हमें भगवान से दिक्कत नहीं है, मंदिर से भी दिक्कत नहीं है; दिक्कत हैआपके झगड़ालूपन से..

अयोध्या में राम का मंदिर अकबर के समय में बना
बाबर के समय में भारत में कोई राम मंदिर नहीं था
यदि आप गूगल में सर्च करें कि भारत का सबसे पुराना राम मंदिर कौन सा है
तो वह बताएगा कि ओरछा का राम मंदिर सबसे पुराना है
ओरछा का राम मंदिर 1575 के बाद बना
यानी अकबर के समय के बाद
तुलसीदास द्वारा रामचरितमानस लिखे जाने से पहले भारत में आम जनता राम के बारे में नहीं जानती थी
राम मंदिर तुलसीदास के बाद बने हैं
तुलसीदास अकबर के समय में हुए
तो जब राम मंदिर बना ही पोते के समय में है
तो उसे अकबर के दादा बाबर ने तोड़ कैसे दिया ?
इसी तरह से अगर आप गूगल से पूछें कि भारत का सबसे पुराना हिंदू मंदिर कौन सा है ?
तो वह बिहार का कैमूर का मुंडेश्वरी देवी का मंदिर बताएगा जो 2186 साल पुराना है
यानी 186 ईसा पूर्व
आप मुंडेश्वरी देवी मंदिर के चित्र सर्च करेंगे
तो आप चौंक जायेंगे
क्योंकि वह तो बुद्ध प्रतिमाएं हैं
असल में भारत के लोगों को इतिहास में कोई रुचि ही नहीं है
इन्हें फर्जी कहानियों लड़ाई झगड़ा नफरत करने में मजा आता है
अगर आप ईमानदारी से इतिहास की टाइमलाइन देखेंगे
तो आपको पता चलेगा कि आपके बहुत सारे भगवान और देवी देवता जिनकी आज पूजा करते हैं वह बहुत नए हैं
हमें आपके भगवान से दिक्कत नहीं है
आपके मंदिर से भी दिक्कत नहीं है
आपके झगड़ालूपन से दिक्कत है
झूठ के आधार पर चलाई जा रही राजनीति से दिक्कत है
राजनीति सत्य के आधार पर होनी चाहिए
राजनीति सबका भला करने वाली होनी चाहिए
लेकिन अगर आप झूठ और गप्प के आधार पर अपने को महान साबित करके दूसरों को छोटा और नीच साबित करेंगे
तो हम आपको इसी तरह आईना दिखाते रहेंगे
Himanshu Kumar
बिना आरक्षण के ????????
“ ब्राह्मणो का कहर”
ज़रा देखिये और समझिये शास्त्री जी (इसे लिखने मे 2 घंटे लगे हैँ पढ़ने मे 10 मिनट लगेंगे आपके जरूर पढ़े ????)
