकर राख हो जाते।
????????ऐसा असम्भव है कि साथ -साथ बैठे व्यक्ति में से एक न जले। हमारा समाज कुछ पढ़ना नहीं चाहता , जिससे उसे अपने इतिहास की जानकारी नहीं हो पा रही है। जानकारी के अभाव में अपने पूर्वजों के हत्यारों राम ,दुर्गा आदि की जय जयकार करता है। पाठकों को इस पर चिन्तन करना चाहिए ।
✍????लोगों से एक अपील????

आप सभी लोग होलिका दहन के दिन “होलिका शहादत दिवस” मनायें | आप घर, गाँव, शहर में नहीं मना सकते तो कम से कम शोसल मीडिया ( फेसबुक, ट्वीटर, वाट्सअप इत्यादि ) के द्वारा तो मना ही सकते है |

???? सोचिए….?
हर दलित /पिछड़ों के टाइमलाइन पर उस दिन “होलिका शहादत दिवस”का मैसेज, वाट्सअप स्टेटस और मैसेज होलिका शहादत दिवस पर रहेगा तो कितना प्रभाव पड़ेगा |एक छोटी सी कोशिश करके तो देखिए…..
जनहित में जारी….? “पढ़ोगे तो जानोगे ।
जानोगे तो मानोगे ।।”

होली का कड़वा सच
त्यौहार त्यों -मतलब तुम्हारी हार- मतलब हार सभी शूद्र भाईओं एवं बहनों मनु विधान ने हमे गुलाम ही नही काल्पनिक कहानियों में भी फसाया है होलिका की कहानी हमारे शूद्र राजा हिरणाकश्यप (कश्यप कहार जाति के राजा से है) जो आज ओबीसी के नाम से जाने जाते हैं हिरणाकश्यप जिला हरदोई के बहुत प्रतापी राजा थे जो बौद्ध धर्म के अनुयायी थे
???? हिन्दू धर्म के काल्पनिक देवताओं के विरोधी थे सिर्फ तथागत गौतम बुद्ध के मार्ग को मानते थे इनके बालक का जन्म हुवा जिसका नाम प्रहलाद रखा लेकिन उसकी शिक्षा के लिए उनके पास अन्य कोई विकल्प नही थी इस लिए प्रह्लाद को शिक्षा ग्रहण करने के लिए गुरुकुल भेजा।
???? गुरुकुल में शिक्षा देने वाले सभी ब्राह्मण थे जो काल्पनिक देवी देवताओं की कहानी प्रह्लाद को बताते थे जिसके कारण प्रह्लाद राजा हिरणकश्यप की बौद्ध धर्म की बातों को अनसुना करने लगा और दोनों में मतभेद होने लगा आपस में झगड़ा होता रहता था।
????हिरणाकश्यप की बहन होलिका गुरुकुल अपने भतीजे प्रह्लाद से मिलने जाया करती थी एक दिन गुरुकुल में जो पंडित पढ़ाते थे उनकी नजर होलिका पर पड़ी होलिका बहुत सुंदर थी जिसके कारण वहां पढ़ाने वाले पंडितों ने उसका अपहरण कर अपने मुह बांध कर ,कोयला ,नकाब ,रंग लगाकर बलात्कार किया ताकि होलिका उनको पहचान न पाए।
????लेकिन होलिका ने पहचान कर उनका विरोध किया और हिरणाकश्यप को बताने को कहा जिससे गुरुकुल में पढ़ाने वाले पंडित घबराये और उन्होंने होलिका को आग लगाकर जला दिया और उसको होली नाम से पचारित किया।
???? जो आज भी चल रहा है होली जलाने वाला आज भी पंडित ही होता है साथियों होली त्यौहार हमारा अपमान है शूद्र भाई जाग्रत हो अपनी हार पर खुशी न मनाये ll

????होली का इतिहास ????

   होलिका अपने भाइयों से कह रही है

मैं होलिका हूं मेरे दर्द को समझो ?

