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क्या हैं बुध्द होने का मतलब?


हर एक इंसान को अपनी खोज करने वाली तार्किक बुद्धी का प्रमाण है जमीनी इंसान होना बुद्ध होने का मतलब है जिज्ञासाओं का होना! बुद्ध होना मतलब खोजकर्ता होना! बुद्ध होना मतलब सीधा-सरल सच्ची देह का होना! तमाम उठापटक से गुजर कर जो खुद को खोज ले वही बुद्ध है

बुद्ध पूजा नहीं है, इबादत भी नहीं है! बुद्ध मूर्ति नहीं है, स्तूप भी नहीं है! बुद्ध ना तो हीनयान में है और ना ही महायान में! बुद्ध अवतार भी नहीं है, ईश्वर भी नहीं है! बुद्ध को बुद्ध की धरती ने ही खारिज किया। बुद्ध केवल और केवल तार्किक बुद्धि को आश्रय देने वाली देह है, एक ऐसा देह जिसमें अष्टांगिक मार्ग है और केवल चार सत्य।

खुद की खोज में लग जाना, सच जैसा भी हो स्वीकार करना, तर्क को धार देना, अंधविश्वास को ठोकर मारना, रूढ़िवादी सोच को खत्म करना और कल्पनाओं को त्याग कर वास्तविकताओं को गले लगाना; बुद्ध तो इसी में है, बोधगया में सिर्फ यादें हैं। बुद्ध तो दिनचर्या है।

बुद्ध ईश्वर को नहीं मानते अतः बुद्ध को ईश्वर ना बनाएँ। बुद्ध तो बुद्ध थे, उन्हें किसी सीमा अथवा परिधि में बांधना गलत है। बुद्ध त्यागी थे और आज़ाद भी। बुद्ध इंसान थे और केवल इंसान ही थे। कटु सच कहने की दिलचस्प कला के कलाकार थे बुद्ध। बुद्ध प्रकाश का पर्याय है।

शक करना आदत नहीं थी बल्कि सत्य का जरिया थे वो। ना तो अहंकार और ना ही क्रोध; बुद्ध में उपकार और समाधान था। बुद्ध एक राह है। बुद्ध में डिकॉडिंग का गुण है। कुछ हासिल करने के लिए कुछ छोड़ना पड़ता है; बुद्ध को भी घर छोड़ना पड़ा। बुद्ध में छटपटाहट थी! बुद्ध में मुस्कुराहट थी! बुद्ध होना मानो गति में होना।

दर्शन पढ़ने वालों के लिए बुद्ध दर्शन है! इतिहास पढ़ने वालों के लिए बुद्ध इतिहास है! संस्कृति पढ़ने वालों के लिए संस्कृति, साहित्य पढ़ने वालों के लिए साहित्य है, धर्म पढ़ने वालों के लिए बुद्ध धर्म है और सताए हुए लोगों के लिए बुद्ध अंतिम गंतव्य। यानी बुद्ध समाधान का पर्याय है। इसके बावजूद बुद्ध ईश्वर नहीं है।

बुद्ध से पता चलता है कि सच्चा ज्ञान एक-दो महीने में हासिल नहीं होता, इसके लिए इंसानों को साल दर साल लगातार मेहनत करनी पड़ती है। बुद्ध से मालूम होता है कि हमलोग ब्रह्मांड के सबसे योग्य संसाधन हैं, खुद की वास्तविक गहराई को खोजकर खुद ही खुद में बहुमूल्य मोती प्राप्त कर सकते हैं।

बुद्ध आइना है, हमें दिखाने का प्रयास करते हैं कि “तुममें बहुत कुछ है। असीम संभावनाएं हैं तुममें। तुममें एक और बुद्ध है। जितने लोग हैं उतने बुद्ध हैं! बशर्ते बुद्ध होने के लिए तुम्हें तर्क-वितर्क से गुजरना होगा, त्याग करना होगा, अथक प्रयास करना होगा! खुद में मौजूद मौलिकता को पहचानना होगा, उसके समानांतर खून-पसीना एक करना होगा; तब संभव है बुद्ध का अंश मात्र होना।”

बुद्ध दुखी भी होते है और खुश भी! बुद्ध प्रेम भी करते है और त्याग भी! बुद्ध संघर्ष भी करते है और आराम भी! बुद्ध गलती भी करते है और महान कार्य भी! बुद्ध सीखते है, खुद में बदलाव लाते है और दुनिया को सच से परिचित करवाते है। बुद्ध पैदा हुए, जी भरके जिये, दुनिया को राह दिखाई और चले गए। बुद्ध होना आसान है और कठिन भी।

बुद्ध होने का मतलब है जमीनी इंसान होना! बुद्ध होने का मतलब है जिज्ञासाओं का होना! बुद्ध होना मतलब खोजकर्ता होना! बुद्ध होना मतलब सीधा-सरल सच्ची देह का होना! तमाम उठापटक से गुजर कर जो खुद को खोज ले वही बुद्ध है!

सच्चा इंसान हमेशा याद किया जाता है ना कि केवल किसी खास दिन! सच्चा इंसान मंदिर, मस्जिद, गुरुद्वारा, चर्च या स्तूप में नहीं रहता है, सच्चा इंसान दिल में रहता है; बुद्ध सच में हमारे दिल में है। बुद्ध को ईश्वर बनाना ही बुद्ध को खारिज करना है, बुद्ध को खारिज करना ही दिमाग/तर्क को खारिज करना है और जब दिमाग/तर्क खारिज हो जाए तब देह/मानव का क्या* असतित्व*
नमो बुद्धाय

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