महाराष्ट्रमुख्यपानविचारपीठ

तथागत बुद्ध जयंती की हार्दिक शुभकामनाएं|

डा. प्रताप चाटसे, बुद्धिस्ट इंटरनेशनल नेटवर्क

तथागत बुद्ध का धम्म सभी के लिए कल्याणकारी धम्म है| बुद्ध का धम्म मनुष्य को तर्कवादी, विज्ञानवादी, न्यायप्रिय, और मानवतावादी बनाता है, जिससे समाज का हर व्यक्ति उन्नति तथा नीतिमान बनने का प्रयास करता है और एक सभ्य तथा उन्नत समाज और राष्ट्र निर्माण कर सकता हैं| यही वजह है कि, जब जब भारत तथा दुनिया में बौद्ध धर्म प्रभावशाली बना, तबतब भारत तथा दुनिया ने विकास साध्य कर लिया था| मौर्य और कुषाणकाल में बौद्ध धर्म भारत का “राष्ट्र धर्म” था, इसलिए उस समय भारत एक सभ्य, उन्नत और खुशहाल देश बन सका था| दुनिया के लोग जब जंगलों में असभ्य जंगली पशु बनकर जी रहे थे, तब बुद्ध के क्रांतिकारी धम्म की वजह से भारत में लगभग 14 बड़े बड़े विश्वविद्यालय बन चुके थे और देश तथा दुनियाभर से विद्वान वहाँ पढने आते थे| इस तरह, बुद्धकालीन भारत विकास के साथ साथ ज्ञान तथा शिक्षा के बारे में भी “विश्व गुरु” बन चुका था|

लेकिन, गुप्तोत्तर काल में जैसे ही ब्राम्हण धर्म का प्रभाव बढते गया, वेसे ही बौद्ध धर्म का पतन होते गया, और उसके साथ ही समृद्धशाली, शक्तिशाली भारत का भी पतन होते गया| बौद्ध काल में भारत पर एक भी विदेशी आक्रांता की हमला करने की हिम्मत नहीं होती थी| दुनिया को जितनेवाले सिकंदर को भी शक्तिशाली बौद्ध साम्राज्य देखकर वापिस लौटना पड़ा था| लेकिन, गुप्तोत्तर काल में बढते ब्राम्हणवाद ने व्यापार पर निर्बंध लगाए, जिससे दुनिया भर में व्यापार करनेवाले बौद्ध देश के अंदर ही सिमट गये और आर्थिक रूप से कमजोर होते गये| बौद्ध धर्म खत्म करने के लिए ब्राम्हणों ने अनेक बौद्ध राजाओं को मिसगाईड कर विकसित बौद्धों पर जुल्म ढाने शुरू कर दिए थे| उन्होंने मनुस्मृति के नाम पर उच्च निचता, तथा विषमतावादी व्यवस्था को बढ़ावा दिया, जिससे लोग आपस में लडते लडते कमजोर हुए|

इसका फायदा विदेशी आक्रांताओं ने लिया और भारत को कमजोर तथा गुलाम बनाया था| आज भी वही परिस्थिति है| ब्राम्हणवाद के वर्चस्व के कारण आज भी भारतीयों की स्थिति दुखद है| लोग कोरोना की वजह से मर रहे हैं, गरीबी, बेरोजगारी तथा भुखमरी के कारण बेहाल है और इसके पीछे मुख्य कारण विषमतावादी तथा शोषणकारी ब्राम्हणवाद और ब्राम्हण धर्म ही है|

आज भी दुनिया में जितने जितने बौद्ध राष्ट्र है, वह विज्ञान, तंत्रज्ञान और उन्नति के शिखर पर है| भारत के लोग भी अगर अपनी उन्नति और कल्याण चाहते हैं, तो उनके सामने बौद्ध धर्म के अलावा अन्य कोई भी रास्ता नहीं है| यह रास्ता समस्त भारतीय लोग अपनाएं और खुद का जीवन खुशहाल, प्रगतिशील बनाएं यही कामना हम बुद्ध जयंती के दिन करते हैं|

सभी को तथागत बुद्ध जयंती की हार्दिक शुभकामनाएं|

— डा. प्रताप चाटसे, बुद्धिस्ट इंटरनेशनल नेटवर्क

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