क्या आपने कभी इन पश्चिमी philosophers को पढ़ा है:

- लियो टॉल्स्टॉय (1828 -1910):
“बुद्ध और उनका धर्म ही एक दिन दुनिया पर राज करेगा, क्योंकि इसी में ज्ञान और बुद्धि का संयोजन है। जो समता और बन्धुत्व का मार्गदर्शन करता है”।
- हर्बर्ट वेल्स (1846 – 1946):
” बुद्धिज्म का प्रभावीकरण फिर होने तक अनगिनत कितनी पीढ़ियां अत्याचार सहेंगी और जीवन कट जाएगा । तभी एक दिन पूरी दुनिया बुद्ध और बौद्ध धर्म की ओर आकर्षित हो जाएगी, उसी दिन ही मानवता का असली विकास शुरू होगा और उसी दिन दुनिया आबाद होगी । प्रणाम हो उस दिन को। जब बुद्ध हँसेगा। और दिन दुनिया के सारे नकली भगवान् उनके चरणों में दिखाई देंगे “।
- अल्बर्ट आइंस्टीन (1879 – 1955):
“मैं समझता हूँ कि बुद्ध ही ने अपनी बुद्धि और जागरूकता के माध्यम से वह किया जो दुनिया का कोई भी खुद को भगवान् माननेवाले न कर सके । बोधिसत्व मे ही वह शक्ति है जिससे शांति स्थापित हो सकती वर्ना सारे धर्मो में उच्च नीच और काले गोरे का भेदभाव है। येशु के गुरु भी भगवान् बुद्ध थे। येशु ने 13 साल तक काश्मीर में रहकर बुद्ध धर्म को सीखा। और यूरोप में भगवान् को पुत्र कहकर बुद्ध की बाते जन जन तक पहुचाई। ये बात और है की। यूरोपीयन अब इस बात से इनकार करते है। पर सत्य यही है”।
- हस्टन स्मिथ (1919):
“जिसने खुद पर विश्वास करना सिखाया है। वो बौद्ध धर्म है। वरना कई लोग धर्म पंडितो और पथ्थर की मूर्तियो पर अंधविश्वास कर अन्धकार में भटकते रहे। इसलिए बौद्ध धर्म से सरल और शान्ति देने वाला दुनिया में बेहतर कोई धर्म ही नहीं है। जो भी दुनिया में है तो वो बुद्धिज्म है। जिसे लाइट ऑफ़ आशिया कहा जाता है । अगर हम अपना दिल और दिमाग इसके लिए खोलें तो उसमें हमारी ही भलाई होगी। वरना अंधकार में भटकते रह जाओगे जैसे आज भी भारतीय अन्धकार में भटक रहे है। और बुद्ध का ज्ञान लेकर चायना जापान और यूरोप आगे बढ़ रहा है।”
- माइकल नोस्टरैडैमस (1503 – 1566):
” बौद्ध धर्म ही यूरोप में शासक धर्म बन जाता। खुद को बुद्ध के पुत्र कहलानेवाले येशु जो बुद्ध धर्म का ज्ञान लेकर यूरोप आये थे। उन्हें सूली पर न चढ़ाया जाता। तो आशिया ही नहीं बल्कि यूरोप का हर प्रसिद्ध शहर बौद्ध धर्म की राजधानी बन जाता। पर बुद्ध का प्रभाव अभी खत्म नहीं हुआ। अब तक आधी दुनिया बौद्धमय हो गई है।”।
- बर्टरेंड रसेल (1872 – 1970):
“मैंने बुद्ध और बुद्धिज्म को पढ़ा और जान लिया कि यह सारी दुनिया और सारी मानवता का धर्म बनने के लिए है । बुद्ध धर्म पूरे यूरोप में फैल जाएगा और यूरोप में बौद्ध को दुनिया के सामने लाने वाले बड़े विचारक सामने आएंगे । एक दिन ऐसा आएगा कि बुद्ध धर्म ही दुनिया की वास्तविक उत्तेजना का केंद्र होगा “।
- गोस्टा लोबोन (1841 – 1931):
” बुद्ध ही सुलह और सुधार की बात करता है। सुलह और सुधार ही के विश्वास की सराहना के लिये में दुनिया सभी लोगो को बौद्ध धर्म में आमंत्रित करता हूँ”।
- बरनार्ड शा (1856 – 1950):
“सारी दुनिया एक दिन बुद्ध धर्म स्वीकार कर लेगी । अगर यह वास्तविक नाम स्वीकार नहीं भी कर सकी तो रूपक नाम से ही स्वीकार कर लेगी। पश्चिम एक दिन बुद्धिज्म स्वीकार कर लेगा और बुद्ध धर्म ही दुनिया में पढ़े लिखे लोगों का धर्म होगा। जो आज विकास का धर्म बना है। बौद्ध धर्म दुनिया का पहला धर्म है। जो व्यक्ति को विज्ञान सिखाता है। ना की अंधविश्वास में रखकर मानवता को सरेआम घायल करता है। बौद्ध धर्म में नारी और नर एक समान है। बौद्ध धर्म में तो पशुओ को तक प्रेम से रखने की शिक्षा दी जाती है”
- जोहान गीथ (1749 – 1832):
“हम सभी को अभी या बाद मे बौद्ध धर्म स्वीकार करना ही होगा । यही दुनिया का असली धर्म है ।मुझे कोई बुद्धिस्ट कहे तो मुझे बुरा नहीं लगेगा, मैं यह सही बात को स्वीकार करता हूँ ।”
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