महाराष्ट्रमुख्यपानविचारपीठसामाजिक / सांस्कृतिक

धर्म के ठेकेदार कहते है की सबसे पहले हमसे डरो

धर्म के ठेकेदार कहते है की सबसे पहले हमसे डरो
1 मतलब ऊँची जाति वालों से डरो,
2 फिर भगवान से डरो,
3 फिर शैतान से डरो,
4 पिछले जन्म और अगले जन्म के कर्मों से डरो,
5 ग्रह, तारों नक्षत्रों से डरो,
6 हाथ कि रेखाओं, जन्म कुण्डली से आने वाले भविष्य से डरो,
7 उपवास में उपवास अगर टूट जाये तो डरो,
8 मांगी हुई मन्नत पूरी न कर पाए तो डरो,
9 जादू- टोने से डरो,
10 नींबू- मिर्च के यंत्र से डरो,

11 चौराहों पर उतार के रखे हुये उतारे से डरो,
12 काली बिल्ली रास्ते में आ जाए तो डरो,
13 कव्वों की कांव- कांव से डरो,
14 रात को उल्लू दिखे तो डरो,
15 कुत्ते के रोने से डरो,
16 रात को गुल्लर, पीपल के पेड़ से डरो,
17 जुने पुरानें घरों में डरो,
18 रात को शमशान से गुजरते वक़्त डरो,
19 लेफ्ट आंख फड़फड़ाए तो डरो,
20 खाने में बाल आ जाए तो डरो,
21 कोई छींके तो डरो,

डरो.. डरो.. डरो.. और सिर्फ धर्म के नाम पर डरते रहो….
और
भी बहुत सारे डर हैं जो सिर्फ भारत मे बडे़ गर्व से थोपे जाते है!

क्योकि यहाँ के लोग अपने दिमाग को लॉक करके, चाबी किसी और को दे देते हैं ।
खुद अपनी बुद्धि और तर्क से सोचते ही नहीं…
,,,,,
,,,,,,,,,,,,,,,अगर किसी बच्चे को उपहार न दिया जाए तो वो कुछ देर तक रोयेगा,
मगर शिक्षा व संस्कार ना दिए जाएं तो वो जीवन भर रोयेगा।

???? जय भीम जय भारत जय संविधान

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