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कुछ विशेष जानकारी जिस को हर इंडियन को जानना जरुरी है।

समाज माध्यम से साभार

  1. 1795 में अंग्रेजों ने कानून बनाया जिसके अनुच्छेद 11 के द्वारा शूद्रों के पास धन का अधिकार मिला ।
  2. 1773 में ईस्ट इंडिया कंपनी ने रेग्युलेटिंग एक्ट पारित किया जहां न्यायपालिका समानता पर आधारित थी । इस कानून से केवल पूंजीपति बंगाली ब्राह्मण नंद कुमार देव को जालसाजी के मामले में 6 मई 1775 को फांसी दी गई थी।
  3. 1804 तक अनुच्छेद 3 अंग्रेजों ने कन्या भ्रूण हत्या/कन्या हत्या पर प्रतिबंध लगा दिया (जन्म के बाद बच्चे के सिर पर अफीम लगाकर उसकी हत्या कर दी जाती थी, मां के स्तनों पर धतूरा लगाकर दूध पिलाया जाता था, बच्चे को भरे हुए गड्ढे में डुबो दिया जाता था) दूध के साथ)
  4. 1813 में अंग्रेजों ने कानून बनाकर सभी जाति और धर्म के लोगों को शिक्षा का अधिकार दिया।
  5. 1813 में अंग्रेजों ने कानून बनाकर गुलामी को खत्म किया।
  6. 1817 में उन्होंने समान नागरिक संहिता बनाई (1817 से पहले सजा का प्रावधान वर्ण के आधार पर था। ब्राह्मणों को सजा का कोई प्रावधान नहीं था और शूद्रों को कड़ी सजा दी जाती थी। अंग्रेजों ने सजा का समान प्रावधान किया था।)
  7. 1819 में अनुच्छेद 7 द्वारा शूद्र महिलाओं के ‘शुद्धिकरण’ पर रोक लगा दी गई (एक शूद्र वधू को विवाह के बाद अपने पति के घर जाने के बजाय एक ब्राह्मण के घर जाकर कम से कम तीन रात तक उसकी ‘सेवा’ करनी पड़ता था; जिस में सम्भोग यानी सेक्स भी इंक्लूड था ।
  8. 1830 में मानव बलि पर प्रतिबंध लगा दिया गया था (देवताओं को प्रसन्न करने के लिए ब्राह्मण शूद्र पुरुषों और महिलाओं को मंदिर में सिर पटक कर बलि देते थे)
  9. 1833 में अनुच्छेद 87 द्वारा सरकारी सेवाओं में भेदभाव पर प्रतिबंध लगा दिया गया था। योग्यता को सेवा का आधार बनाया गया और प्रावधान किया गया कि जन्म स्थान, धर्म, जाति या रंग के आधार पर किसी के साथ भेदभाव नहीं किया जाना चाहिए।
  10. 1834 में प्रथम विधि आयोग का गठन किया गया । इसका मुख्य उद्देश्य जाति, वर्ण, धर्म और क्षेत्र की भावनाओं से ऊपर उठकर कानून बनाना था।
  11. 1835 में अंग्रेजों ने पहले बेटे की कुर्बानी पर रोक लगा दी। (ब्राह्मणों ने नियम बनाया था कि शूद्र माता-पिता से पैदा होने वाले पहले बच्चे को गंगा नदी में फेंक दिया जाना चाहिए। पहला बच्चा स्वस्थ है। यह बच्चा बड़ा होकर ब्राह्मणों से नहीं लड़ना चाहिए, उसे गंगा को दान कर दिया जाता था।)
  12. 7 मार्च 1835 को लॉर्ड मैककौली ने शिक्षा नीति को राज्य का विषय बनाया और अंग्रेजी को उच्च शिक्षा की भाषा बनाया।
  13. 1835 में अंग्रेजों ने कानून बनाकर शूद्रों को कुर्सी पर बैठने का अधिकार दिया ।