  मेरे प्यारे मूलनिवासी भाइयों, 

             1-    मैं "होलिका" हूं, वही होलिका जिसको हर साल आप लोग जलाते हैं, और फिर जीभर कर होली खेलते हैं एवं नशा करते हैं। आज मैं आप लोगों से एक सच्चाई बताना चाहती हूं,कि मेरे साथ क्या हुआ था और मैं कैसे जली?

           2-मेरा घर लखनऊ के पास हरदोई ज़िले में था, मेरे दो भाई थे राजा हिरण्याक्ष और राजा हिरण्यकश्यप। राजा हिरण्याक्ष ने आर्यों द्वारा कब्ज़ा की हुई सम्पूर्ण भूमि को जीतकर अपने कब्ज़े में कर लिया था। यही से आर्यो ने अपनी दुश्मनी का षड़यंत्र रचना शुरू किया। 

            3-आर्यो ने मेरे भाई हिरण्याक्ष को विष्णु नामक आर्य राजा ने धोखे से मार डाला। उसके बाद मेरे भाई राजा हिरण्यकश्यप ने अपने भाई के हत्यारे विष्णु की पूजा पर प्रतिबन्ध लगा दिया। हिरण्यकश्यप का एक पुत्र था प्रह्लाद। विष्णु ने नारद नामक आर्य से जासूसी कराकर प्रह्लाद को गुमराह किया और घर में फूट डाल दिया। 

            4--प्रह्लाद गद्दार निकला और विष्णु से मिल गया तथा दुर्व्यसनों में पड़कर पूरी तरह आवारा हो गया। सुधार के तमाम प्रयास विफ़ल हो जाने पर राजा ने उसे घर से निकाल दिया। अब प्रह्लाद आर्यो की आवारा मण्डली के साथ रहने लगा, वह अव्वल नंबर का शराबी और नशाखोर बन गया था।

           5-- परंतु मेरा (होलिका) स्नेह अपने भतीजे प्रह्लाद के प्रति बना ही रहा। मैं अक्सर राजा से छुपकर प्रह्लाद को खाना खिला आती थी। 

           6--फागुन माह की पूर्णिमा थी, मेरा विवाह तय हो चुका था, फागुन पूर्णिमा के दूसरे दिन ही मेरी बारात आने वाली थी।मैंने सोचा कि आखिरी बार प्रह्लाद से मिल लू। क्योंकि अगले दिन मुझे अपनी ससुराल जाना था।

           7-जब मैं प्रह्लाद को भोजन देने पहुंची तो प्रह्लाद नशे में इतना धुत था कि वह खुद को ही संभाल नहीं पा रहा था। फिर क्या था,प्रह्लाद की मित्र मण्डली(आर्यो) ने मुझे पकड़ लिया और मेरे साथ सामूहिक दुष्कर्म किया। इतना ही नहीं भेद खुलने के डर से उन लोगों ने मेरी हत्या भी कर दी और मेरी लाश को भी जला दिया।

           8--जब मेरे भाई राजा हिरण्यकश्यप को यह बात पता चली तो उन्होंने मेरे हत्यारों को पकड़ लिया और उनके माथे पर तलवार की नोंक से "अवीर"(अ+वीर अर्थात कायर) लिखवा दिया तथा वहां उपस्थित प्रजा ने उनके मुख पर कालिख पोतकर, जूते-चप्पल की माला पहनाकर एवं गधे पर बैठाकर पूरे राज्य में जुलुस निकाला। जुलुस जिधर से भी जाता हर कोई उनपर कीचड़, मिट्टी कालिख फ़ेककर उन्हें ज़लील करता।

            9--परंतु आज समय के साथ आर्यो ने उस सच्चाई को छुपा दिया और उसका रूप बदलकर "होलिका दहन" और "होली का त्योहार" कर दिया। मेरे मूलनिवासी भाइयों यह "अवीर" का टीका तो उन लोगों के लिए है जो बहन-बेटियों के हत्यारे और बलात्कारी होते हैं।

          10-- तो क्या अब भी आप अपनी बहन(होलिका) को जलायेंगे? अवीर(कायर) का टीका लगायेंगे? और शोक के दिन जश्न(होली का त्योहार) मनायेंगे? 
                     फ़ैसला अब आपको करना है।आपके फ़ैसले और न्याय के इंतज़ार में .........? 

