बुद्धाचे तत्त्वज्ञान हाच जगाला एकमेव आधार आहे व त्याचा जेवढा प्रचार होईल तेवढे जग युद्धापासून दूर व शांततेच्या नजीक जाईल” – डॉ. बाबासाहेब आंबेडकर

“मैंने बुद्धिझम को पढा ओर जान लिया की यह सारी दुनिया ओर सारी मानवता का धर्म बनने के लिये हैं! बुद्ध धम्म पुरे युरोप में फैल जाएगा ओर युरोप में बौध्द धम्म को दुनिया के सामने लानेवाले बडे विचारक आगे आएगे ! एक दिन ऐसा आएगा की बौध्द धम्म ही दुनिया की वास्तविक उत्तेजना का केंद्र होगा”
– बट्रोड रसेल ( सुप्रसिध्द तत्त्वज्ञ )
“सारी दुनिया एक दिन बौध्द धम्म स्वीकार कर लेगी! वास्तविक नाम स्वीकार नही भी कर सकी तो रूपक नाम से स्वीकार कर लेगि! बुद्ध धम्म ही दुनिया में पढे – लिखे लोगो का धर्म होगा, जो आज विकास का धम्म बना हैं! बौध्द धम्म दुनिया का पहला धर्म हैं जो व्यक्ती को विज्ञान सिखाता हैं ना की अंधविश्वास में रखकर मानवता को सरेआम घायल करता हैं! बौध्द धम्म में नारी ओर नर एकसमान हैं ! बौध्द धम्म में पशुओं को तक प्रेम से रखने की शिक्षा दी जाती हैं !”
– जॉज बनार्ड शॉ ( श्रेष्ठ लेखक आणि जागतिक दर्जाचे नाटककार )
“मैं समझता हुं की, बुद्धने अपनी बुद्धी अेोर जागरूकता के माध्यम से वह किया जो दुनिया का कोई भी खुद को भगवान माननेवाला न कर सका! बोधिसत्व में ही वह शक्ती कर शकता हें जिससे शांती स्थापित हो सकती हें! वरना सारे धर्मो में उच्च नीच्च ओर काले गोरे का भेदभाव हें ! येशू के गुरू भी बुद्ध थे ! येशू ने तेरा साल तक काश्मिर में रहकर बुद्ध धम्म को सिखा ओर युरोप में भगवान का पुत्र कहकर बुद्ध की बातें जन जन तक पहुंचायी ! युरोपियन अब इस बात से इनकर करते है, पर सत्य यही है !”
– अल्बर्ट आईनस्टाईन ( विसाव्या शतकातील सर्वश्रेष्ठ शास्त्रज्ञ )
“बुद्धिझम का प्रभाविकरण फिर होने तक अनगिनत कितनी पिढीया अत्याचार सहेेंगी ओर जीवन कट जाएगा ? तभी एक दिन पुरी दुनिया बुद्ध ओर बौध्द धम्म की ओर आकर्षित हो जाएगी ! ऊस दिन मानवता का असली विकास शुरू होगा ओर उसी दिन दुनिया आबाद होगी ! प्रणाम हो उस दिन को, जब बुद्ध हसेगा ओर दुनिया के सारे नकली भगवान उनके चरणोंमें दिखाई देंगे !”
– हर्बर्ट वेल्स ( जगप्रसिद्ध लेखक )
“बुद्ध ही सुलह ओर सुधार की बात करता हे सुलह ओर सुधार के विश्वास की सराहना के लिएे मैं दुनिया के सभी लोगों को बौध्द धम्म में आमंत्रित करता हुं !”
– गोस्टा लोबोन ( श्रेष्ठ विचारवंत )
“बुद्ध ओर उनका धम्मही एक दीन दुनिया पर राज करेगा, क्योंकि इसमें ज्ञान ओर बुद्धी का संयोजन हैं , जो समता ओर बंधुत्त्व का मार्गदर्शन करता हैं”
– लियो टॉलस्टॉय ( सुप्रसिद्ध विचारवंत / कादंबरीकार )
जगापुढे विशेषतः आशिया खंडापुढे आज दोनच मार्ग उपलब्ध आहेत. एक बुद्धाचा मार्ग व दुसरा मार्क्सचा मार्ग बुद्धाच्या तत्त्वज्ञानाचा वेळीच जगाने स्वीकार केला नाही तर कम्युनिस्ट तत्त्वज्ञानाचा विजय होणे अपरिहार्य आहे. बुद्धाचे तत्त्वज्ञान हाच जगाला एकमेव आधार आहे व त्याचा जेवढा प्रचार होईल तेवढे जग युद्धापासून दूर व शांततेच्या नजीक जाईल”
-डॉ बाबासाहेब आंबेडकर
“नवी दिल्ली 1953 15 फेब्रुवारी खंड 18 भाग 3 पेज 349”
संकलन – संदीप महाडीक ( क्रांतीभूमी )
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दैनिक जागृत भारत