महाराष्ट्रमुख्यपानसामाजिक / सांस्कृतिकसामान्य ज्ञान

क्या अंग्रेज बुरे थे?

नरबलि :-
जो कि शूद्रों की दी जाती थी। अंग्रेजों ने इसे रोकने के लिए 1830 में #कानून बनाया था।

ब्राह्मणजजपर_रोक :-
सन 1919 ईस्वी में अंग्रेजों ने ब्राह्मणों के जज बनने पर रोक लगा दी थी, अंग्रेजों ने कहा था कि इनका चरित्र न्यायिक नहीं होता है।

शासनमेंब्राह्मण :-
शासन व्यवस्था पर ब्राह्मणों का 100% कब्जा था। अंग्रेजों ने इन्हें 2.5% पर लाकर खड़ा कर दिया था।

सम्पत्तिकाअधिकार :-
अंग्रेजों ने अधिनियम 11 के तहत शूद्रों को 1795 ईस्वी में संपत्ति रखने का अधिकार दिया था।

देवदासीप्रथा :-
अंग्रेजों ने ही बंद कराई, इस प्रथा में यह होता था कि शूद्र समाज की लडकियाँ #मंदिरों
में_देवदासी के रूप में रहती थीं,पंडा-पुजारी उनके साथ छोटी उम्र में बलात्कार करना शुरू कर देते थे और उनसे जो बच्चा पैदा होता था , उसे हरिजन कहते थे।

नववधूशुद्धिकरणप्रथा :-
सन 1819 से पहले किसी शूद्र की शादी होती थी, तो ब्राह्मण उसका शुद्धीकरण करने के लिए नववधू को 3 दिन अपने पास रखते थे, उसके उपरांत उसको घर भेजते थे, इस प्रथा को अंग्रेजों ने 1819 ईस्वी में बंद करवाया।

चरक_पूजा :-
अंग्रेजों ने 1863 ईस्वी में बंद कराई, इसमें यह होता था कि कोई पुल या भवन बनने पर शूद्रों की बलि दी जाती थी।

गंगादानप्रथा :-
शूद्रों के पहले लड़के को ब्राह्मण गंगा में दान करवा दिया करते थे, क्योंकि वह जानते थे कि पहला बच्चा #हृष्ट
पुष्ट होता है, इसीलिए उसको गंगा में दान करवा दिया करते थे, अंग्रेजों ने इस प्रथा को रोकने के लिए 1835 में एक कानून बनाया था।

कुर्सीकाअधिकार :-
शूद्रों को अंग्रेजों ने 1835 ईस्वी में कुर्सी पर बैठने का अधिकार दिया था, इससे पहले शूद्र कुर्सी पर नहीं बैठ सकते थे।

शिक्षाकाअधिकार :-
अंग्रेजों ने सबके लिए शिक्षा का दरवाजा खोले। पहले शूद्र जातियों (आज की ओबीसी, एससी, एसटी) व सभी वर्ण की महिलाओं को पढ़ने का अधिकार नहीं था।

सरकारीसेवाओंमेंप्रतिनिधित्व :-
अंग्रेजों ने शूद्र वर्ण की जातियों को सरकारी सेवाओं में #गवर्नमेंट
ऑफइंडियाऐक्ट के माध्यम से प्रतिनिधित्व देने की व्यवस्था किया।

अतः अंग्रेजों ने शूद्र/अतिशूद्र जातियों के हितों को ध्यान में रखते हुए अनेक सामाजिक आर्थिक और राजनैतिक सुधार किये थे, 1st इंडिया एक्ट, 2nd इंडिया एक्ट, अंत में संविधान को बनवाने में अंग्रेजो की काफी अहम भूमिका रही थी। महात्मा ज्योतिबा फुले ने तो यहाँ तक कह दिया था कि शूद्र/अतिशूद्र के लिए #अंग्रेज_भगवान बनकर आये हैं।

यही वजह है कि ब्राह्मणों ने अंग्रेजों के खिलाफ राष्ट्रीय स्वतंत्रता #आंदोलन छेड़़ दिया और शूद्र अतिशूद्र को वापस गुलाम बनाने के लिए 1920 में ब्राह्मण महासभा, 1922 में हिन्दू महासभा व 1925 में #राष्ट्रीयस्वयंसेवकसंघ (RSS) बनाया। इसलिए आज भी RSS के सांस्कृतिक आंदोलन की वजह से ब्राह्मणों की मान्यताओं, परम्पराओ, संस्कारो, त्योहारों व्रतों और धर्मग्रन्थों का समाज पर उतना ही प्रभाव है जितना पहले हुआ करता था। केवल संवैधानिक लोकतांत्रिक व्यवस्था की वजह से अधिकतर साधारण बुद्धि के लोगों को दिखाई नहीं पड़ता।

आज शुद्र (OBC), अतिशूद्र (SC), आदिवासी (ST) के पढ़े लिखे लोगों का मानना है कि हिन्दू (ब्राह्मण) सनातन धर्म में नरबलि, पशुबलि, सतीप्रथा, देवदासी, नियोगप्रथा, आदि कुप्रथाएं पुरानी बातें हैं अब हम सब पढ़े लिखे हैं ब्राह्मण अब हमें मूर्ख नहीं बना सकते।

ऐसे पढ़े लिखे लोग यह भूल जाते हैं कि आज भी ऐसे पढ़े लिखे लोगों को हर पत्थर में भगवान नजर आता है, माँ के रूप में गाय नजर आती है, निर्मल बाबा की लाल हरी चटनी में कृपा नजर आती हैं, आशाराम बापू जैसे ढोंगियों को सन्त समझ लेते हैं, हर संस्कार ब्राह्मण करवाते हैं, ज्योतिष में विश्वास करते हैं, जो उपाय ब्राह्मण बताता है उसे आँख मूंदकर मानते हैं, जो मांगता है उससे बढ़ चढ़कर देते हैं, जब कि सूई से लेकर हवाई जहाज तक विज्ञान (वैज्ञानिकों)ने बनाये हैँ इसलिए यह मान लेना कि आज विज्ञान का युग है मानवाधिकार सविधान ने दिये हैं,अब ब्राह्मण मूर्ख नही बना सकता। इसलिए विशेषकर पढ़े लिखे लोग गलत फहमी में ना रहें; दुनिया के लिए विज्ञान का युग होगा लेकिन भारत के लिए आज भी ब्राह्मण का ही युग चल रहा है।। हिन्दू धर्म के नाम पर पिछडासमाज, दलितसमाज ठगा जा रहा है, हकीकत यह है कि हिन्दू धर्म मतलब ब्राम्हणवादी व्यवस्था

जो धर्म समानता, मानवता ओर भाईचारे की भावना नही रखता वो धर्म नही है बल्कि एक षड्यंत्र है…, इसे जितना जल्द समझ जाएंगे उतना आपकी जिंदगी के लिए बहेतर होगा

जय भारत .. जय विज्ञान !!

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