                        बहुजनों की 
                             आपकी बहन
                                      ( "होलिका" ) 

11) होली का सच

            1-- (याद रखो हिन्दू धर्म के देवी देवता ही तुम्हारे पूर्वजों के हत्यारे हैं!हिन्दु धर्म के भगवान उनके अवतार और उनके देवी देवता ना तो तुम्हारे हैं और न तुम उनके हो।)
                                     ----डॉ.B.R .अम्बेडकर 

           2--भारत के मूलनिवासी राजा यज्ञ, बलि और तथाकथित धार्मिक अनुष्ठानों के खिलाफ थे। क्योकि इन अनुष्ठानों से पशु धन, अनाज और दूसरे प्रकार के धन की हानि होती थी। जबकि धार्मिक अनुष्ठानों की आड़ में आर्य लोग अयाशी करते थे। ऋग्वेद को पढ़ने पर पता चलता है कि आर्य लोग धर्म के नाम पर कितने निकृष्ट कार्य करते थे।

          3-- अनुष्ठानों में सोमरस नामक शराब का पान किया जाता था, गाये, बैल, अश्व, बकरी, भेड़ आदि जानवरों को मार कर उनका मांस खाया जाता था। पुत्रेष्टि यज्ञ, अश्वमेघ यज्ञ, राजसु यज्ञ के नाम पर सरेआम खुल्म खुला सम्भोग किया जाता था या करवाया जाता था।

          4-- इन प्रथाओं, जो आज परम्परायें बन गई है के बारे ज्यादा जानकारी चाहिए तो आप लोग ऋग्वेद का दशवा मंडल, अथर्ववेद, सामवेद, देवी भागवत पुराण, वराह पुराण, आदि धर्म ग्रन्थ पढ़ सकते है।

         5-- (कुत्ते बिल्ली की पेशाब से उन्हें कोई परहेज नहीं है परन्तु तुम्हारे द्वारा दिए गए गंगा जल से अपवित्र

हो जाते हैं।)
—-डॉ.B.R.अम्बेडकर

         6--एक समय आर्यों ने इंडिया के एक शक्तिशाली राजा हिरणाक्ष के राज्य पर हमला किया और वहाँ अपना राज्य और अपनी सभ्यता को स्थापित करने की कोशिश की तो राजा हिरण्याक्ष ने भी आर्यों की अमानवीय संस्कृति का विरोध किया। 

         7--राजा हिरण्याक्ष जो की एक नागवंशी राजा था ने नागवंश के धर्म के मुताबिक़ आर्यों को अधर्मी और कुकर्मी करार दिया तथा आर्यों के धर्म को मानने से इंकार कर दिया। आर्यों ने हर संभव प्रयत्न करके देखा लेकिन उनको सफलता नहीं मिल पाई। 

         8--यहाँ तक आर्यों के राजाओं ब्रह्मा और विष्णु सहित उनके सेनापति इन्द्र को कई बार राजा हिरण्याक्ष ने बहुत बुरी तरह हराया। राजा हिरण्याक्ष इतना पराक्रमी था कि उन्होंने इन्द्र की तथाकथित देवताओं की राजधानी अमरावती को भी अपने कब्जे में कर लिया। 

            9--जब आर्यों का राजा हिरण्याक्ष पर कोई बस नहीं चला तो अंत में आर्यों ने एक षड्यंत्रकारी योजना के तहत विष्णु ने राजा हिरण्याक्ष को मौत के घाट उतार दिया। लेकिन आर्यों को हिरण्याक्ष की मृत्यु का कोई फायदा नहीं हुआ क्योकि हिरण्याक्ष की प्रजा ने आर्यों के शासन मानने से इंकार कर दिया और हिरण्याक्ष के भाई हिरण्यकश्यप को राजा स्वीकार कर लिया। 

          10--आर्यों का षड़यंत्र असफल हो गया था। राजा हिरण्यकश्यप भी बहुत शक्तिशाली योद्धा था जिसका सामना युद्ध भूमि में कोई भी आर्य नहीं कर पाया। राजा हिरण्यकश्यप के डर से आर्य भाग खड़े हुए। यहाँ तक देवताओं की तथाकथित राजधानी अमरावती को हिरण्यकश्यप ने पूरी तरह बर्बाद कर दिया।