No.1- *राष्ट्रपति
सचिवालय*— कुल पद 49′ है जिसमे ‘ब्राह्मण : 45
SC’ST- 4″
OBC- 00 “
No.2- उप राष्ट्रपति सचिवालय कुल पद 7'
जिसमे 7 के 7 पदों पर ब्राह्मण हैं
“SC/St : 00”
OBC- 00 “
No.3- मंत्रियो के कैबिनेट सचिव —– कुल पद 20 ‘ जिसमे 19 ब्राह्मण “SC’ST-1 “OBC-00 “
No.4- प्रधानमंत्री कार्यालय—कुल पद 35 जिसमे 33 ब्राह्मण “SC’ST-2 OBC-00 “
No.5- कृषि एवं सिचंन विभाग—–कुल पद 274 जिसमे 259 ब्राह्मण “SC’ST-15″ OBC-00”
No.6- रक्षा मंत्रालय—- कुल पद है 1379 जिसमे 1331 ब्राह्मण SC’ST-48 ” OBC-00 है “
No.7- समाज कल्याण एवं हैल्थ मंत्रालय —— कुल पद 209 जिनमे 192 ब्राह्मण “SC’ST-17 OBC-00 है
No.8- वित्त मंत्रालय—- कुल पद है 1008 जिसमे 942 ब्राह्मण “SC’ST- 66 ” OBC- 00 है
No.9- गृह मंत्रालय—- कुल पद है 409 जिसमें 377 ब्राह्मण ” SC’ST-19″ OBC-13 है
No.10- श्रम मंत्रालय—- कुल पद है 74 जिसमे 70 ब्राह्मण “SC’ST-4” OBC-00 है
No.11- रसायन एवं पेट्रोलियम मंत्रालय—– कुल पद है 121 जिसमे 112 ब्राह्मण ” SC’ST-9″ OBC-00 है
No.12- राज्यपाल एवं उपराज्यपाल ——– कुल पद है 27 जिसमे 25 ब्राह्मण SC’ST-00″ OBC-2
No.13- विदेश मे राजदूत—- 140 जिसमे 140 ही ब्राह्मण है “SC’ST-00 ” OBC-00 है
No.14- विश्वविद्यालय के कुलपति ——- कुल पद 108 जिसमे 108 ही ब्राह्मण है ” SC’ST-00″ OBC-00 है
No.15- प्रधान सचिव —- पद है 26 जिसमे 26 ही ब्राह्मण है ” SC’ST-00″ OBC-00 है
No.16- हाइकोर्ट के न्यायाधीश — कुल पद 330 जिसमे 326-ब्राह्मण ” SC’ST-4″ OBC-00 है
No.17- सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश ——- कुल पद 23 जिसमे 23 ही ब्राह्मण ” SC’ST-00″ OBC-00 है
No.18- IAS अधिकारी—- 3600 जिसमे 2950 ब्राह्मण ” SC’ST-600 ” OBC-50 है
No.19- PTI ——- कुल पद 2700 जिसमे 2700 ब्राह्मण ” SC’ST-00″ OBC-00 है “
No.20- शंकराचार्य —– कुल 05 जिसमे 05 ही ब्राह्मण है” SC’ST-00 OBC-00 है ।
भाईयों इसे ज्यादा से ज्यादा बहुसंख्यक भाइयों को शेयर करें ...!!
आरक्षण का स्वरूप
आरक्षण में आपको चावल, गेहूँ, नमक मिल गया और चपरासी, मास्टर, पटवारी आदि में नौकरी लग जाये तो इसे आरक्षण न समझें …!
आरक्षण किसे कहते हैं ?
इसे कुछ उदाहरणों से समझने का प्रयास करें :-
- जब अपने स्कूल की क्रिकेट टीम में भी चयनित न होने वाले जय साह को सीधे BCCI के सचिव बनाते हैं, -इसे कहते हैं आरक्षण।
- जब बिना किसी परीक्षा और इंटरव्यू के सीधा हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट में अपनी पारिवारिक पृष्ठभूमि एवं रिस्तेदारी के कारण जज नियुक्त होते हैं, उसे कहते हैं आरक्षण।
- जब तमाम स्कूल और कॉलेज खोलने वाले मैनेजर अपने रिस्तेदारों, बहू-बेटों को, बिना किसी योग्यता और पात्रता के आधार पर और सरकारी अनुदान पर नियुक्त करा लेते हैं, तो इसे कहते हैं आरक्षण।
- जब तमाम अकेडमिक परिक्षाएं पास करने तथा पात्रता परीक्षा उत्तीर्ण करने के बाद भी सिर्फ जाति के आधार पर अयोग्य घोषित कर दिया जाता है अर्थात “नाट फाउंड सूटेबल”( कोई पद के योग्य नहीं मिला)। ताकि आगे उन पदों पर अपने वर्ग के हितों के अनरूप नियुक्ति की जा सके तो उसे कहते हैं आरक्षण।
