एससी एसटी की जातियों में आरक्षण का वर्गीकरण करने का सुप्रीम कोर्ट का फैसला संविधान के अनुच्छेद 341एवम 16(4)के विरुद्ध

राजकुमार एडवोकेट
1,अगस्त 2023
एससी एसटी की जातियों में आरक्षण का वर्गीकरण करने का सुप्रीम कोर्ट का फैसला संविधान के अनुच्छेद 341एवम 16(4)के विरुद्ध
सब क्लासीफिकेशन पर सुप्रीम कोर्ट का फैसला पॉलिसी मेकिंग की श्रेणी में,जबकि सुप्रीम कोर्ट को संविधान में एडिशन डिलिशन, और मोडिफिकेशन का अधिकार नही मिला है
आर्टिकल 16 (4) में राज्य सरकार को अनूसूचित जाति की सूची में संशोधन का अधिकार नही है बल्कि भारत के संविधान के प्रयोजन के लिए बनी scst की सूची में शामिल जातियों के ग्रुप को आरक्षण देने की ड्यूटी है🙏🏾
अनुसूचित जातियों की सूची में अब सब क्लासीफिकेशन कर अलग अलग जातियों में आरक्षण बांटने का अधिकार राज्य सरकारों को देने की संविधान विरोधी पैरवी की है केंद्र और पंजाब सरकार ने🙏🏾
सुप्रीम कोर्ट में केंद्र सरकार का पक्ष रखने के लिए अटॉर्नी जनरल तुषार मेहता के पत्र का जवाब सामाजिक न्याय मंत्रालय ने नही दिया🙏🏾
एससी का केंद्र की नौकरियों में 15% आरक्षण को 5% के हिसाब से यदि तीन भागों में बांटा तो आरक्षण का रोस्टर के हिसाब से 7,वे पद के स्थान पर,20 वा पद होगा आरक्षित 19 पदों तक की नौकरियां की रिक्तियों हो जाएंगी आरक्षण से बाहर🙏🏾
समानित साथियों
पदोन्नती आरक्षण समाप्त करने के बाद आज सुप्रीम कोर्ट ने अनुसूचित जातियों की सूची में सब क्लासिफिकेशन करने का अधिकार राज्य सरकारों को दे दिया है अब राज्य सरकार scst की सूची में सब क्लासिफिकेशन करके आरक्षण को कई भागों में बांट जा सकते है ,इस फैसले को scst के लोग अब तक के संविधान के सबसे बड़े नुकसान के रूप में देख रहे है
18 वीं लोकसभा के पहले दिन प्रधान मंत्री संविधान का सजदा कर और विपक्ष के अधिकांश सांसद अपने साथ संविधान लेकर संसद गए और जब उनकी शपथ हुई तो उन्होंने संविधान को हाथ में लेकर शपथ ली और अधिकांश सांसदों ने जय भीम जय संविधान का नारा भी बुलंद किया ,देश के सुप्रीम कोर्ट में आरक्षण पर एक ऐसा फैसला आ गया है जिसमें केंद्र सरकार और पंजाब राज्य की केजरीवाल सरकार ने अनुसूचित जाति की सूची में सब क्लासिफिकेशन की संविधान विरोधी पैरवी करके देश में अनुसूचित जाति के लोगों के साथ अब तक का सबसे बड़ा अन्याय किया है ,संविधान का अनुच्छेद 341 संसद को अनुसूचित जाति की सूची में से किसी भी जाति को शामिल करने अथवा बाहर निकालने की शक्ति प्रदान करता है परंतु बीजेपी की केंद्र सरकार और पंजाब सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में ऐसी पैरवी की है , जो अधिकार संविधान में संसद को नहीं मिले है उन अधिकारों को राज्य सरकार को देकर अनुसूचित जाति के आरक्षण में बटवारा कर उनको आरक्षण के लाभ से वंचित कर संविधान पर अब तक का सबसे बड़ा हमला कराने में कामयाब हो गए है, आज सुप्रीम कोर्ट का 7 जजों का फैसला,7 :1 से जनता के सामने है संविधान पीठ में एक महिला जज ने संविधान के पक्ष में सब क्लासिफिकेशन को गलत बताया
संसद में जाते वक्त संविधान को माथे से लगाने वाले मा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और संविधान को हाथ में लेकर संसद में जाने वाले सांसदों की असली परीक्षा आज से तय मानी जा रही है , सुप्रीम कोर्ट ने संविधान के अनुच्छेद 16(4) और 341 की जो व्याख्या की है उसे संविधान सम्वत नहीं कहा जा सकता ,जिन सांसदों को संविधान बचाने के लिए संविधान अनुयायियों ने लोकसभा में भेजा है उनसे उम्मीद ज्यादा है,
मामला पुराना है 1975 में ज्ञानी जैल सिंह की पंजाब सरकार ने एक आदेश जारी कर पंजाब के वाल्मीकि और मजहबी सिख समुदाय के लोगो को एससी के आरक्षण में बंटवारा करके 50% आरक्षण देने का एक आदेश जारी कर दिया था जो लंबे समय तक चलता रहा