  14. दिसम्बर 1829 के अनुच्छेद 17 द्वारा विधवाओं (सती) को जलाने की प्रथा को कानून के विरुद्ध घोषित कर समाप्त कर दिया गया।
  15. देवदासी (जोगिनी या मातंगी) प्रणाली पर प्रतिबंध लगा दिया गया था। शूद्र ब्राह्मणों की ‘सेवा’ करने के लिए अपनी बेटियों को मंदिर में दान कर देते थे। मंदिर के पुजारी उनका यौन शोषण करते थे और इस तरह पैदा हुए बच्चों को बाहर फेंक देते थे। इस प्रकार पैदा हुए बच्चों को हरिजन कहा जाता था । 1921 की जाति-आधारित जनगणना के अनुसार अकेले मद्रास की जनसंख्या 4 करोड़ 23 लाख थी, जिसमें से 2 लाख देवदासियां मंदिरों में सड़ रही थीं। दक्षिण भारत के कुछ मंदिरों में यह प्रथा अभी भी प्रचलित है ।
  16. 1849 में जे.ई.डी बैटन ने लड़कियों के लिए स्कूल खोले।
  17. 1854 में अंग्रेजों ने कलकत्ता, मद्रास और बॉम्बे में तीन विश्वविद्यालय खोले । 1902 में विश्वविद्यालय आयोग का गठन किया गया।
  18. 6 अक्टूबर 1860 को अंग्रेजों ने भारतीय दंड संहिता तैयार की। लॉर्ड मैककौली ने उन शूद्रों को मुक्त किया जो बेड़ियों में जकड़ा हुआ करते थे; और जाति, वर्ण या धर्म के बावजूद एक समान आपराधिक कानून लागू किया ।
  19. 1863 में अंग्रेजों ने एक कानून बनाकर चरक पूजा पर प्रतिबंध लगा दिया। (महलों और पुलों का निर्माण करते समय शूद्रों को जीवित बलिदान कर दिया जाता था। ऐसा माना जाता था कि इससे महल और पुल लंबे समय तक टिके रहेंगे)
  20. अंग्रेजों ने 1871 से भारत में जाति आधारित जनगणना शुरू की थी । (यह 1941 तक जारी रहा । 1948 में जवाहरलाल नेहरू ने एक कानून बनाया और इसे बंद कर दिया।)
  21. अंग्रेजों ने महार और चमार रेजीमेंट बनाकर उन्हें सेना में भर्ती किया । लेकिन ब्राह्मणों के दबाव के कारण 1892 में सेना में अछूतों की भर्ती रोक दी गई ।
  22. अंग्रेजों ने रैयतवारी प्रणाली बनाई और पंजीकृत भूमि मालिक को जमीन का असली मालिक बनाया ।
  23. 1918 में अंग्रेजों ने साउथबरो कमेटी को भारत भेजा । यह समिति विधायिका में सभी जातियों को प्रतिनिधित्व देने के लिए आई थी । पिछड़े वर्गों के नेता भास्करराव जाधव और अछूतों के नेता डॉ. अम्बेडकर ने शाहू महाराज द्वारा उकसाने पर साउथबोरोह आयोग को विधायिका में अपने लोगों के प्रतिनिधित्व के लिए ज्ञापन दिया।
  24. 1919 में अंग्रेजों ने ब्राह्मणों की न्यायाधीश के रूप में नियुक्ति पर रोक लगा दी । उनका कहना था कि ब्राह्मणों का न्यायिक चरित्र नहीं होता ।
  25. अंग्रेजों ने सरकार और प्रशासन में ब्राह्मणों की हिस्सेदारी को 100% से घटाकर 2.5% कर दिया था ।

इन्हीं सब कारणों से ब्राह्मणों ने अंग्रेजों के विरुद्ध आन्दोलन प्रारम्भ कर दिया । क्योंकि अंग्रेजों ने शूद्रों और महिलाओं को सभी अधिकार दिए थे, सभी जातियों के लोगों को समान अधिकार दिए थे और सभी को एक स्तर पर ला दिया था…

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