- जब केन्द्रीय मंत्री के पुत्र को बिना किसी प्रतियोगी परीक्षा के राज्य सरकार बड़े पद पर नियुक्त कर देती है तो इसे कहते हैं आरक्षण।
- जब पहली बार सांसद अथवा विधायक बनने पर कैबिनेट मंत्रालय में अहम मंत्रालय सौंपा जाता है तो इसे कहते हैं आरक्षण।
- जब बिना IAS की परीक्षा पास किए किसी वर्ग-विशेष के लोगों को सीधे संयुक्त-सचिव बना दिया जाता है तो इसे कहते हैं आरक्षण।
- जब लोकडाउन में भी मुख्यमंत्री, पूर्व प्रधानमंत्री मंदिरों में जाते हैं या विवाह-पार्टी अटैंड करते हैं जबकि दूसरी तरफ मरीजों व मजदूरों को सड़क पर मुर्गा बनाकर पीटा जाता है तो इस विशेषाधिकार को कहते हैं आरक्षण।
- आज तक तीर-कमान भी न बनाने का अनुभव रखने वाली कम्पनी को सीधे राफेल लड़ाकू विमान बनाने का ठेका दे दिया जाता है तो उसे कहते हैं आरक्षण।
- जब एक ही तरह् के मुकदमे में यादव को जेल और मिश्रा को बेल (रिहाई) मिल जाती है तो यहाँ दिखाई देता है वर्ग और जाति विशेष का आरक्षण
- जब हजारों-करोड़ों रूपयों का कर्जा माफ और दस-बीस हज़ार रूपये के लिये कुर्की की जाती है तो उसे कहते हैं आरक्षण।
- प्राईमरी स्कूल खोलने लायक भी इंफ्रास्ट्रक्चर न होने के बावज़ूद ” कागज़ी जियो यूनिवर्सिटी” को 10,000 करोड़ रूपये मिलते हैं वो भी “सेंटर आफ एक्सीलेंस” बनाने के लिये तो इसे कहते हैं आरक्षण
- जब राष्ट्रपति के अंगरक्षकों की भर्ती चुनिन्दा जातियों से की जाती है तो उसे कहते हैं आरक्षण।
- सारे मंदिर के पुजारी एक वर्ग विशेष को बनाया जाता है तो उसे कहते है आरक्षण
- जब सेनाध्यक्षों की पूरी टोली एक वर्ग से आती है इसे कहते है आरक्षण
- जब राम मंदिर ट्रस्ट में वर्ग विशेष को ही ट्रस्टी बनाया जाय तो उसे कहते है आरक्षण
- जब पिछड़े वर्ग के बदमाशों को अपराधी और सवर्ण वर्ग के बदमाशों को बाहुबली कहा जाय तो उसे कहते है आरक्षण !
जिसको भारत में आरक्षण नजर आता है, वो सिर्फ प्रतिनिधित्व है। जो सभी यूरोपीय, अमेरिकी, अफ्रीकी और जापान आदि देशों में भी अपनाया गया है।
" संख्या के अनुपात मे प्रतिनिधित्व " लोकतंत्र का प्राण होता है, जिसे "भारतीय संविधान " ने अपने प्रत्येक नागरिक को प्रदान किया है ...!
! जय भारत !
!! जय संविधान !!
आरक्षण बचाओ
भारत में ब्राह्मण की
जनसंख्या : 3% प्रतिशत
लोकसभा में ब्राह्मण : 80%
राज्यसभा में ब्राह्मण : 96 %
ब्राह्मण राज्यपाल : 50 %
कैबिनेट सचिव : 33 %
मंत्री सचिव में ब्राह्मण : 54%
अतिरिक्त सचिव ब्राह्मण : 62%
पर्सनल सचिव ब्राह्मण : 70%
यूनिवर्सिटीमें ब्राह्मण वाईस
चांसलर : 91%
सुप्रीम कोर्टमें ब्राह्मण जज: 96%
हाई कोर्टमें ब्राह्मण जज : 80 %
भारतीय राजदूत ब्राह्मण : 81%
पब्लिक अंडरटेकिंग ब्राह्मण :
केंद्रीय : 87%
राज्य : 82 %
बैंक में ब्राह्मण : 57 %
एयरलाइन्स में ब्राह्मण : 61%
IAS ब्राह्मण : 72%
IPS ब्राह्मण : 61%
टीवी कलाकार एव बॉलीवुड : 83%
CBI, CEx & Customs ब्राह्मण 72%
मंदिरों में ब्राह्मण- 100%
मिडिया में ब्राह्मण- 90%
ये देखो ब्राह्मणों का आरक्षण!!!