        10-- हिरण्यकश्यप के पराक्रम से डरे हुए आर्यों ने एक बार फिर राजा हिरण्यकश्यप को मारने के लिए एक षड्यंत्र रचा। षड्यंत्र को अंजाम देने के लिए हिरण्यकश्यप की पत्नी रानी कियादु को मोहरा बनाया गया। 

        11--विष्णु नाम के आर्य ने रानी कियादु को पहले अपने प्रेम जाल में फंसाया और उसके बाद रानी कियादु को अपने बच्चे की माँ बनने पर विवश किया। विष्णु कई बार हिरण्यकश्यप की अनुपस्थिति में रानी के पास भेष बदल बदल कर आता रहता था।

          12--हिरण्यकशयप राज्य के कार्यों में व्यस्त रहता था, जिसके चलते विष्णु और कियादु के प्रेम के बारे राजा हिरण्यकश्यप को पता नहीं चला। समय के साथ रानी कियादु ने एक बच्चे को जन्म दिया और बच्चे का नाम प्रहलाद रखा गया।

          13-- राजा हिरण्यकश्यप राज्य के कार्यों में व्यस्त रहते थे इस का पूरा फायदा विष्णु ने उठाया और बचपन से ही प्रहलाद को आर्य संस्कृति की शिक्षा देनी शुरू कर दी। जिसके कारण प्रहलाद ने नागवंशी धर्म को ठुकरा कर आर्यों के धर्म को मानना शुरू कर दिया। 

           14--समय के साथ हिरण्यकशयप को पता चला कि उसका खुद का बेटा नागवंशी धर्म को नहीं मानता तो रजा को बहुत दुःख हुआ। राजा हिरण्यकश्यप ने प्रहलाद को समझाने की बहुत कोशिश की लेकिन प्रहलाद तो पूरी तरह विष्णु के षड्यंत्र का शिकार हो गया था और उसने अपने पिता के खिलाफ आवाज उठा दी। इसके चलते दोनों पिता और पुत्र के बीच अक्सर झगड़े होते रहते थे।

            15--उसके बाद आर्यों ने प्रहलाद को राजा बनाने के षड्यंत्र रचा कि हिरण्यकशयप को मार कर प्रहलाद को अल्पायु में राजा बना दिया जाये। इस से पूरा फायदा आर्यों को मिलाने वाला था। रानी कियादु पहले ही विष्णु के प्रेम जाल में फंसी हुई थी और प्रहलाद अल्पायु था। इसलिए अप्रत्यक्ष रूप से विष्णु का ही राजा होना तय था।

          16-हिरण्यकश्यप को आमने सामने की लड़ाई में हराने का सहस किसी भी आर्य में नहीं था। तो हिरण्याक्ष को छल से मारने का षड्यंत्र रचा गया। एक दिन विष्णु ने सिंह का मुखोटा लगा कर धोखे से हिरण्यकश्यप को दरवाजे के पीछे से पेट पर तलवार से आघात करके मौत के घाट उतार दिया। ताकि राजा को किसने मारा इस बात का पता न चल सके। 

             17-इस प्रकार धोखे से आर्यों ने मूलनिवासी राजा हिरण्याक्ष और हिरण्यकशयप के राज्य को जीता और प्रहलाद को राजा बना कर उनके राज्य पर अपना अधिपत्य स्थापित किया।

             18--हम होली अपने महान राजा हिरण्यकश्यप और वीर होलिका के बलिदान को याद रखने हेतु शोक दिवस के रूप मे मनाते थे और जिस तरह मृत व्यक्ति की चिता की हम आज भी परिक्रमा करते है और उस पर गुलाल डालते है ठीक वही काम हम होली मे होलिका की प्रतीकात्मक चिता जलाकर और उस पर गुलाल डालकर अपने पूर्वजो को श्रद्धांजलि देते आ रहे थे ताकि हमे याद रहे की हमारी प्राचीन सभ्यता और मूलनिवासी धर्म की रक्षा करते हुए हमारे पूर्वजो ने अपने प्राणो की आहुति दी थी। 

