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लड़कियों को नौकरी दिलाने का झांसा देकर राजस्थान ले आए।


विश्वकर्मा समाचार

समाज माध्यम से सभा साभार

जयपुर: राजस्थान में यूपी-बिहार की 1500 लड़कियों की खरीद फरोख्त, नाबालिग की आपबीती सुन पुलिस रह गई दंग

जयपुर: राजस्थान पुलिस ने एक ऐसे गिरोह के सरगना सहित चार आरोपियों को गिरफ्तार किया है। जिनका कारनामा जानकार हर कोई दंग रहा गया। उन्होंने यूपी, बंगाल, छत्तीसगढ़ और झारखंड में गरीब परिवारों को टारगेट कर उनकी रैकी की। इसके बाद उनके परिजनों व लड़कियों को नौकरी दिलाने का झांसा देकर राजस्थान ले आए। यहां लाकर उनको शादी के नाम पर बेच कर देह व्यापार में धकेल दिया। पुलिस ने बताया कि किसी को शक नहीं हो इसलिए लड़कियों के अपहरण व जबरन शादी करने वाले को आपसी बोलचाल की भाषा में वे स्काउट बोलते हैं। आरोपी यूपी-बिहार से लाकर 1500 लड़कियों की जबरन शादी करा चुके है। जयपुर कमिश्नरेट की बस्सी पुलिस ने एक एनजीओ संचालक महिला सहित चार जनों को गिरफ्तार किया है।

एनजीओ की आड़ में चल रही थी खरीद फरोख्त:

बस्सी थानाधिकारी आईपीएस अभिजित पाटील ने बताया कि रोहतासपुरा गोशाला के पास से एक नाबालिग लड़की के होने की सूचना मिली और पुलिस उसे थाने ले आई। जहां नाबालिग ने कई चौंकाने वाले खुलासे किए। उत्तर प्रदेश निवासी नाबालिग लड़की ने बताया कि बस्सी थाने के सुजानपुरा गांव में गायत्री नाम की महिला एक एनजीओ चलाती है। एनजीओ के माध्यम से प्रचार-प्रचार कर लोगों को बुलाकर व नाबालिग लड़कियों की खरीद फरोख्त कर लोगों से शादी करने के बहाने से नाबालिक लड़कियों को देह व्यापार के लिए बेचा जाता। महिला ने उसे कई दिनों से कैद कर रखा है, बाद में नशीला पदार्थ पिलाकर 2 लाख 50 हजार रुपए लेकर शादी करा दी। करीब एक सप्ताह बाद उसे परिजनों की याद आने लगी तो वह भाग गई। पति ने पीछा कर पकड़ लिया और गायत्री के पास ले गया। जहां गायत्री ने तीन दिन तक डेरे में बंद रखा और मारपीट की।

दुबारा बेचने का था प्रयास:

नाबालिग ने पूछताछ में बताया कि उसे डेरे में बंद कर गायत्री मारपीट करती रहती थी। एक दिन उसने सुना कि वह किसी दूसरी जगह बेचने की बात कर रही है। 3 लाख रुपए में बेचने का सौदा तय कर दिया। उसने यह भी सुना की उसको खरीदने के लिए दो व्यक्ति आ रहे हैं। नाबालिग ने दूसरी जगह बेचने की बात एक अन्य महिला को बताई। उस महिला ने भगाने में मदद की और पास ही गोशाला में जाकर आपबीती बताकर पुलिस को सूचना देना। इसके बाद नाबालिग डेरे से भागकर गोशाला चली गई और पुलिस को फोन करवाया। डेरे से नाबालिग के फरार होने की सूचना गायत्री और खरीदारों को लगी तो पीछा किया, लेकिन वह नहीं मिली।

कर्जा चुकाने का झांसा देकर बंगाल से ले आए:

पुलिस ने बताया कि मौके से जबरन कैद कर रखी मिली बंगाल निवासी महिला ने बताया कि वह बंगाल में छोटा-मोटा काम कर व भीख मांगकर अपने परिवार का गुजारा करती थी। परिवार पर कुछ कर्जा भी हो गया था। तभी वहां एक एजेंट आया और उसे 20 हजार रुपए प्रति माह नौकरी का झांसा देकर ले आया और यहां आकर गायत्री को बेच दिया। उसे करीब साल भर से डेरे से बाहर भी नहीं जाने दिया। जिसकी उसे मनोस्थिति खराब हो चुकी है।

लड़कियों के बनाते थे फर्जी कागजात:

पुलिस ने बताया कि अपहरण कर या जबरन व नौकरी का झांसा देकर लाने वाली नाबालिग व अन्य लड़कियों को यहां लाकर फर्जी डॉक्यूमेंट बनवाकर बालिग और स्थानीय निवासी बताया जाता था। पुलिस को कई लड़कियों के फर्जी डॉक्यूमेंट भी गायत्री के पास मिले है। एनजीओ के खिलाफ कानोता, ट्रांसपोर्ट नगर व बस्सी थाने में करीब एक दर्जन से ज्यादा मुकदमे दर्ज हैं। ये आरोपी पिछले 8 वर्ष से डेरा डालकर रह रहे हैं।

इनको किया गिरफ्तार:

नाबालिग व एक अन्य लड़की से पूछताछ के बाद पुलिस ने सुजानपुरा स्थित गायत्री विश्वकर्मा द्वारा संचालित गायत्री सर्व समाज फाऊंडेशन के डेरे पर दबिश देकर गायत्री (52) पत्नी रामावतार जांगिड़ निवासी प्रेमनगर आगरा रोड, भगवान सहाय (27) निवासी मोतीपुरा नसीराबाद जिला अजमेर, महेन्द्र मेघवंशी (45) निवासी मोतीपुरा नसीराबाद जिला अजमेर, हनुमान सिंह गुर्जर (32) निवासी गादरवाड़ा कोलवा दौसा को गिरफ्तार किया है।

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गायत्री रामअवतार विश्वकर्मा अपराधी नहीं खुद अपराध के शिकार है।

इससे ज्यादा चौंकाने वाले मामले गुजरात में है।

है कथा संग्राम की, विश्व के कल्याण की.. विश्व रक्षक

👉🏽मिडल क्लास (नौकरी पेशा) विश्वकर्मा वंशज पिता की उच्च शिक्षित बेटियों को पाटीदार(स्वामीनारायण), जैन, वैष्णव(पुष्टि मार्गी इत्यादि) लड़कों द्वारा धीमी सुविधा देकर पटाया जाता है.

चरण बद्ध पंच वर्षीय योजना है।

👉🏽प्रथम चरण:
1शिकार ढूंढे।
1.1.बेटी दसवीं में आते ही बनियाधर्मी समुदायों के लड़कों द्वारा 10 कक्षा की आठ दस विश्वकर्मा वंशज लड़कियों को चिह्नित किया जाता है।
1.2..उनकी माता ओ के साथ बनिया धर्मी माताएं दोस्ती कर छोटी मोटी आर्थिक सहाय देकर, उत्सवों में घुमाने कर जाकर फसाया जाता है।
धार्मिक उत्सवों में उनके पुरुष विश्वकर्मा वंशज महिलाओं के संपर्क में आ जाते है, ताकि तीसरा मजबूत आधार भी तैयार कर लिया जाए ताकि माता भी पीछे ना हट सके। पीछे हटे तो गलती के MMS तैयार रहते है। पिता नौकरी पेशा होता है और उत्सव धार्मिक होते है इस लिए माता पुत्री को संस्कार सीखने अकेले जाने दिया जाता है।

1.3 जब मां बेटी दोनों फंस जाए तो बारी पिता की आती है। अब पिता तो मिडल क्लास है अर्थात ठीक ठाक सालाना आठ दस लाख की आय है तो फंसने वाला नहीं है। तो उन्हें माता की सहेलियों के बनिया धर्मी पतियों द्वारा अच्छे जीवन स्तर का झांसा देकर लोन के चक्कर में माता बेटी की सहाय द्वारा फसाया जाता है।