इसका विरोध आज तक किसीने क्यू नही
किया???
SC व ST को 22.5% आरक्षण नौकरी और
राजनीति में मिला है, बाकी क्षेत्रों में नहीं।
अब हम देखते हैं कि देश में आरक्षण और जनसंख्या
का अनुपात क्या है?
जनसंख्या आरक्षण 100% में
एस सी 15% आरक्षण15%
एस टी 7.5% आरक्षण 7.5%
ओबीसी 52% आरक्षण 27 %
अल्पसंख्यांक 10.5% आरक्षण 0%
कुल्ल संख्या 85 % आरक्षण 49.5 %
अर्थात, SC, ST, OBC और MINORITY’s की
जनसंख्या 85% है और उन्हें आरक्षण है सिर्फ 49.5%.
जनरल या ओपन कैटेगिरी की जनसंख्या है 15%
और उन्हें आरक्षण है 50.5%.
अब इन आंकडों को देख कर बताइए की वास्तव में
तथाकथित आरक्षण (ओपन के नाम पर) कोन ले
रहा है ?…..अर्थात, ब्राह्मण !!!
देश में ओपन या जनरल कैटिगरी की लोकसंख्या है
सिर्फ 15% और उन्हें आरक्षण दिया जा रहा है
50%.
उन 15% में विदेशी ब्राह्मण है सिर्फ 3.5% और
यही अल्पसंख्यांक ब्राह्मण लोग वास्तव में 80 से
90% आरक्षण खाये जा रहे हैं। मतलब, ब्राह्मण
ओपन के नाम पर बनिया और राजपूतों का ही
आरक्षण तो खा ही रहा है, साथ ही साथ वह
SC/ST/OBC का भी आरक्षण खा रहा है।
यही कारण है कि, SC/ ST/ OBC का कोटा
पिछले 65 सालों से आजतक भरा हुआ नहीं है।
OBC की स्थिति अत्यंत दयनीय है। उनकी
लोकसंख्या है 52% और उनको आरक्षण मिला है
सिर्फ 27.5%!! उपर से क्रिमिलेयर का आर्थिक
आधार लगाकर ब्राह्मणों ने OBC के आरक्षण को
Zero बना दिया है। इसलिए, OBC का कोटा
सिर्फ 4.1% ही भरा हुआ है और उनका बचा हुआ
आरक्षण ब्राह्मणों ने हडप लिया है :
इसलिए लोकसंख्या के अनुसार सभी जातियों को
आरक्षण मिलना चाहिए…।
ब्राह्मण अगर 3.5% है,
तो उन्हें सिर्फ 3.5% ही आरक्षण मिलना चाहिए और 3.5% से ज़्यादा जगहों पर से ब्राम्हणों को हटाकर उन जगहों पर SC/ ST/ OBC की भर्ती करनी चाहिए।
अगर ऐसा हुआ तो मराठा, जाट, अहिर,लिंगायत, रेड्डी, पटेल ऐसे सभी जाति समुदायों को उनकी संख्या के अनुपात में आरक्षण मिलेगा …!
ये जानकारी हमारे दूसरे भाइयो तक पहुँचाओ जागो OBC,SC, ST,NT, अल्प-संख्यक भाइयोंजागो
ज़रा सोंचो …!!
