जन्म से लेकर मृत्यु तक बौद्धों के संस्कार क्या क्या है??

1 – गर्भ धारण संस्कार
गर्भ धारण संस्कार महिला जब गर्भ धारण करने की पुष्टि करती है जो कि लगभग तीसरे महीने से लेकर छठे महीने के बीच में किया जाता है जिसका फायदा यह होता है कि गर्भवती महिला को उचित आहार और सबके प्यार की और लोगों जागरूक करना जिससे इस दुनिया में आने वाले बच्चे को सही परवरिश और सही सामाजिक ज्ञान दिया जा सके। तो तभी सम्भव है जब बच्चे की माँ को सही परवरिश और सामाजिक ज्ञान मिलेगा। इसलिए गर्भवती महिलाओं को तथागत गौतमबुद्ध और सिंबल आफ नालेज बाबा साहब डॉ भीमराव के जीवन चरित्र और उनकी शिक्षाओं को दिया जाता है।
2-जन्म आशीर्वाद संस्कार
बच्चे पैदा होने के एक हप्ताह लेकर दो सप्ताह के अंदर बौद्ध भिक्षुओं या बौद्धाचार्य द्वारा जन्म आशीर्वाद संस्कार कराना चाहिए जिससे कि घर में खुशी की लहर बहेगी और बौद्ध संस्कृति का विकास होगा।
3-नामकरण संस्कार
एक महीने से लेकर तीन महीने के बीच में नामकरण संस्कार करवाना उचित होता है क्योंकि बच्चे को उसकी पहचान की जरूरत होती है।
4-केशकप्पन(मुंडन) संस्कार
एक महीने से लेकर एक साल के अंदर ही मुंडन संस्कार किया जाना चाहिए जिससे कि बच्चे के सिर में नये नये बाल आयेंगे और बच्चे को तरोताजगी महसूस होगा।
5-जन्मदिन संसकार
जन्म दिवस संसकार बच्चे के जन्म दिवस की तारीख के दिन मनाया जाता है जोकि प्रत्येक वर्ष मनाया जाता है जिससे कि आपस में एकता और प्यार बढ़ता है।
6-शिक्षा संस्कार
पहली बार बच्चा जब स्कूल जाता तो उसकी मंगल कामना करने के लिए बच्चे का मनोबल बढ़ाने के लिए शिक्षा संस्कार किया जाता है।
7-विवाह संस्कार
विवाह योग्य लड़की और लड़के की सही उम्र में विवाह करवा देना माता-पिता की जिम्मेदारी होती है कम खर्च में बिना दहेज वैज्ञानिक पद्धति बौद्ध पद्धति से विवाह संस्कार करवाना चाहिए।
8-घर का उद्घाटन संस्कार
नये घर में प्रवेश करके के अपने महापुरुषों और पूर्वजों को नमन करते हुए उनके योगदान को सभी को बतायें जिनके संघर्षों के कारण हमें नया घर बनाने और मान सम्मान से जीना का अधिकार मिला है इसलिए घर के उद्घाटन समारोह किया जाता है।
9-धम्म दीक्षा संसकार
जन्म से सभी इंसान ही पैदा होते हैं बुद्ध की शिक्षाओं को अपनाने और शीलों का पालन करते हुए जीवन जीने वाले को बौद्ध कहते हैं इसलिए बौद्ध बनने के लिए धम्म दीक्षा की प्रक्रिया होती है जो कि सभी बौद्ध परिवारों को धम्म दीक्षा की प्रक्रिया करवाना चाहिए।
10-अंतिम संस्कार
पैदा होना और मृत्यु को प्राप्त होना जीवन की सच्चाई है मृत्यु के बाद बुद्ध धम्म के अनुसार बौद्ध भिक्षुओं या बौद्धाचार्य द्वारा अंतिम संस्कार कराया जाता है मृत्यु शरीर को परिस्थितियों के अनुसार जलाना, दफनाना या जल प्रवाह कर सकते हैं।
अंतिम संस्कार में मृत्यु भोज करवाना अपराध है।
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बौद्धाचार्य डॉ एस एन 8700667399
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