👉🏽दूसरा चरण
लोन का माया जाल।
2.1 पहले घर की 50- 60 लाख की लोन करवाकर EMI के जाले में लाया जाता है, 2.2..दूसरा चरण बेटी की उच्च माध्यमिक पास कर चुकी है तो उच्च शिक्षा की लोन में फसाया जाता है। जैसे मेडिकल, इंजीनियरिंग जैसी संस्थाओं में बीस तीस लाख की शिक्षालोन लेकर लड़की को पढ़ाया जाता है कि बेटी उच्च शिक्षित होकर कमाकर दे देगी।
2.3 ऐसा करने से बनिया धर्मी लड़कों को आठ दस विश्वकर्मा वंशज लड़कियों मे से अपने अनुकूल बढ़िया लड़की चयन करने का अवसर प्राप्त होता है, जो उच्च शिक्षित हो जाए उसे अगले चरण में लिया जाता है।

👉🏽तीसरा चरण
विदेश में और उच्च पढ़ाई का लालच।

पिता की पूरी पगार EMI में जा रही है। ऐसे वक्त बनिया धर्मी लोग उसे पर्सनल लोन देते है EMI मैनेज करने को अर्थात लाख दो लाख की हेल्प में अस्सी नब्बे लाख की लोन में फंसा बौद्धिक सक्षम और अच्छे पद पर नौकरी करने वाला पिता बनियों के चंगुल में फंस जाता है। और थोड़ी मदद करने वाले को शुभ चिंतक मान लेता हैं। हकीकत में उस विश्वकर्मा में सबकुछ अपना मेहनत से ही प्राप्त किया है किंतु मनोवैज्ञानिक रूप से उसे वो बनियों की देन लगता है।।

3.1 स्नातक हो चुकी बेटी अब 21-22 वर्ष को हो चुकी है।
अब बनिया पिता को बेटी को विदेश में स्पेशियल डिग्री लेकर पढ़ने का झांसा देता है। विश्वकर्मा पिता के पास सालाना बीस तीस लाख की फीस नहीं है। और नहीं बेटी के वीजा के लिए आठ दस लाख का बैंक बैलेंस है। अब बनिया उसे दस लाख का बैलेंस सपोर्ट करता है। जो सिर्फ तीन महीना लोक रहेगा जबतक वीजा लग जाए और पिता बीस तीस लाख की अतिरिक्त शिक्षा लोन के चंगुल में फंस जाए।

3.2 बेटी विदेश पढ़ने चली गई, जहा बनाए का बेटा भी पढ़ रहा है जो बेटी के साथ कक्षा दस से रिलेशन में था और बनिया पिता और मित्र मंडली विश्वकर्मा माता के साथ धार्मिक उत्सवों के माध्यम से रिलेशन में थे।
हैप्पी फैमिली वाला माहौल है।

उन्हें दूसरे अज्ञात रूप से फंसे विश्वकर्मा पिता भी प्रोत्साहित करते है क्योंकि उनकी बेटियां भी विदेश में इसी माध्यम से पढ़ रही है। कर्जे में डूबे सारे विश्वकर्मा वंशज पिता भक्षक बनिया को ही रक्षक मान रहे है। जो उनकी बेटी और पत्नी दोनो को मजे से चाट रहे है।

👉🏽चौथा चरण
लगाए पैसे की आजीवन आय और मस्ती के लिए महिला का प्रबंधन।

विदेश से बेटी पिता को बोलती है उसे इंडियन बनिया हिंदू लड़का पसंद आ गया है और वो उससे शादी करना चाहती है!!