बिग ब्रेकिंग न्यूज
9 फ़रवरी 2024
संविधान पर मोदी सरकार का अब तक का सबसे बड़ा हमला????????
अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति की सूची मे वर्गीकरण करने का अधिकार संसद और सुप्रीम कोर्ट को भी नहीं है ???????? संसद सत्र के अंतिम दिन मोदी ने संसद में घोषणा की है कि मोदी का तीसरा कार्यकाल बड़े फैसले करेगा जिसकी बानगी सुप्रीम कोर्ट में सरकार की ओर से पैरवी में दिखाई दी , सविधान का उलंघन कर सुप्रीम कोर्ट मे कोटे मे कोटे की वकालत की है मोदी सरकार ने ????????
संविधान के अनुच्छेद 341 एवं 342 में classification का जो अधिकार सांसद के पास नही है उसे राज्य सरकारों को देना प्रतिनिधित्व के अधिकार को खत्म करने की बड़ी साजिश है ????????
पांच न्यायमूर्ति की संविधान पीठ के संविधान के अनुरूप फैसले को मोदी सरकार की पलटवाने की तैयारी ????????
कोटे से कोटे मे आरक्षण देकर, उनका आरक्षण लूटने की तैयारी, 15 प्रतिशत आरक्षण मे अटल की भाजपा सरकार ने पहले पद को 7 वा पद sc का बना दिया था वर्गीकरण करके यदि किसी जाति को 5% मिलेगा तो उसका 20 वाँ पद बनेगा जिनके पास 10% होगा उनका 1o वाँ पद बनेगा
संविधान सभा की बैठकों में संविधान बनाते समय तय हो गया था कि एससी एसटी की लिस्ट में वर्गीकरण नहीं हो सकता उसे मोदी सरकार सुप्रीम कोर्ट से कराने की फ़िराक़ मे है ????????
सम्मानित साथियो
अनुसूचित जाति जनजाति का आरक्षण खत्म करना भाजपा सरकार की सर्वोच्च प्राथमिकताओं में शामिल है,संविधान के अनुच्छेद 39, B, और C का उलंघन करके सरकारी संस्थानों को कोडियो के मोल अपने लोगो को बेचने के बाद भी मोदी सरकार को संतोष नही मिला तो सुप्रीम कोर्ट से संविधान का उलंघन कराकर अनुसूचित जाति की सूची में क्लासिफिकेशन कराने की विधि विरुद्ध कोशिश शुरू कर दी है ,अभी तक एससी एसटी ओबीसी का किसी भी संवर्ग मे आरक्षण पूरा नहीं हुआ परंतु उसे नेस्तनाबूद करने के लिए आए दिन सरकार नए-नए हथकंडे अपना रही हैं संविधान के अनुच्छेद 341 और 342 में अनुसूचित जाति जनजाति की सूची में किसी जाति को शामिल करना और उसे बाहर निकालना संसद के अधिकार क्षेत्र में आता है,कुछ लोग पिछड़ गए और कुछ ज्यादा आगे बढ़ गए इसका झूठ फैलाया जा रहा है ,परंतु किस जाति को कितना कोटा मिला कोई डाटा सरकार और सुप्रीम कोर्ट के पास नही है पंजाब में 1971 में उस जाति विशेष का नौकरियों में क्या डाटा था और वर्तमान में क्या है कोई नही जानता ,नौकरियां खत्म करके कमजोर वर्गो का मूर्ख बनाया जा रहा है , हद तो तब हो गई जब केंद्र और पंजाब सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में भी संविधान विरोधी पक्ष रखकर सुप्रीम कोर्ट को गुमराह करने की कोशिश कर दी गई