                   19--लेकिन इन विदेशी आर्यों अर्थात ब्राह्मण, वैश्य और क्षत्रियों ने हमारे इस ऐतिहासिक तथ्य को नष्ट करने के लिए उसको तोड़ मरोड़ दिया और उसमे “विष्णु” और उसका बहरूपिये पात्र “नृसिंह अवतार” की कहानी घुसेड़ दी। जिसकी वजह से आज हम अपने ही पूर्वजो को बुरा मानते आ रहे है, और इन लुटेरे आर्यों को भगवान मानते आ रहे है।

                   20--ये विदेशी आर्य असल मे अपने आपको “सुर” कहते थे क्योकि यह लोग सोम रस नाम की शराब का पान करते थे। और हमारे भारत के लोग और हमारे पूर्वज राजा शराब नहीं पिटे थे इसलिए आर्य लोग मूलनिवासियों और राजाओं को असुर कहते थे। 

                  21--और इन लुटेरों/डकैतो की टोली के मुख्य सरदारो को इन्होने भगवान कह दिया और अलग अलग टोलियो/सेनाओ के मुखिया/सेनापतियों को इन्होने भगवान का अवतार दिखा दिया अपने इन काल्पनिक वेद-पुराणों मे। और इस तरह ये विदेशी आर्य हमारे भारत के अलग-अलग इलाको मे अपने लुटेरों की टोली भेजते रहे और हमारे पूर्वज राजाओ को मारकर उनका राजपाट हथियाते रहे। 

                  22--और उसी क्रम मे इन्होने हमारे अलग-अलग क्षेत्र के राजाओं को असुर घोषित कर दिया और वहाँ जीतने वाले सेनापति को विभिन्न अवतार बता दिया। और आज इससे ज्यादा दुख की बात क्या होगी की पूरा देश यानि की हम लोग इनके काल्पनिक वेद-पुराणों मे निहित नकली भगवानों याने हमारे पूर्वजो के हत्यारो को पूज रहे है और अपने ही पूर्वजो को हम राक्षस और दैत्य मानकर उनका अपमान कर रहे है।

                  23-याद रहे की वेदों और पुराणों मे लिखा है की सारे भगवान “लाखो” साल पुराने है और भगवान अश्व अर्थात घोड़े की सवारी किया करते थे और विष्णु का वाहन “गरुड़” पक्षी है लेकिन “घोड़ा(हॉर्स)” और गरुड़ पक्षी भारत मे नहीं पाये जाते थे , ये विदेशी आर्य उन्हे कुछ “सैकड़ों” साल पहले अपने साथ लेकर आए थे, जिससे ये साबित होता है की ये विष्णु और उसके सारे अवतार काल्पनिक है और इन्होने अपनी बनाई हुई सेना के राजाओ और सेनापतियों को ही भगवान और उनका अवतार घोषित किया है।

                   24-अब समय आ गया है की हम अपने देश का असली इतिहास पहचाने और अपने पूर्वज राजा जो की असुर या दैत्य ना होकर वीर और पराक्रमी महान पुरुष हुआ करते थे उनका सम्मान करना सीखे और जिन्हे हम भगवान मानते है दरअसल वो हमारे गुनहगार है और हमारे पूर्वजो के हत्यारे है जिनकी पूजा और प्रतिष्ठा का हमे बहिष्कार करना है।

               25-साहित्य में "वीर" शब्द का अर्थ है ---
                     बहादुर या बलवान
                वीर के आगे 'अ'  लगाने पर "अवीर" हो जाता
                है।अवीर का मतलब ---  कायर या बुजदिल

               26-????होली के दिन लोग माथे पर जो  लाल
               -हरा- पीला  रंग लगाते हैं उसे "अवीर" कहते हैं।