एक अन्य मामला आंध्र प्रदेश राज्य का था जिसमें अनुसूचित जाति के आरक्षण को तत्कालीन आंध्र प्रदेश सरकार ने वर्ष 2000 में सब क्लासिफिकेशन कर विधान सभा से एक्ट बना दिया जिसे ई वी चिन्नईया ने आंध्र प्रदेश हाई कोर्ट में चुनौती दी और वह हार गया और राज्य सरकार अपने एक्ट को बचाने में कामयाब हो गई थी,
इसी आधार पर पंजाब सरकार ने भी वाल्मिकी और मजहबी सिख समुदाय के लोगो के लिए 50%, आरक्षण का एक्ट 2006 में बना लिया
ई वी चिन्नईया ने आंध्र प्रदेश हाई कोर्ट के संविधान विरोधी सब क्लासिफिकेशन के आदेश को माननीय सुप्रीम कोर्ट में एसएलपी के माध्यम से चुनौती दी , नवंबर 2004 में ई वी चिनय्या की एसएलपी सुप्रीम कोर्ट में स्वीकार हो गई और आंध्र प्रदेश सरकार का वर्ष 2000 का अनुसूचित जातियों में क्लासिफिकेशन का नोटिफिकेशन और आंध्र प्रदेश हाई कोर्ट का संविधान विरोधी आदेश रद्द कर दिया , ई वी चिनय्या केस में सुप्रीम कोर्ट ने व्यवस्था दी थी कि यदि कोई आरक्षित वर्ग की जाती आरक्षण में पिछड़ रही है तो उसके लिए आरक्षण का बंटवारा नहीं होगा बल्कि उसकी शिक्षा रोजगार और आर्थिक मामलों में राज्य सरकार मदद करें इसी आधार पर पंजाब सरकार का 2006 का नोटिफिकेशन भी पंजाब हाई कोर्ट में 2010 में निरस्त कर दिया उसके बाद पंजाब सरकार इस केस को लेकर सुप्रीम कोर्ट आई और सुप्रीम कोर्ट में यह एसएलपी के रूप में तीन जजों की बेंच के पास सुनवाई के लिए गया परंतु इस क्लासिफिकेशन के मामले में ई वी चिन्नईया का पांच जजों का फैसला आड़े आ गया इस मामले में कानूनी पक्ष तो यह
कहता है कि संविधान पीठ के 5 जजों के एकतफा फैसले के बाद पंजाब सरकार की एसएलपी खारिज करने के बजाय बड़ी बैंच को सौंप दिया
5 जजों की बैंच बनी तो फिर ई वी चिनय्या संविधान सम्वत फैसला बाधा बन गया उन्होंने भी पंजाब सरकार के अनुरोध पर 7 जजों की बैंच गठित करके ई वी चिनय्या के केस के रि विजिट rew करने की सिफारिश कर दी,
सुप्रीम कोर्ट रूल 2013 के अनुसार सुप्रीम कोर्ट अपने फैसले को केवल Rew patition या क्यूरेटिव पिटिशन के आधार पर पलट सकती है Rew patition फैसले के 30 दिन के अंदर दाखिल हो सकती थी, नवम्बर 2004 के जजमेंट को सुप्रीम कोर्ट नियमावली 2013 के विरुद्ध करीब 19 साल बाद चिनय्या केस reopen हुआ
सुप्रीम कोर्ट के संविधान पीठ के पांच जजों के फैसले के आधार पर तीन जजों की पीठ को पंजाब राज्य की एसएलपी को चिन्नईया केस के आधार पर निरस्त कर देनी चाहिए थी क्योंकि बेंच के सामने संविधान पीठ का सिर्फ एक ही फैसला था इसलिए इस केस में बड़ी बेंच बनने का कोई औचित्य नहीं बनता था परंतु इस केस में बड़ी बेंच बनाने की सिफारिश कर दी उसके बाद इस केस में पांच जजों की बेंच बनी और पांच जजों की,बेंच ने इस केस में और बड़ी बेंच बनाने की सिफारिश कर दी और यह मामला ठंडे बस्ते में चला गया तेलंगाना विधान सभा चुनाव के समय मोदी जी एक चुनावी सभा को सम्बोधित कर रहे थे और वहां एससी की एक जाति के एक व्यक्ति ने मंच पर आकर मोदी जी से अनुसूचित जाति की सूची में सब क्लासिफिकेशन कर अलग आरक्षण देने की मांग कर डाली मोदी जी ने उन्हें आश्वासन दिया कि हम तुम्हें अलग से आरक्षण देंगे परंतु संवैधानिक व्यवस्थाएं केंद्र सरकार को इस काम को करने की इजाजत नहीं दे रही थी हालांकि बीजेपी तेलंगाना में चुनाव हार गई और तेलंगाना में कांग्रेस सरकार बन गई ,परंतु दक्षिण भारत में
बीजेपी ने अपना वोट बैंक बढ़ाने के लिए फूट डालो राज करो के फार्मूले के चलते मोदी सरकार के प्रबंधको ने राजा के मुंह से तेलंगाना में आरक्षण बंटवारे के लिए निकले शब्द पूरा करने के लिए सुप्रीम कोर्ट से रास्ता निकलवाकर एससी एसटी के आरक्षण पर चोट पंहुचा दी है,