अनुसूचित जाति की सूची का क्लासिफिकेशन करने का कोई अधिकार ना तो संविधान ने संसद को दिया है और ना ही सुप्रीम कोर्ट को दिया है ,सरकार और सुप्रीम कोर्ट के न्यायमूर्ति नियुक्ति के समय संविधान के अनुरूप काम करने की शपथ लेते है ,इस संबंध में पूर्व में ही आंध्र प्रदेश सरकार के मामले में सुप्रीम कोर्ट की 5 जजों की संविधान पीठ बहुत पहले ही निर्णय दे चुकी है ,परंतु लंबे समय बाद सुप्रीम कोर्ट संविधान के अनुरूप फैसले पर पुनर्विचार कर रही है ।आनन फानन में 7 जजों की संविधान पीठ गठित करके लोकसभा चुनाव से ठीक पहले तीन दिन सविधान पीठ ने सुनवाई करके अपना फैसला सुरक्षित कर लिया है केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में अनुसूचित जाति की सूची में क्लासिफिकेशन करने की वकालत करके संविधान के मूल ढांचे पर गहरी चोट मार दी है ,जबकि संविधान इसकी इजाजत नहीं देता भाजपा सरकार का उद्देश्य है कि 15% आरक्षण में अनुसूचित जाति का अभी सातवां पद आरक्षित होता है यदि क्लासिफिकेशन कर दिया जाए 5-5 परसेंट तीन जगह बांट दिया जाए तो अनुसूचित जाति का 20वां पद आरक्षित होगा अर्थात 19 संवर्ग वाले पद आरक्षण की श्रेणी से बाहर हो जाएंगे यही सरकार की गहरी साजिश है 1971 में पंजाब सरकार ने यह क्लासिफिकेशन किया था जिस पर हाईकोर्ट ने रोक लगा दी थी 2006 में हाई कोर्ट ने पंजाब सरकार के इस आदेश को रद्द कर दिया था आंध्र प्रदेश के मामले में पांच जजों की संविधान पीठ का निर्णय था उसमें कहा गया था कि यदि सरकार यह मानती है कि अनुसूचित जाति की सूची का कोई उपजाति पिछड़ रही है उसे आरक्षण का लाभ नहीं मिल पा रहा है तो सरकार उसकी शिक्षा और अन्य सुविधाओं में बढ़ोतरी की जाए संविधान के अनुच्छेद 341 के तहत सूचीबद्ध जातियों में क्लासिफिकेशन संविधान के अनुरूप नहीं है पंजाब हाई कोर्ट द्वारा क्लासिफिकेशन का अधिसूचना रद्द होने के बाद यह मामला सुप्रीम कोर्ट गया और सुप्रीम कोर्ट में इस केस को सुनने में संविधान पीठ के संविधान के अनुरूप पांच जजों की बेंच का फैसला आड़े आ गया तब सुप्रीम कोर्ट ने इस पर साथ जजो की संविधान पीठ बना दी जिसमें केंद्र सरकार और पंजाब की केजरीवाल सरकार दोनों ने ही संविधान के विरुद्ध क्लासिफिकेशन के संबंध में अपना पक्ष रखा अनुसूचित जाति के भाजपा और आप दोनों पार्टियों ने संविधान विरोधी काम किया है , एससी एसटी को नुकसान पंहुचाने में दो दुश्मन एक हो गए और संविधान के विरुद्ध निर्णय कराने पर आमदा हो गए इस केस की सुनवाई सुप्रीम कोर्ट में पूरी हो गई है और फैसला सुरक्षित कर लिया गया है आने वाले समय में पता चलेगा कि इस मामले में संविधान की जीत होती है अथवा भाजपा और केजरीवाल सरकार संविधान प्रदत्त आरक्षण को लुटवाने में कामयाब होती है यह आने वाला समय बताएगा ,
राजकुमार एडवोकेट
संयोजक
संविधान बचाओ ट्रस्ट
9152095833
संपूर्ण महाराष्ट्रातील घडामोडी व ताज्या बातम्या तसेच जॉब्स/शैक्षणिक/ चालू घडामोडीवरील वैचारिक लेख त्वरित जाणून घेण्यासाठी आमच्या व्हाट्सअँप चॅनलला Free जॉईन होण्यासाठी या लिंकला क्लीक करा

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