🔥अब पिता पर बंब गिरता है, क्योंकि बेटी पर पचास लाख से ज्यादा लोन ले चुका है और घर ,गाड़ी, फर्नीचर का पचास लाख से ज्यादा का लोन, बनिया मंडली की आठ दस लाख की पर्सनल हेल्प और ये सब बेटी विदेश से उच्च कमाई कर आधा बोझ उठाने में हेल्प करेगी समझकर किया था।
👉🏽इधर फिसल चुकी विश्वकर्मा माता, “पिता” पर आबरू का दबाव बनाती है की लड़की विदेश में है अगर वहीपर शादी कर ली और वापस नहीं आई तो?!
लोन तो हम जैसे तैसे चुका देंगे किंतु समाज में जो सज्जन बन घूम रहे है उस आबरू का क्या ? और बताती है कि लड़के के पिता ने कहा है कि लड़की शादी के बाद पिता को लोन चुकाने में मदद करने देंगे। बशर्ते शादी धूम धाम से की कई और बारातियों का भव्य स्वागत किया जाए।
विश्वकर्मा वंशज “मरता” पिता क्या ना करता !?

👉🏽वो अपने परिजनों के सामने दो विकल्प रखता है की बेटी को कथित हिंदू “बनिए” के लड़के से ब्याहने में सामाजिक स्वीकृति देकर मदद करे अथवा वो खुद आत्महत्या कर मर जाएगा और परिवार के लोगोंको इसकी लोन का भुगतान और पत्नी बच्चोंका पालना करना होगा!! अगर परिवार वाले उन्हें नहीं पालेंगे तो उसकी पत्नी और अन्य बच्चे भी आत्महत्या कर मर जायेंगे।

👉🏽ऐसी स्थिति ने परिवार वाले तैयार हो जाते है और विश्वकर्मा बेटी और बनिया दामाद की पत्रिकाएं छाप दी जाती है।

अंतिम चरण

5.1 विदेश सेटल बेटी लोन पेमेंट सहयोग करने में खुदको असमर्थ बता देती है। क्योंकि वहां बनिया दामाद के और भी लड़कियों के साथ कुछ ऐसे ही शादी जैसे संबंध है। जो लड़की बनिया दामाद के बनिया पिता को ज्यादा पैसा देकर उनका कर्ज चुकाने में सहाय करेगी उस पत्नी के साथ वो स्थाई हो जाएगा।

5.2 बेटी की माता सब जानती है किंतु खुदके mms पड़े है।

5.3 बेटी का विश्वकर्मा पिता
शिक्षा लोन, शादी लोन और बनियों के पर्सनल सहाय लोन में दबा है, पत्नी के अवैध संबंध के बारे ने कुछ कुछ जानता भी है किंतु अब पूरी तरह से चक्रव्यूह में फंस चुका है।
5.4 क्योंकि उसे बचानेमे सक्षम दबंग विश्वकर्मा परिवार जनों का बनियों की सह पर पहले ही अपमान कर उनसे रिश्ते काट चुका है तो अब वो मदद करेंगे कि नहीं उसकी कोई गारंटी नहीं है और पूरी न्यायिक प्रक्रिया में खुदकी ही आबरू जाने का खतरा भी बना हुआ है।।

👉🏽 5.5 अब विश्वकर्मा पिता बनियों का स्थाई गुलाम हो चुका है । जबतक जिएगा लोन चुकाएगा और विदेश बसे बनिया दामाद को पैसे भेजेगा और उसके पिता की मित्र मंडली के सुख के लिए अपनी पत्नी भेजेगा।

सामाजिक धार्मिक कार्यकर्ता रात दिन ऐसे चक्रव्यूह को तोड़ अपने लोगो को बचाने के लिए कृष्ण की तरह दौड़ते रहते है किन्तु बनियों का काटा विश्वकर्मा वंशज अपने ही शुभचिंतक भाइयों को काटने के लिए दौड़ता रहता है, पहले बनियों के सपोर्ट से प्राप्त अहंकार में और बादमें बनियों की गुलामी में।

दोनों समाचारों को एक साथ सभी विश्वकर्मा वंशज के साथ शेयर करे। गायत्री विश्वकर्मा जैसी महिलाएं इस बनिया सिंडीकेट की स्थाई गुलाम प्रक्रिया से पीड़ित होती है, कहानी ने उन्नीस बीस का फर्क वो सकता है किंतु वो अपराधी नहीं खुद विक्टिम है।

जय विश्वकर्मा 🙏🏽
सत्य शोधक समाज।
अपने तो अपने होते है।।

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