आदरणीय नंदकुमार बघेल नहीं रहे

गैरबराबरी की विचारधारा ब्राह्मणवाद के खिलाफ और एससी, एसटी, ओबीसी अधिकारों के लिए लड़ने वाले आदरणीय नंदकुमार बघेल जी दिनांक 8 जनवरी 2024 को प्रातः 6 बजे, 89 वर्ष की आयु में अंतिम सांस लिए। बघेल जी पिछले 3 माह से राजधानी रायपुर के श्रीबालाजी हॉस्पिटल में भर्ती थे तथा वे लंबे समय से अस्वस्थ थे और कमजोर थे। ज्ञात हो कि आदरणीय बघेल जी छत्तीसगढ़ के पूर्व मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल जी के पिता थे। प्रगतिशील किसान माने जाने वाले नंदकुमार बघेल ने अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति और अन्य पिछड़ा वर्ग समुदायों के लिए अपना पूरा जीवन समर्पित किया। उन्होंने पिछड़े वर्ग को बताया की उनकी समस्याओं का कारण ब्राह्मणवाद है। उन्होंने ब्राह्मणवादी संस्थाओं को खुली चुनौती भी दी। वह हमेशा से ही जातिवाद के खिलाफ अपनी आवाज बुलंद करते आए हैं। ब्राह्मणवाद को लेकर उनकी समझ बिल्कुल स्पष्ट रही है।वर्ष 2001 में नंद कुमार बघेल जी ने ‘रावण को मत मारो’ नामक पुस्तक लिखी थी। पुस्तक में दशहरा में रावण का पुतला दहन को समाप्त करने का आह्वान किया गया था। इस पुस्तक में उन्होंने वाल्मीकि रामायण, रामचरित मानस और मनु स्मृति के सन्दर्भ देकर अपने विचार लिखे थे। लेकिन इस पुस्तक पर प्रतिबन्ध लगा। उन्होंने 1980 के दशक में एक बार स्वतंत्र उम्मीदवार के रूप में दुर्ग लोकसभा सीट से चुनाव लड़ा था।उनका कहना था की चुनाव में 85 प्रतिशत टिकट एससी-एसटी और ओबीसी उम्मीदवारों दी जाएँ। उन्होंने कांग्रेस को ब्राह्मण, बनिया और ठाकुरों को टिकट देने से मना किया था। एससी, एसटी, ओबीसी की एकता के लिए वह अंतिम सांस तक कार्य करते रहें। 1970 के दशक में नंदकुमार बघेल जी ने बौद्ध धर्म अपनाया। बुद्ध के विचारों का प्रचार प्रसार करते रहें।फूले-आंबेडकर आंदोलन में नंदकुमार बघेल जी की रिक्तता कभी पूर्ण नहीं की जा सकती। उनके जीवन संघर्ष से प्रेरणा लेते हुए, उनकी स्मृति में पूरा देश विनम्र अभिवादन करता है।
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दैनिक जागृत भारत