पंजाब सरकार का सब क्लासिफिकेशन मामले पर एक केस पेंडिंग था उसकी सुनवाई सुप्रीम कोर्ट में अचानक शुरू हो गई और उसमें आनन फानन में सात जजो की बेंच गठित कर दी गई अटॉर्नी जनरल तुषार मेहता ने सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्रालय भारत सरकार को पत्र भेज कर केंद्र सरकार को अपना पक्ष बताने के लिए निवेदन किया परंतु केंद्र सरकार ने अटॉर्नी जनरल के सब क्लासिफिकेशन के पत्र का कोई जवाब नहीं दिया इस केस में पंजाब सरकार ने सब क्लासिफिकेशन करने की पूर जोर पैरवी भी की वही केंद्र सरकार ने भी अनुसूचित जाति की सूची में सब क्लासिफिकेशन कर आरक्षण के बंटवारे पर अपनी हामी भर दी , हालांकि इस मामले में पूर्व में केंद्र सरकार ने भारत के सभी राज्यों से पत्र भेजकर सब क्लासिफिकेशन करने के संबंध में उनकी राय मांगी थी जिसमें 14 राज्यों ने संविधान के अनुच्छेद 341 का हवाला देकर सब क्लासिफिकेशन करने से मना कर दिया था वही सात राज्यों ने केंद्र सरकार के पत्र का कोई जवाब नहीं दिया था और सात राज्यों ने क्लासिफिकेशन करने का अनुरोध किया था, यह जवाब भी सुप्रीम कोर्ट में पूर्व में ही केंद्र सरकार की ओर से पत्रावली पर उपलब्ध था, पंजाब में क्लासिफिकेशन कर वाल्मीकि एवं मजहबी सिख समुदाय को 50% आरक्षण का बंटवारा कर आरक्षण कांग्रेस के साथ-साथ भाजपा ने भी दिया और केजरीवाल सरकार भी जिस प्रकार संविधान की बात करते है और सुप्रीम कोर्ट में केंद्र सरकार के साथ मिलकर संविधान को नेस्तनाबूद करने की वकालत करते है संविधान पर अब तक के सबसे बड़े हमले में कांग्रेस आम आदमी पार्टी और बीजेपी तीनों की सरकार शामिल है राजनैतिक पार्टियों के फूट डालो और राज करो की चालाकी पर आज सुप्रीम कोर्ट की मुहर लग गई है अब आने वाला समय बताएगा, की केंद्र सरकार इस फैसले पर रिव्यू पटीशन दाखिल करता है या संसद से इस फैसले को निरस्त करेंगे ,दूसरी परीक्षा विपक्ष की है जिन्होंने संविधान की रक्षा के मुद्दे पर चुनाव लडा वह अब क्या करेंगे , अनुसूचित जाति का एक बड़ा वर्ग निश्चित रूप से संविधान विरोधी फैसले से आहत है और उसने संविधान बचाने के नाम पर वोट दिया ,अब आने वाला समय बताएगा की संविधान के सामने सजदा कर 18 वी लोक सभा के लिए नई संसद में जाने वाले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी जिन्होंने एक चुनावी सभा में कहा था कि यदि बाबा साहेब आंबेडकर जी भी धरती पर आ जाए वे भी संविधान को बदल नही पाएंगे ,विपक्षी सांसदों ने संविधान की किताब हाथ में लेकर संसद में जाने वाले विपक्षी सांसदों की एक बड़ी परीक्षा शुरू हो चुकी है ,जिसमें किसकी जीत होगी और किसकी हार होगी यह तो आने वाला समय बताएगा आरक्षण का बंटवारा होकर यह अधिकार राज्यों को चला गया है यह संविधान पर अब तक का सबसे बड़ा हमला है इसकी भरपाई अनुसुचित जाति के ना तो वो लोग कर पाएंगे जो अलग आरक्षण की मांग कर रहे है ,और ना वो कर पाएंगे जो संविधान को सब कुछ अपना मानते है ,आने वाली पीढ़ियां सरकारों और सुप्रीम कोर्ट से सब क्लासिफिकेशन मांगने वालों का मूल्यांकन जरूर करेंगी संविधान बचाओ ट्रस्ट ने केस की पैरवी की है केंद्र सरकार ,पंजाब सरकार और देश के बड़े जाने माने वकीलों ने भले ही इस केस में संविधान के विरुद्ध पैरवी की हो ,परंतु संविधान बचाओ ट्रस्ट को संविधान सम्वत फैसला आने की उम्मीद है थी फिर भी फैसला संविधान के पक्ष में हमारी उम्मीद के अनुरूप नहीं आया है इसलिए ट्रस्ट रिव्यू पटिशन की तैयारी की जा रही है जल्दी ही इस मामले में सुप्रीम कोर्ट रिव्यू पेटिशन दाखिल की जाएगी
राजकुमार एडवोकेट
संविधान बचाओ ट्रस्ट भारत संघ 9152095833
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