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12) होली: रंगो का त्यौहार इतना वीभत्स क्यों ?
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1-बहुत सी गलियों में होलिका के नाम पर स्त्रियों का सम्मान जलाया जायेगा। लोग सिर्फ उतना ही जानते है जितना उनको बताया गया। होलिका नाम की कोई स्त्री नहीं थी। पर औरतो के मन में वहम डालना जरुरी है, अगर पुरुषवादी ब्राह्मणवाद हिन्दुवाद के खिलाफ कोई खड़ी हो तो उसका अंजाम क्या किया जाएगा।

            2-आज भी दहेज़ के लिए, प्रेम सम्बन्ध स्वीकार न किये जाने पर, प्रेम करते पकडे जाने पर और भी कई मामलो में स्त्री को जलाया जाता है। नदी नालो और मल तक को स्त्री बनाकर पूजने वाले ही स्त्री को जलाने में सबसे आगे रहते है।

            3--खैर, स्त्री के अपमान की इस कुप्रथा का अब विरोध जरुरी है। अब सभी स्त्रियों के विवेक पर है। क्या वो स्त्री होकर स्त्री को अपमानित करने वाली इस कुप्रथा के समर्थन में खड़ी होंगी या फिर विरोध करेंगी।

           4-कविता की चंद पंक्तियाँ धर्म के कानूनों को नंगा
                 कर देती है:----

   कितने हिंसक,
      कितने क्रूर,
   कितने नृशंस हैं वो लोग
जो एक स्त्री को जिंदा जलाते हैं

और उसकी हत्या का त्योहार मनाते हैं
और कहते हैं-
‘यत्र नार्यस्तु पूज्यन्ते तत्र रमन्ते देवता।’

    हमें उस सभ्यता,
 उस संस्कृति पर गर्व है

जहाँ स्त्री को जिंदा जलना पर्व है…..

13) होली पर्व में अपवित्र चीजों का इस्तेमाल क्यों ?
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            1.मांस भक्षण -अवित्र

            2. नशा, दारू, भांग, गांजा, शराब का इस्तेमाल -
                अपवित्र

            3. अश्लील गाने, सेक्सी गीत, अभद्र टिप्पणी-
                अपवित्र

           4. स्त्री, लड़की के ऊपर गंदे जोक, गाना- अपवित्र

          5. स्त्री, लड़की के शरीर, कोमल अंग, गुप्तांग स्थानों
               पर रंगों का लेप लगना, रंग डालना, मस्ती करना
                - अपवित्र

           6. होलिका के रूप में लड़की के प्रतीक को
                जलाना ,स्त्री के सम्मान को ठेस पहुचाना
                -अपवित्र

            7. जबरन गंदे चीजे, गोबर, मिटटी, कादो, कालिख
                 पोतना, कीचड़ में धकेलना, -अपवित्र

            8. राहगीरों, अजनबी, अंजान व्यक्ति, औरत के
               साथ , गलत हरकत, - अपवित्र

             9. रंगों के साथ ख़राब चीजो का लेप लगाना ,
                स्वास्थ्य के लिये बुरा है -अपवित्र

           10. दुश्मनी का बदला लेने का अवसर - अपवित्र

             11--  ये होली का असली चेहरा है जो किसी भी दृष्टि से पवित्र नही है , इसे हमलोंगो को विचार करनी चाहिये । जिसमे एक भी चीजे अच्छी न हो ,वह हमारी संस्कृति नही हो सकती । इसके बहाने बहुत बुरा काम दुश्मन कर बैठता है । यह कभी धर्म का हिस्सा नही हो सकता ।  सोचे, विचारे , चिंतन करे मेरे बातो पर ।।

13) होली पर्व का निष्कर्ष :—

क्या आप,,अब भी होलिका दहन होने देंगे… अपने आसपास के लोगो को समझाइये और इस वीभत्स प्रथा का ख़त्म करने में सहयोग करें।_ जागो और जगाओ अंधविश्वास पाखंड बाद भगाओ समाज को शिक्षित करो !संगठित करो!!जागरुक करो!!!
हिन्दू धर्म के आतंकवाद को खत्म करने के लिए सभी बौद्ध बनो शर्वश्रेषट इंसान बनो

बौद्धाचार्य डॉ एस एन बौद्ध 9953177126

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दैनिक जागृत भारत

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